नई दिल्ली: अडानी-हिंडनबर्ग विवाद | अडानी - हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय ब्यूरो (SEBI) को अडानी समूह के खिलाफ शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सेबी को 2 महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मार्केट रेगुलेटरी मकेनिज्म में बदलाव किए जाने और इनवेस्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझावों के लिए पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। कमेटी के अन्य सदस्य हैं ओपी भट्ट, जस्टिस जे पी देवधर, के वी कामथ, नंदन निलकेनी और सोमशेखर सुंदरेशन।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने के भीतर जांच करने और स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने समिति को दो महीने में सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति का अधिकार ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाना, अदाणी विवाद की जांच करना और वैधानिक ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि समिति को सभी जानकारी उपलब्ध करायी जाए।
आपको बता दें, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने 17 फरवरी को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में सेबी की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कमेटी के सदस्यों के नाम पर जजों को सुझाव सौंपे थे। कोर्ट ने केंद्र की तरफ से एक्सपर्ट्स के नाम वाले सुझाव सीलबंद लिफाफे में लेने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था- हम चाहते हैं कि इस मामले में सच बाहर आए पर बाजार पर इसका असर न पड़े। हम अपनी तरफ से कमेटी गठित करेंगे। हम निवेशकों की सुरक्षा के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहते हैं।
10 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर के आरोपों के मद्देनजर बाजार नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल की स्थापना पर विचार करने के लिए कहा था। तदनुसार, केंद्र ने शुक्रवार 17 फरवरी को एक सीलबंद कवर में अदालत को एक नोट प्रस्तुत किया जिसमें सदस्यों के संभावित नामों का सुझाव दिया गया जो समिति का हिस्सा हो सकते हैं।
अडानी मामले में सुप्रीम कोर्ट बनाएगा कमेटी: केंद्र के सीलबंद कवर सुझाव को स्वीकार करने से इनकार
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने प्रस्तावित समिति में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नामों को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वे केंद्र द्वारा सीलबंद कवर सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वे (एससी) पूरी पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, "हम विशेषज्ञों का चयन करेंगे और पूरी पारदर्शिता बनाए रखेंगे। अगर हम सरकार से नाम लेते हैं, तो यह सरकार द्वारा गठित समिति के बराबर होगा। समिति में पूर्ण (सार्वजनिक) विश्वास होना चाहिए। "सीजेआई ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था, "हम नियामक विफलता के अनुमान के साथ शुरुआत नहीं कर सकते हैं"।