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‘कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता...’ सिंगर भूपिंदर सिंह का मुंबई के अस्पताल में निधन

  • by: news desk
  • 18 July, 2022
‘कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता...’ सिंगर भूपिंदर सिंह का मुंबई के अस्पताल में निधन

मुंबई:  प्रसिद्ध गायक भूपिंदर सिंह का मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया है | ‘कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, करोगे याद तो हर बात याद आएगी, मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे’ जैसे गीत गाने वाले प्रसिद्ध सिंगर भूपिंदर सिंह का सोमवार शाम 7.30 बजे अंधेरी के क्रिटिकेयर अस्पताल में निधन हो गया|  वह 82 वर्ष के थे| उन्हें पेट से संबंधित बीमारी थी| 



उनकी पत्नी मिथाली सिंह ने भूपिंदर सिंह के निधन की पुष्टि की है। 10 दिन पहले ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भूपिंदर की पत्नी मिताली सिंह ने कहा, “उनका आज सोमवार को (18 जुलाई, 2022 को) निधन हो गया और अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा|



गायक भूपेंद्र सिंह ने बॉलीवुड को कई हिट सांग दिए हैं।  दिल ढूंढ़ता है फिर वही’, ‘एक अकेला इस शहर’, ‘किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है’, ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा’,  जैसे ग़ज़लो को अपनी आवाज़ देकर भूपेंद्र सिंह ने इन नज़म को अमर कर दिया है।



पांच दशक के लंबे करियर में गायक भूपिंदर सिंह ने ‘दुनिया छुटे यार न छुटे' (धर्म कांटा), ‘थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान' (सितारा), ‘दिल ढूंढता है' (मौसम), ‘नाम गुम जाएगा' (किनारा) जैसे कई मशहूर गाने दिवंगत गायिका लता मंगेशकर के साथ गाया था| उनकी पत्नी मिताली सिंह भी मशहूर गायिका हैं|



भूपेन्द्र सिंह का जन्म पंजाब के पटियाला में 8 अप्रैल 1939 को हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाबी सिख थे। अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपिन्दर को संगीत से नफ़रत सी हो गयी थी। एक वह भी जमाना था जब भूपिन्दर संगीत को बिल्कुल भी पसन्द नहीं करते थे।



धीरे-धीरे भूपिन्दर में गज़ल गायन के प्रति रुचि जागृत हुई और वह अच्छी गज़लें गाने लगे। शुरू-शुरू में भूपेन्द्र नें आकाशवाणी पर अपना कार्यक्रम पेश किया। आकाशवाणी पर उसकी प्रस्तुतियाँ देखकर दूरदर्शन केन्द्र, दिल्ली में उन्हें अवसर मिला। वहीं से उसने वायलिन और गिटार भी सीखा। सन् 1968 में संगीतकार मदन मोहन ने आल इण्डिया रेडियो पर उसका कार्यक्रम सुनकर दिल्ली से बम्बई बुला लिया। 



सबसे पहले भूपिन्दर ने फ़िल्म हकीकत में मौका मिला, जहाँ उसने "होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा" गज़ल गायी। यह गज़ल तो हिट हुई लेकिन भूपेन्द्र सिंह को इससे कोई खास पहचान नहीं मिली। हालांकि वह कम बजट की फ़िल्मों के लिये बराबर गाते रहे।



इसके बाद भूपेन्द्र ने स्पेनिश गिटार और ड्रम पर कुछ गज़लें पेश कीं। इससे पूर्व वे 1968 में अपनी लिखी और गायी हुई गज़लों की एलपी ला चुके थे। परन्तु इस नये प्रयोग को जब उन्होंने दूसरी एलपी में पेश किया तो सबका ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ। इसके बाद "वोह जो शहर था" नाम से 1978 में जारी तीसरी एलपी से उन्हें खासी शोहरत मिली। गीतकार गुलज़ार ने इस एलपी के गाने 1980 में लिखे थे।



1980 के दशक में भूपेन्द्र सिंह ने बाँगलादेश की एक हिन्दू गायिका मिताली सिंह से शादी कर ली। उसके बाद उन्होंने पार्श्वगायकी से सम्बन्धविच्छेद कर लिया। मिताली-भूपेन्द्र सिंह के नाम से युगल गायिकी में उन्होंने कई अच्छे कार्यक्रम पेश किये जिनसे उनकी शोहरत को चार चाँद लग गये। लेकिन जैसा उन्होंने स्वयं कहा है "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता" उन दोनों के कोई सन्तान नहीं हुई।




भूपेन्द्र सिंह के गाये हुए बेहतरीन यादगार गीत व गज़ल इस प्रकार हैं:

दिल ढूँढता है,

दो दिवाने इस शहर में,

नाम गुम जायेगा,

करोगे याद तो,

मीठे बोल बोले,

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,

किसी नज़र को तेरा इन्तज़ार आज भी है

दरो-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,

खुश रहो अहले-वतन हम तो सफर करते हैं



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