लखनऊ: कृषि कानून वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा ,''लगभग एक वर्ष से सर्दी, गर्मी व बरसात आदि की मार झेलते हुए अपने आन्दोलन पर डटे रहने व उनमें से कुछ किसानों के शहीद भी हो जाने का बलिदान अन्त में रंग लाया और केन्द्र सरकार ने उन विवादित तीनों कानूनों को अति देर से वापस लेने की घोषणा की है, जिसके लिए देश के समस्त किसानों को हार्दिक बधाई। उन्होंने कहा,''यदि यह फैसला केन्द्र सरकार काफी पहले ही ले लेती तो देश अनेकों प्रकार के झगड़े-झंझट व संकट आदि से बच जाता।
उन्होंने कहा, लेकिन अभी भी किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) देने सम्बंधी राष्ट्रीय कानून बनाने की यह खास माँग भी अधूरी पड़ी है, जिसके लिए बी.एस.पी. की माँग है कि केन्द्र सरकार आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस सम्बंध में कानून बनाकर किसानों की इस मांग को भी जरूर स्वीकार करे। उन्होंने कहा,''हमारी पार्टी(BSP) की केंद्र सरकार से मांग है कि किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है, केंद्र सरकार उन्हें उचित आर्थिक मदद दे और उनके परिवार में से एक सदस्य को सरकारी नौकरी ज़रूर दें|
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,''जैसा कि यह विदित है कि देश के किसान केन्द्र सरकार द्वारा देश के किसानों पर जबरदस्ती थोपे गए तीन नए कृषि कानूनों की वापसी की माँग को लेकर कार्फ अर्थात् लगभग एक वर्ष से सर्दी, गमी व बरसात आदि की मार झेलते हुए अपने आन्दोलन पर डटे रहने व उनमें से कछ किसानों के शहीद भी हो जाने का बलिदान अन्त में रंग लाया और केन्द्र सरकार ने उन विवादित कानूनों को अति-देर से वापस लेने की घोषणा की है, जिसके लिए देश के समस्त किसानों को हार्दिक बधाई।
उन्होंने कहा,''''इसके साथ ही यदि यह फैसला केन्द्र सरकार काफी पहले ही ले लेती तो देश अनेकों प्रकार के झगड़े-झंझट व संकट आदि से बच जाता। लेकिन अभी भी किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) देने सम्बंधी राष्ट्रीय कानून बनाने की यह खास माँग भी अधूरी पड़ी है, जिसके लिए बी.एस.पी. की माँग है कि केन्द्र सरकार आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस सम्बंध में कानून बनाकर किसानों की इस मांग को भी जरूर स्वीकार करे।
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मायावती ने कहा,''इतना ही बल्कि बीएसपी की शुरू से ही यह माँग रही है कि ख़ासकर खेती-किसानी व किसानों के मामले में कोई भी नया कानून बनाने से पहले उनसे सलाह व परामर्श आदि जरूर करना चाहिए। चाहे स्टेट गवर्मेन्ट नया कानून बनाए अथवा सेन्ट्रल गवर्मेन्ट कोई नया कृषि कानून आदि बनाए तो किसानों से जरूर राय ले, ताकि किसी भी गैर-जरूरी विवाद से देश को बचाया जा सके। एक बार फिर से देश के किसानों को उनके संघर्ष के जरिए इस जीत को हासिल करने के लिए उन्हें मैं तहेदिल से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूँ।
उन्होंने कहा,''''लेकिन यहाँ मैं केन्द्र सरकार से यह भी कहना चाहूंगी कि किसानों के इस आन्दोलन के दौरान जो किसान शहीद हो गए हैं उन्हें उचित आर्थिक मदद एवं उनके परिवार में से किसी एक को सरकारी नौकरी भी जरूर दें। केन्द्र सरकार ने तीनों काननों की वापसी की घोषणा तो कर दी है लेकिन अब उन्हें हमारी पार्टी की इस मांग को भी स्वीकार कर लेना चाहिए।