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गैरकानूनी है फडणवीस-शिंदे सरकार, फैसला कभी भी होगा तो जीत सत्य की ही होगी: शिवसेना

  • by: news desk
  • 12 July, 2022
गैरकानूनी है फडणवीस-शिंदे सरकार, फैसला कभी भी होगा तो जीत सत्य की ही होगी: शिवसेना

नई दिल्ली:  महाराष्ट्र की सरकार के भविष्य का  फैसला 11 तारीख को सर्वोच्च न्यायालय में होना था, परंतु  फैसला आगे के लिए टाल दिया गया है। इसलिए कोई खुशी से भाव-विभोर न हो जाए और न ही दुखी हो। फैसला कभी भी होगा तो जीत सत्य की ही होगी। इसका विश्वास महाराष्ट्र की जनता को है। लेकिन इतना तय है कि महाराष्ट्र की वर्तमान फडणवीस-शिंदे सरकार गैरकानूनी है। इस बारे में कानून के जानकार व जनता के मन में तिल मात्र भी शंका नहीं है। उक्त बातें शिवसेना के मुखपत्र सामना में शिवसेना नेता संजय राउत ने कही है|



शिवसेना के मुखपत्र सामना में संजय राउत ने कहा," नियम, संविधान, कानून, संसदीय संकेत और परंपरा को पूरी तरह रौंदकर यह सरकार सत्ता में आई है। शिंदे गुट पूरी तरह ‘अपात्र’ होगा, ऐसा कानून कहता है और उसमें से 16 विधायकों को अपात्र न ठहराया जाए? विधानसभा उपाध्यक्ष की उक्त नोटिस पर तुरंत सुनवाई करने से सर्वोच्च न्यायालय ने इंकार कर दिया है। यह प्रकरण साधारण नहीं है। इस प्रकरण में गंभीर संवैधानिक पेच है। स्वतंत्र खंडपीठ का गठन करके इस प्रकरण की सुनवाई की जाए, ऐसा निर्देश सर्वोच्च न्यायालय जब देता है तब इस प्रकरण की गंभीरता को न्याय देवता ने समझ लिया है, ये तय है। 



शिवसेना ने कहा," सर्वोच्च न्यायालय ने तुरंत सुनवाई नहीं की इसका मतलब भाजपा के रस्से से बंधे शिंदे गुट को राहत आदि मिल गई है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं माना जा सकता है। शिंदे गुट के प्रतोद ने निष्ठावाद शिवसेना विधायकों पर ‘व्हिप’ के उल्लंघन का आरोप लगाया व उन सभी विधायकों को अयोग्य ठहराएं, ऐसा पत्र भाजपा के विधानसभा अध्यक्ष को लिखा। विधानसभा अध्यक्ष अभी ऐसी किसी प्रकार की कार्रवाई न करें, परिस्थिति जैसी थी वैसी ही रखें, खंडपीठ के समक्ष जब सुनवाई होगी तब देखेंगे, ऐसा न्यायालय ने साफ कर दिया है। यह बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। 



इस प्रकरण की सुनवाई में वक्त लगेगा, ऐसा न्यायालय कह रहा है। समय लगेगा ठीक है लेकिन कितना समय लगेगा? तब तक शिंदे-फडणवीस की गैरकानूनी सरकार महाराष्ट्र पर लादी जाएगी क्या? यह सरकार अवैध है। इसलिए कोई भी नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार इस सरकार को नहीं होना चाहिए। खंडपीठ की सुनवाई शुरू है तब तक यह सरकार या तो सिर्फ ‘कार्यवाहक’ की हैसियत से कार्य करे अन्यथा मध्यावधि चुनाव की तैयारी शुरू की जाए। क्योंकि इस तरह की असंवैधानिक, गैरकानूनी सरकार का सत्ता में होना देश हित में नहीं है। 16 विधायकों की अयोग्यता के संदर्भ में सुनवाई शुरू होने से पहले ही शिंदे गुट के कुछ विधायक ‘ फैसला हमारे पक्ष में आएगा’ ऐसा हामी भरते हुए दावा कर रहे थे। सर्वोच्च न्यायालय को इसमें गंभीरतापूर्वक हस्तक्षेप करना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार कानूनी लड़ाई में फंस गई है, इतना तो तय है।




शिवसेना ने कहा," मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री ने शपथ ले ली, परंतु मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाई है। क्योंकि जिन्हें मंत्री बनना है ऐसे कई विधायकों पर अयोग्यता की तलवार लटकती दिख रही है। फिर भी ऐसे विधायकों को मंत्रिपद की शपथ राज्यपाल देनेवाले होंगे तो देश में डॉ. आंबेडकर का संविधान ध्वस्त हो गया है, ऐसा मानने में हर्ज नहीं है। हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक वगैरह होने की बातें की जाती हैं, परंतु लोकतंत्र के चार खंभों में से एक भी खंभा आज मजबूत बचा है क्या? राजतंत्र ‘एक खंभे’ वाला तंबू बन गया है और विरोधियों की छोटी-छोटी झुग्गियां भी न रहें इसके लिए राजतंत्र ही नहीं, बल्कि सभी तंत्रों का खुलकर दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रशासन सत्ताधारियों के निरंकुश दबाव में खोखला हो गया है। कल तक मीडिया जनता का विपक्ष, आलोचकों की ‘आवाज’ थी। 



परंतु बीते सात-आठ वर्षों में उस आवाज को भी दबा दिया गया है। न्याय व्यवस्था की ओर पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने उंगली उठाई थी, परंतु आज भी देश में न्याय मिलने की एकमात्र उम्मीद के रूप में न्याय व्यवस्था की ओर ही देखा जाता है। न्यायालय से न्याय मिलने की ‘घबराहट’ बरकरार है। ये अच्छे ही लक्षण हैं। लेकिन इस घबराहट को बरकरार रखने की जिम्मेदारी न्याय व्यवस्था की ही है। फडणवीस-शिंदे सरकार को लेकर अब जो संवैधानिक लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है, उसकी नींव भी ‘डांवांडोल’ ही है। इसीलिए इस प्रकरण का निर्णय युद्धस्तर पर किए जाने की आवश्यकता है।




राउत ने कहा,";वजह कोई भी होगी परंतु इसमें होनेवाली देरी एक प्रकार से अन्याय ही सिद्ध होगी। इस प्रकरण के चार अक्षर ‘शिवसेना’ और शिवसेना इस राजनीतिक पार्टी की एक क्षण के लिए लड़ाई को, एक क्षण के लिए एक तरफ रख दें। परंतु जिस तरह से राजनीतिक स्वार्थ और बदले की भावना से संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उस पर तो विचार किया जाएगा या नहीं? महाराष्ट्र हो गया, अब गोवा में फिर ‘फोड़ो और तोड़ो’ की नीति का इस्तेमाल करने का प्रयास चल रहा है। 



शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा," तेलंगाना में मुख्यमंत्री आर. चंद्रशेखर राव को भी भाजपा वाले खुली धमकी दे रहे हैं। इस निरंकुश सत्ता नीति पर लगाम लगाने का कार्य न्याय देवता को ही करना होगा। फडणवीस-शिंदे सरकार इसी बेलगाम सत्ता नीति का जीवंत उदाहरण है। उस पर ये पूरा प्रकरण मतलब संवैधानिक पेच है। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है। फिर इस पेच को हल करने के लिए विलंब क्यों? फैसले में देरी मतलब न्याय में देरी, ऐसा हम कहते ही हैं न! इसमें जितनी देरी होगी उतने देश के संविधान पर शासकों द्वारा अवैध प्रहार किए जाएंगे। न्याय देवता के हाथ में तराजू है और आंखों पर पट्टी है। इसलिए जो न्याय होगा वो निष्पक्ष ढंग से होगा, ऐसा विश्वास हमें है। महाराष्ट्र की जनता पर अन्याय हुआ है। एक सरकार गैरकानूनी ढंग से लादी गई है। सर्वोच्च न्यायालय कानून का राज स्थापित करेगा। न्याय मरेगा नहीं, न्याय होगा! विश्वास रखो!!




बता दें कि,; सोमवार ,11 जुलाई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से उद्धव ठाकरे धड़े के शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर कोई फैसला नहीं लेने को कहा| उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे ने सोमवार ,11 जुलाई, 2022 को महाराष्ट्र विधानसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव को चुनौती देने वाली सर्वोच्च न्यायालय में अपनी याचिका दायर की। 



सर्वोच्च न्यायालय में याचिका

●Govt के विरोध में बगावत करने वाले 16 विधायकों की अपात्रता की नोटिस को शिंदे गुट की चुनौती।

●एकनाथ शिंदे सरकार की स्थापना को लेकर निमंत्रण देनेवाले राज्यपाल के निर्णय को शिवसेना की चुनौती।

●विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की अनुमति देनेवाले राज्यपाल के निर्णय के विरोध में याचिका।

●राज्यपाल द्वारा शिंदे सरकार बहुमत पेशी को लेकर दिए गए निर्देश के खिलाफ शिवसेना की चुनौती।

●एकनाथ शिंदे द्वारा विधान मंडल में गट नेता रहते हुए चौधरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका।

●एकनाथ शिंदे को गुट नेता और भरत गोगावले को प्रतोद पर नियुक्ति को मान्यता दिए जाने के निर्णय के खिलाफ शिवसेना की याचिका।






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