जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की न्याय व्यवस्था और पीएम मोदी पर शनिवार निशाना साधा| नालसा द्वारा आयोजित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के 18वें अखिल भारतीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि,'' देश में संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। वर्तमान हालात में संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रताओं को बचाने में न्यायपालिका को अपनी भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि,'' सेवानिवृत्ति के बाद की महत्वाकांक्षाओं के बारे में चिंतित होने के बजाय न्यायाधीशों और नौकरशाहों को देश की सेवा के लिए काम करना चाहिए। बता दें कि, इस समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ जज और राजस्थान हाइकोर्ट के जज भी मौजूद थे|
अशोक गहलोत ने कहा कि,''नालसा व इसकी राज्य इकाइयां विधिक सेवाओं के प्रचार-प्रसार, निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने,अपराध से पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजा दिलवाने तथा लोक अदालतों के माध्यम से अधिकाधिक मुकदमों को निपटाने में महती भूमिका निभा रही है। इसके साथ ही, वंचित तबकों को न्याय दिलाने तथा भ्रष्टाचार की रोकथाम में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लोक अदालतों ने गरीबों, आपदा पीड़ितों, आदिवासियों, वरिष्ठ नागरिकों और एसिड अटैक पीड़ितों को निःशुल्क कानूनी सहायता और मुआवजा दिलवाया है।
CM अशोक गहलोत ने कहा कि,'' सहिष्णुता लोकतंत्र का गहना है। आज देश में तनाव और हिंसा का माहौल है ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री को देश को आश्वस्त करना चाहिए कि देश में प्रेम, सद्भावना और भाईचारा बना रहे। राज्यों में राजनैतिक स्थिरता आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि चुनी हुई सरकारों को खरीद फरोख्त के आधार पर प्रभावित करने की प्रवृति पर अंकुश लगे।
CM गहलोत ने कहा कि,'' नौकरशाहों व न्यायाधीशों को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद की चिंता छोड़कर देश के लिए काम करना चाहिए| उन्होंने कहा कि अगर कोई मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद या न्यायाधीश बनता है, तो उसे देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है, उसे इसका गर्व होना चाहिए|
गहलोत ने कहा, कोई विधायक, सांसद बनता है, प्रधानमंत्री बनता है| आप न्यायाधीश बनते हैं, कितना गर्व होता, देश की सेवा करने का अवसर मिला है| जिंदगी हजार साल का नहीं होती, जो वक्त हमें मिला है उसमें हम देश के लिए कुछ करें| उन्होंने कहा, ‘सेवानिवृत्ति के बाद में हमें क्या बनना है, क्या बन सकते हैं| यह चिंता अगर नौकरशाही में रहेगी, न्यायपालिका में रहेगी तो फिर कैसे काम चलेगा ?.हालात बहुत गंभीर हैं देश में|