‘HAHK-20’: सशस्त्र बलों के लिए हथियारों की खरीद के बड़े ठेकों में अडानी समूह को अनुचित लाभ देने में PM मोदी की भूमिका के बारे में सवाल- कांग्रेस

नई दिल्ली: अडानी मामले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने “HAHK - हम अडानी के हैं कौन” श्रृंखला के तहत आज 20वें दिन प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछा है| कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आज गुरुवार को कहा कि ,“ वह (प्रधानमंत्री मोदी) आज भले ही G20 देशों के विदेश मंत्रियों को अपना ज्ञान दे रहे हों, लेकिन "HAHK-हम अडानी के हैं कौन" श्रृंखला के सवालों से नहीं भाग सकते। ये हैं 20वें दिन के तीन सवाल। चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि ,“ जैसा कि आपसे वादा था, हम अडानी के हैं कौन (एचएएचके) श्रृंखला में आपके लिए तीन प्रश्नों का बीसवां सेट प्रस्तुत है। हमने आपसे 15 फरवरी 2023 को भारत-इज़राइल रक्षा संबंधों के एक बड़े क्षेत्र को अपने करीबी दोस्त गौतम अडानी को सौंपने के संबंध में कई सवाल पूछे थे, चाहे वह ड्रोन हो, छोटे हथियार हों, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स हों या रखरखाव और मरम्मत का क्षेत्र हो । आज, हम सशस्त्र बलों के लिए छोटे हथियारों की खरीद के बड़े ठेकों में अडानी समूह को अनुचित लाभ देने में आपकी भूमिका के बारे में कुछ और सवाल पूछ रहे हैं।
(1) 2018 में, भारतीय सेना ने उपयोग के लिए पुरानी हो चुकी सबमशीन गन को बदलने के लिए संयुक्त अरब अमीरात स्थित काराकल इंटरनेशनल द्वारा निर्मित सीएआर 816 क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) कार्बाइन का चयन किया । यद्यपि, यह उसी "फास्ट ट्रैक प्रक्रिया" के तहत किया गया, जिसके अंतर्गत 72,400 एसआईजी सॉर 716 असॉल्ट राइफलों की खरीद हुई थी, लेकिन सितंबर 2020 में 93,895 कार्बाइन खरीदने का ऑर्डर अचानक रद्द कर दिया गया। 10 फरवरी 2021 को, सेना ने एक बार फिर इसी मात्रा में कार्बाइन खरीदने का, अडानी डिफेंस सहित अन्य वेंडरों को, अनुरोध जारी किया।
इस वास्तविकता के मद्देनजर कि चीनी घुसपैठ के बाद पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिकों को तत्काल इन हथियारों की आवश्यकता पड़ सकती है, क्या आप इस अनुबंध को रद्द करके और नए सिरे से निविदा खोलकर, हमारे सैनिकों की कीमत पर अपने मित्रों को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं? इस बार कार्बाइन की आपूर्ति को लेकर, जिसकी कुल आवश्यकता चार लाख बंदूकों तक होने का अनुमान है, क्या एक बार फिर आप अडानी का एक और क्षेत्र में एकछत्र राज स्थापित करने का रास्ता नहीं खोल रहे हैं?
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(2) 3 मार्च 2019 को आपने अमेठी (उत्तर प्रदेश) में ओएफबी कोरवा कारखाने में एके-203 असॉल्ट राइफल बनाने के लिए एक भारत-रूस संयुक्त उद्यम का उद्घाटन किया और घोषणा की कि "अब 'मेक इन अमेठी' एक वास्तविकता है"। यह और बात है कि एके -203 का उत्पादन शुरू करने में तीन और साल लग गए। हैरानी की बात यह है कि इंडो- रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल), जो 7 लाख एके-203 राइफलें बना रही है, को सीक्यूबी अनुबंध पर रक्षा मंत्रालय की 10 जनवरी 2023 की ब्रीफिंग से बाहर रखा गया था।
आप रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व का हमेशा राग अलापते रहते हैं, फिर भी आपकी सरकार ने भारत के सबसे बड़े स्वदेशी लघु हथियारों कारखाने को बोली लगाने की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि आप एक बार फिर अपने निजी क्षेत्र के दोस्तों को उन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को विलुप्त करने में मदद कर रहे हैं, जो वर्तमान में सशस्त्र बलों को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं? क्या आप
चिंतित हैं कि बड़े पैमाने पर छोटे हथियारों का उत्पादन करने वाली एक मौजूदा फैक्ट्री आपके करीबी दोस्तों को पीछे छोड़ देगी और उन्हें भारतीय करदाताओं से अर्जित राजस्व का लाभ उठाने के एक और अवसर से वंचित कर देगी?
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(3) भारतीय सशस्त्र बल लंबे समय से इजरायल के छोटे हथियारों जैसे टेवर असॉल्ट राइफल्स और गैलिल स्नाइपर राइफल्स से लैस हैं। मार्च 2020 में, इज़राइल वेपन्स इंडस्ट्रीज (आईडब्ल्यूआई) ने 16,479 नेगेव NG-7 लाइट मशीन गन की आपूर्ति के लिए भारतीय सेना से अनुबंध किया था। सितंबर 2020 में, अडानी ने ग्वालियर स्थित पीएलआर सिस्टम्स में बहुमत की हिस्सेदारी खरीदी, जिसका आईडब्ल्यूआई के साथ एक संयुक्त उद्यम था, जिसने अडानी को नेगेव मशीनगनों के लिए किसी भी बाद में प्राप्त होने वाले क्रय आदेश पर एकाधिकार प्राप्त करने की स्थिति में पहुंचा दिया। अगर तर्क के लिए यह मान भी लिया जाए कि आईआरआरपीएल को इस क्षेत्र में नए उद्यमियों की मदद के लिए बाहर रखा जा रहा है, तो फिर आपके करीबी दोस्त अडानी को सीक्यूबी अनुबंध के लिए बोली लगाने की अनुमति क्यों दी जा रही है? क्या यह घोर पक्षपात का मामला नहीं है?
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