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अडानी समूह पर लगे 'कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले' के आरोपों के बीच मोदी सरकार की रहस्यमयी चुप्पी 'सांठ-गांठ' का इशारा: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से पूछे 3 सवाल

  • by: news desk
  • 05 February, 2023
अडानी समूह पर लगे 'कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले' के आरोपों के बीच मोदी सरकार की रहस्यमयी चुप्पी 'सांठ-गांठ' का इशारा: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से पूछे 3 सवाल

नई दिल्ली: गौतम अडानी पर लगे 'कॉर्पोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले' के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है और इस मामले में उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया है| कांग्रेस ने कहा कि ,“अडानी समूह पर लगे धोखाधड़ी के आरोपों पर मोदी सरकार खामोश है, जो इस मामले में सरकार की मिलीभगत की ओर एक इशारा है। कांग्रेस ने कहा कि ,“PM मोदी के मित्र अडानी पर दुनिया के सबसे बड़े घोटाले का आरोप है। लेकिन इस पूरे मामले में PM मोदी चुप हैं। न कोई जांच, न कोई कार्रवाई। मोदी सरकार की इस खामोशी के खिलाफ कांग्रेस कल (6 फरवरी) देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने जा रही है। जवाब तैयार रखिए, जनता आ रही है।



भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि ,“अडानी समूह पर लगे गंभीर आरोपों के बीच मोदी सरकार ने चुप्पी साध रखी है जिससे किसी सांठ-गांठ का साफ़ इशारा मिल रहा है। प्रधानमंत्री ये कहकर बच नहीं सकते कि ‘हम अडानी के हैं कौन’|" उन्होंने कहा ,“आज से इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से प्रतिदिन तीन प्रश्न पूछेगी ।


जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि ,“पनामा पेपर्स के खुलासे के जवाब में, 4 अप्रैल 2016 को वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि आपने व्यक्तिगत रूप से एक बहु-एजेंसी जांच समूह को विदेशी टैक्स हेवन समझे जाने वाले देशों से वित्तीय प्रवाह की निगरानी करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 5 सितंबर, 2016 को हांगझोऊ, चीन में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आपने कहा था: "हमें आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित आश्रयों को खत्म करने, धन शोधन करने वालों का पता लगाने और उनका बिना शर्त प्रत्यार्पण करने और जटिल अंतरराष्ट्रीय विनियमों और अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता के उस ताने-बाने को ध्वस्त करने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है, जो इन भ्रष्टाचारियों और उनकी गतिविधियों को छिपाती है।”


जयराम रमेश ने कहा कि ,“यह परिस्थितियां हमें ऐसे प्रश्नों की ओर ले जाती हैं: जहां पर आप ये कहकर बच नहीं सकते कि 'हम अडानी के हैं कौन' |


1. गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का नाम पनामा पेपर्स और पेंडोरा पेपर्स में बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूहों में ऑफशोर कंपनियों को संचालित करने वाले व्यक्ति के रूप में सामने आया था। उन पर "ऑफशोर शेल कंपनियों के एक विशाल मायाजाल" के माध्यम से "स्टॉक में खुल्लम-खुल्ला हेरफेर करने" और "खातों में धोखाधड़ी" में संलिप्त होने का आरोप लगा है। 


उन्होंने कहा ,“आप हमेशा भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी निष्ठा और "नीयत" की बातें बढ़-चढ़कर करते हैं; और आपकी इसी प्रवृति के कारण लाई गई नोटबंदी के कारण देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। आज जबकि यह अकाट्य सत्य हमारे सामने है कि एक ऐसी बिजनेस घराना जिससे आपकी सार्वजनिक नजदीकियां हैं; वह गंभीर आरोपों के घेरे में हैं, तो इस संबंध में आपके द्वारा करवाई जा रही जांच की निष्पक्षता और ईमानदारी पर आप थोड़ा प्रकाश डालिए।


2. वर्षों से आपने प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो और खुफिया राजस्व निदेशालय जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को डराने-धमकाने और उन व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए किया है जो आपके पूंजीपति मित्रों के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। अडानी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए जा रहे गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए आपके द्वारा क्या कार्रवाई की गई है? क्या आपकी देखरेख में किसी निष्पक्ष और न्यायोचित जांच की उम्मीद की जा सकती है?


3. यह कैसे संभव है कि भारत के सबसे बड़े बिजनेस घराना में से एक, जिसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों में एकाधिकार स्थापित करने की अनुमति दी गई है, लगातार आरोपों के घेरे में होने के बावजूद इतने लंबे समय से गंभीर जांच से बचता चला आ रहा है? अन्य व्यापारिक समूहों को हल्के आरोपों के लिए एजेंसियों ने परेशान किया है और उन पर छापे मारे गए। क्या अडानी समूह उस व्यवस्था के लिए आवश्यक था जिसने इन सभी वर्षों के दौरान "भ्रष्टाचार विरोधी" बयानबाजी का भरपूर लाभ उठाया है?




सवाल 1.  गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का नाम पनामा और पेंडोरा पेपर्स में बहामास और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में ऑफशोर कंपनियों को चलाने वालों में शामिल था।  उन पर 'ऑफशोर शेल कंपनियों' के जरिए 'स्टॉक हेरफेर' और 'धोखाधड़ी' में शामिल होने का भी आरोप है। 


सवाल 2.  BJP ने सालों से विरोधियों को डराने व कई व्यापारिक घरानों को दंडित करने के लिए एजेंसियों (ED, CBI & DRI) का दुरुपयोग किया है।  ऐसे में अडानी ग्रुप पर लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए क्या कार्रवाई हुई?  क्या मौजूदा नेतृत्व में निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है?



सवाल 3.  यह कैसे मुमकिन है कि अडानी समूह गंभीर आरोपों के बावजूद जांच से बचा हुआ है?  क्या अडानी समूह उस व्यवस्था के लिए जरूरी था जिसे आपके भ्रष्टाचार विरोधी बयानों से फायदा मिला है? 



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