नई दिल्ली: NSE irregularities: सीबीआई ने पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण और पूर्व सीओओ आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया| सीबीआई ने अनियमितताओं के सिलसिले में एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण से पूछताछ की|
एक योगी के इशारे पर कई सालों तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बड़े फैसले लिए गए। हिमालय के इस रहस्यमय योगी को न तो किसी ने कभी देखा और न ही कोई उससे कभी मिला। इस योगी की कहानी पूरी तरह से फिल्मी है। इस कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं। हिमालय का ये योगी खुद, NSE की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चित्रा रामकृष्ण और ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम।
चित्रा कई सालों तक योगी के इशारे पर एक्सचेंज की गोपनीय जानकारी शेयर करती रहीं। 15 लाख रुपए के पैकेज वाले एक मिड-लेवल मैनेजर आनंद सुब्रमण्यम को 1.38 करोड़ रुपए के पैकेज पर नियुक्त कर दिया। प्रमोशन भी दिया। इन आरोपों की जांच के बाद 11 फरवरी को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने रामकृष्ण पर 3 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई। सवाल किया तो बोलीं कि योगी तो कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। अब रामकृष्ण के घर पर IT डिपार्टमेंट ने छापेमारी की है।
चित्रा रामकृष्ण 2013 से लेकर 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सीईओ और एमडी रहीं। वे 1990 में एनएसई की शुरुआत से ही इससे जुड़ी थीं। उन्हें 2009 में एनएसई का संयुक्त प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था। 2013 में उन्हें सीईओ पद सौंप दिया गया। 2016 में उन्हें पद के गलत इस्तेमाल और एक घोटाले से नाम जुड़ने के बाद एनएसई से निकाल दिया गया।
सेबी को पूछताछ में उन्होंने बताया है वह हिमालय के एक रहस्यमय योगी की सलाह पर अपने फैसले लेती थीं। आनंद सुब्रमण्यम की भारी-भरकम पैकेज पर नियुक्ति भी चित्रा ने इसी रहस्यमय योगी के इशारे पर की थी। SEBI ने चित्रा रामाकृष्ण पर इन धांधलियों के लिए 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। पूर्व CEO रवि नारायण पर भी 2 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगी है।
आनंद सुब्रमण्यम एक अप्रैल, 2013 को एनएसई में चीफ स्ट्रैटिजिक एडवाइजर (सीएसई) के पद पर नियुक्त हुए थे। वे इसके बाद एक अप्रैल 2015 से लेकर 21 अक्तूबर 2016 तक एनएसई के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) और एमडी-सीईओ चित्रा सुब्रमण्यम के सलाहकार के पद पर भी रहे। ये दोनों ही पद एनएसई में चित्रा सुब्रमण्यम की नियुक्ति से पहले नहीं थे।