Maharashtra Politcal Crisis: महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर शिवसेना के दोनों गुटों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच बुधवार को शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी|
वही, शिवसेना सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर अपना फैसला नहीं दे देती।
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विदित हो कि, महाराष्ट्र में ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को एकनाथ शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत का सामना करना पड़ा। पार्टी के अधिकतर विधायकों ने शिंदे का पक्ष लिया, जिससे महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उसके एक दिन बाद 30 जून को शिंदे ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली| भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी|
गैरकानूनी है फडणवीस-शिंदे सरकार
शिंदे-फडणवीस सरकार के भविष्य का फैसला ने पिछले सोमवार 11 तारीख को सर्वोच्च न्यायालय में होना था, परंतु फैसला आगे के लिए टाल दिया गया था| सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर कोई फैसला नहीं करने को कहा था|
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका: उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर की गई याचिकाएं
●Govt के विरोध में बगावत करने वाले 16 विधायकों की अपात्रता की नोटिस को शिंदे गुट की चुनौती।
●एकनाथ शिंदे सरकार की स्थापना को लेकर निमंत्रण देनेवाले राज्यपाल के निर्णय को शिवसेना की चुनौती।
●विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की अनुमति देनेवाले राज्यपाल के निर्णय के विरोध में याचिका।
●राज्यपाल द्वारा शिंदे सरकार बहुमत पेशी को लेकर दिए गए निर्देश के खिलाफ शिवसेना की चुनौती।
●एकनाथ शिंदे द्वारा विधान मंडल में गट नेता रहते हुए चौधरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका।
●एकनाथ शिंदे को गुट नेता और भरत गोगावले को प्रतोद पर नियुक्ति को मान्यता दिए जाने के निर्णय के खिलाफ शिवसेना की याचिका।