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'HAHK-II': प्रधानमंत्री ये कहकर बच नहीं सकते कि ‘हम अडानी के हैं कौन’, कांग्रेस ने आज फिर पूछे 3 सवाल

  • by: news desk
  • 06 February, 2023
'HAHK-II': प्रधानमंत्री ये कहकर बच नहीं सकते कि ‘हम अडानी के हैं कौन’,  कांग्रेस ने आज फिर पूछे 3 सवाल

नई दिल्ली: गौतम अडानी पर लगे 'कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले' के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने "HAHK-हम अडानी के हैं कौन" श्रृंखला के तहत आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 3 सवाल पूछे है।कांग्रेस ने कहा कि ,“ "HAHK-हम अडानी के हैं कौन" श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री से हमारे आज के तीन सवाल। उनकी चुप्पी न सिर्फ रहस्यमई है बल्कि चुभने वाली भी है।  चुप्पी तोड़िए  प्रधानमंत्री जी| बता दें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने रविवार को कहा था कि ,“अडानी समूह पर लगे गंभीर आरोपों के बीच मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है जिससे किसी सांठ-गांठ का साफ़ इशारा मिल रहा है। प्रधानमंत्री ये कहकर बच नहीं सकते कि ‘हम अडानी के हैं कौन’| “रविवार से इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से प्रतिदिन तीन प्रश्न पूछेगी ।



भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आज सोमवार को कहा कि ,“जैसा कि कल वादा किया गया था, आज आपके लिए तीन सवालों का दूसरा सेट प्रस्तुत है, एचएएचके (हम अडानी के हैं कौन ), केवल कहने के लिए।


1. आईडीबीआई बैंक, न्यू इंडिया एश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन जैसे असफल विनिवेशों से उबारने के लिए एलआईसी निधियों का उपयोग करने के संबंध में आपकी सरकार का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को ऐसी परिस्थितियों से उबारना एक बात है, लेकिन अपने पूंजीपति दोस्तों को और अमीर बनाने के लिए 30 करोड़ वफादार पॉलिसी धारकों की बचत का उपयोग करना दूसरी बात है|



एलआईसी ने जोखिम भरे अडानी समूह में इतना बड़ा निवेश कैसे किया, जबकि निजी फंड प्रबंधकों ने भी इससे किनारा कर लिया था? क्या यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य नहीं है कि सार्वजनिक क्षेत्र के महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थान निवेश करते समय अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में अधिक सजग रहें? या फिर यह आपके पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए आपके "मन की बैंकिंग" का एक और उदाहरण था ? 



2. अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोप कुछ समय सार्वजनिक पटल पर हैं। अडानी समूह में प्रमुख फंडो के निवेश के वास्तविक लाभार्थी कौन हैं, इस संबंध में अनेक सवाल उठते रहे हैं। विदेशी निवेशकों के वास्तविक स्वामित्व संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में, सेबी द्वारा एक मामले की जांच सहित, कुल 4 मामलों में जांच की गई है। इस जानकारी को समक्ष रखते हुए, क्या प्रधान मंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय या स्वंय एलआईसी में से किसी ने इन संदिग्ध निवेशों के बारे में कोई चिंता व्यक्त की थी? क्या ऐसी चिंताओं को खारिज कर दिया गया था और यदि हां, तो किसके द्वारा ?



3. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद पहली बिकवाली में एलआईसी द्वारा खरीदे गए अडानी समूह के शेयरों का मूल्य ₹32,000 करोड़ गिर गया, जिससे एलआईसी की स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार 27 जनवरी 2023 को उसके शेयरों का मूल्य ₹56,142 करोड़ रह गया। तब से अडानी इंफ्रास्ट्रक्चर के कई शेयरों में 50% की और गिरावट आई है। क्या आप 24 जनवरी के बाद एलआईसी द्वारा अडानी समूह में किए गए निवेश से हुए नुकसान की सही जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करेंगे? निफ्टी 50 सूचकांक में 2% की गिरावट की तुलना में एलआईसी का सूचीबद्ध मूल्य पिछले दो हफ्तों में 14% गिर गया है। चूंकि एलआईसी द्वारा अडानी समूह में दिशाहीन निवेश से इसके 34 लाख खुदरा शेयरधारकों का इसमें विश्वास कम हो रहा है, ऐसे में आप उनकी चिंताओं को कम करने के लिए क्या कदम उठाएंगे?



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