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केंद्रीय कैबिनेट ने दी 'सार्वजनिक Wi-Fi' नेटवर्क की स्थापना को मंजूरी, एबीआरवाई को मंजूरी

  • by: news desk
  • 09 December, 2020
केंद्रीय कैबिनेट ने दी 'सार्वजनिक Wi-Fi' नेटवर्क की स्थापना को मंजूरी, एबीआरवाई को मंजूरी

नई दिल्ली: कैबिनेट बैठक पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि,'आज बैठक में देश में 1 करोड़ नए डाटा सेंटर खोलने की एक बड़ी योजना, लक्षद्वीप में अंडमान जैसी ब्रॉड बैंड कनेक्टिविटी की योजना और अरुणाचल के ऐसे इलाके जहां टेलीफोन की कोई सुविधा नहीं है वहां 4जी देने का निर्णय केंद्र सरकार ने किया:



केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि कैबिनेट की बैठक में देश में बड़े पैमाने पर पीएम वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस लॉन्च करने का फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि,''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विज़न हैं देश के डिजिटल सशक्तिकरण और देश को डिजिटली मज़बूत करने का। इसी क्रम में PM WANI (प्रधानमंत्री वाय-फाय एक्सेस इंटरफेस) देश में वाय-फाय के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है|



 प्रसाद ने कहा कि,''इसके तहत सबसे पहले एक PDO (पब्लिक डाटा ऑफिस) खोला जाएगा। इस पब्लिक डाटा ऑफिस के लिए न कोई लाइसेंस होगा न कोई रजिस्ट्रेशन न ही कोई फीस। PDA (पब्लिक डाटा एग्रीगेटर) का काम है PDO का ऑथराइजेशन और अकाउंटिंग देखना|पब्लिक बूथ से बड़ी क्रांति ये होगी। गांव-गांव में लोगों के पास वाय-फाय होगा। PM WANI डिजिटल बदलाव का बहुत बड़ा उपकरण बनने वाला है|





रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसके साथ ही कैबिनेट ने कोच्चि और लक्षद्वीप द्वीप समूह के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी के प्रावधान को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया किकैबिनेट ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए व्यापक दूरसंचार विकास योजना के तहत

अरुणाचल और असम के दो ज़िले कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ को 4जी से कनेक्ट करने के लिए कैबिनेट ने USOF स्कीम को अप्रूव किया है। इसके अंतर्गत 2,374 गांव जिसमें 1683 अरुणाचल और 691 असम के दोनों जिलों से हैं। इनमें 1533 4जी मोबाइल टॉवर लगाए जाएंगे|






 केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आत्‍मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत कोविड रिकवरी फेज में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने और नए रोजगार अवसरों को प्रोत्‍साहित किए जाने को मंजूरी दी है।मंत्रिमंडल ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 1,584 करोड़ रुपये की धनराशि और पूरी योजना अवधि 2020-2023 के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्‍यय को अनुमति दी है।




इस योजना की प्रमुख विशेषताएं:

● भारत सरकार 1 अक्‍टूबर, 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए स ब्सिडी प्रदान करेगी।

●जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार दो वर्ष की अवधि के लिए 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान और 12 प्रतिशत नियोक्‍ता योगदान (दोनों) वेतन भत्तों का 24 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान देगी।

● जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी।

●कोई कर्मचारी जिसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्‍थान में काम नहीं कर रहा था जो 1 अक्‍टूबर, 2020 से पहले कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीकृत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल एकाउंट नंबर या ईपीएफ सदस्‍य खाता नंबर नहीं था, वह इस योजना के लिए पात्र होगा।

● कोई भी ईपीएफ सदस्‍य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान 01.03.2020 से 30.09.2020 की अवधि में अपनी नौकरी छोड़ दी और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार 

● प्रदाता संस्‍थान में 30.09.2020 तक रोजगार नहीं मिला है, वह भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है।

● सदस्‍यों के आधार संख्‍या से जुड़े खाते में ईपीएफओ इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा।

● इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।

● ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्‍त तरीका अपनाएगा कि एबीआरवाई और ईपीएफओ द्वारा लागू की गई किसी अन्‍य योजना के लाभ आपस में परस्‍पर व्‍याप्‍त (ओवरलैपिंग) नहीं हुए हैं।





केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार और सूरीनाम सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य और औषधि के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी गई।इस द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन से भारत और सूरीनाम के स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालयों के बीच स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में संयुक्‍त पहल और प्रौद्योगिकी विकास के जरिए सहयोग को प्रोत्‍साहन मिलेगा। इससे भारत और सूरीनाम के बीच द्विपक्षीय संबंध सुदृढ़ होंगे। इससे जन स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में विशेषज्ञता की भागीदारी को बढ़ाकर और विभिन्‍न प्रासंगिक क्षेत्रों में परस्‍पर अनुसंधान गतिविधियों का विकास कर आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा।





दोनों सरकारों के बीच जिन मुख्‍य विषयों में सहयोग किया जाएगा वे इस प्रकार हैं-

1. चिकित्‍सकों, चिकित्‍सा अधिकारियों, अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य पेशेवरों और विशेषज्ञों का आदान-प्रदान और प्रशिक्षण।

2.मानव संसाधन और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सुविधाओं के विकास में सहायता।

3.स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में मानव संसाधन को अंशकालिक प्रशिक्षण प्रदान करना।

4.फार्मास्‍युटिकल्‍स, चिकित्‍सकीय उपकरणऔर प्रसाधन सामग्री संबंधी विनियमन और इस संबंध में सूचना का आदान-प्रदान।

5.फार्मास्‍युटिकल्‍स क्षेत्र में व्‍यवसाय विकास के अवसरों को बढ़ाना।

6.जैविक और अनिवार्य औषधियों की खरीद और औषधि आपूर्ति स्रोतों संबंधी सहायता।

7.चिकित्‍सा उपकरणों और फार्मास्‍युटिकल्‍स उत्‍पादों की खरीद।

8.तंबाकू नियंत्रण।

9.मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का विकास।

10. अवसाद की जल्‍द पहचान और प्रबंधन।

11. डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य एवं टेली-मेडिसिन।

12. अन्‍य कोई भी सहयोग का क्षेत्र, जिसे दोनों पक्ष तय करें।





केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और फाइनेंसियल एंड कमीशन डे सर्विलांस डू सेक्टयूर फाइनेंसर (सीएसएसएफ), लक्समबर्ग के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिएभारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।समझौता ज्ञापन से प्रतिभूति नियमों के क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग को मजबूत करने और आपसी सहायता की सुविधा देने,तकनीकी ज्ञान के उपयोग संबंधी पर्यवेक्षी कार्यों के कुशल प्रदर्शन के लिए योगदान करने तथा भारत और लक्ज़मबर्ग के प्रतिभूति बाजारों को नियंत्रित करने वाले नियमव कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन को सक्षम बनाने की संभावना है।





सीएसएसएफ, सेबीके समान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन के बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (आईओएससीओ एमएमओयू) का सह-हस्ताक्षरकर्ता है।हालांकि आईओएससीओ एमएमओयू के दायरे में तकनीकी सहयोग के प्रावधान नहीं हैं। प्रस्तावित द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनप्रतिभूति कानूनों के प्रभावी प्रवर्तन के लिएसूचना साझा करने के ढांचे को मजबूत करने में योगदान देगा तथा तकनीकी सहायता कार्यक्रम को स्थापित करने में भी सहायता प्रदान करेगा। तकनीकी सहायता कार्यक्रम, पूंजी बाजार;कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण गतिविधियाँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित मामलों में परामर्श के माध्यम से प्राधिकरणों को लाभान्वित करेगा।




भारत में प्रतिभूति बाजार को विनियमित करने के लिएभारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहतभारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना की गई थी। सेबी का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा भारत में प्रतिभूति बाजारों के विकास को बढ़ावा देना व इन्हें विनियमित करनाहै।




सेबी के मुख्य कार्यों में शामिल हैं - पंजीकरण, विनियमन और प्रतिभूति बाजार में काम करने वाले बिचौलियों की निगरानी; स्व-नियामक संगठनों को विनियमित करना और बढ़ावा देना; प्रतिभूति बाजारों से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार अभ्यासों को रोकनाऔर भारत या विदेश के प्राधिकरण को ऐसी जानकारी साझा करना जो कार्यों के कुशल निर्वहन के लिए आवश्यक हो सकती हैं।



लक्समबर्ग का कमीशन डे सर्विलांस डू सेक्टयूर फाइनेंसर (सीएसएसएफ) एक सार्वजनिक कानून इकाई है, जिसके पास प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता है और इसकी स्थापना कानून के तहत 23 दिसंबर,1998को हुई थी। सीएसएसएफ,लक्ज़मबर्ग के संपूर्ण वित्तीय केंद्र (बीमा क्षेत्र को छोड़कर) की विवेकपूर्ण देखरेख के लिए सक्षम प्राधिकरणहै। सीएसएसएफप्रतिभूति बाजार के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए भी कानूनी रूप से उत्तरदायी है।





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