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मुसलमानों का पूरा वोट सपा की तरफ शिफ्ट कर गया....जिससे बसपा को भारी नुकसान हो गया, दलितों ने भी साथ छोड़ दिया....हम कैसे जीतते...: ऐतिहासिक हार की मायावती ने बताई वजह; कार्यकर्ताओं से कही ये बात

  • by: news desk
  • 11 March, 2022
मुसलमानों का पूरा वोट सपा की तरफ शिफ्ट कर गया....जिससे बसपा को भारी नुकसान हो गया, दलितों ने भी साथ छोड़ दिया....हम कैसे जीतते...: ऐतिहासिक हार की मायावती ने बताई वजह; कार्यकर्ताओं से कही ये बात

लखनऊ: UP Election Result 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहे। वहीं सपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही। लेकिन उत्तर प्रदेश की मुखिया रह चुकी बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती की पार्टी बसपा इस चुनाव में सिर्फ एक सीट पर ही कब्जा कर पाई। जबकि कांग्रेस के खाते में भी दो सीटें गईं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक हार पर मायावती ने प्रतिक्रिया दी है| मायावती ने कहा,''कल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा की उम्मीद के विपरीत जो नतीजे आए हैं, उससे घबराकर व निराश होकर पार्टी के लोगों को टूटना नहीं है। उसके सही कारणों को समझकर और सबक सीखकर हमें अपनी पार्टी को आगे बढ़ाना है और आगे चलकर सत्ता में जरूर आना है|


बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा,'' मुस्लिम समाज बसपा के साथ तो लगा रहा परन्तु इनका पूरा वोट समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया, इससे बसपा को भारी नुकसान हुआ... मुस्लिम समाज ने बार-बार आजमाई पार्टी बसपा से ज्यादा सपा पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की है|



यूपी विधानसभा आमचुनाव के परिणाम को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मायावती ने कहा,'' मेरा अपनी पार्टी के लोगों को यह कहना है कि परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी संविधान में पूर्ण आस्था एवं उनके कर्म में अटूट विश्वास रखते हुए एक कर्म-प्रधान पार्टी होने के नाते बी.एस.पी. का परमधर्म अथक प्रयास व संघर्ष करते रहना है जो आज नहीं तो कल जरूर रंग लायेगा तथा यहाँ सभी विरोधी पार्टियों का मिथक तोड़कर सर्वसमाज में से खासकर गरीब, असहाय व कमजोर वर्गों के लोगों के जीवन में जरूर मुस्कान लायेगा।



चुनाव के नतीजों से घबराकर व निराश होकर पार्टी के लोगों को टूटना नहीं है: मायावती :
मायावती ने कहा,''कल यूपी विधानसभा आमचुनाव के बी.एस.पी. की उम्मीद के विपरीत जो नतीजे आये हैं तो उससे घबराकर व निराश होकर पार्टी के लोगों को कतई भी टूटना नहीं है बल्कि उसके सही कारणों को समझकर व उनसे बहुत कुछ सबक सीखकर अब हमें अपनी पार्टी व मूवमेन्ट को फिर से आगे बढ़ाना है तथा आगे चलकर सत्ता में भी जरूर आना है, तभी फिर यहाँ गरीब, असहाय दुःखी, पीड़ित व कमजोर वर्गों के लोगों का सही से भला हो सकता है। और अब तो इनके प्रति जातिवादी मानसिकता रखने वाली पार्टियों के साथ-साथ जातिवादी मीडिया भी, जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है, यह भी नहीं चाहता है कि यहाँ के खासकर दबे-कुचले गरीब व लाचार लोग बाबा साहेब की मूवमेन्ट (मिशन) के मुताबिक चलकर सत्ता की मास्टर चाबी खुद अपने हाथों में लें और उसके लिए वे किसी भी हद तक गिरकर अपना गंदा व घिनौना आदि खेल खेलते रहते हैं।



मायावती ने कहा,''इसीलिए यूपी का वर्तमान चुनाव परिणाम बी.एस.पी के करोड़ों लोगों की रात-दिन की कडी तन, मन, धन की मेहनत का यह वाजिब फल कतई नहीं है. फिर भी बाबा साहेब की अनुयाई पार्टी होने के नाते इस पार्टी के लोगों को अपनी हिम्मत कतई नहीं हारना है, बल्कि पत्थर काट कर रास्ता बनाने का अपना प्रयास व संघर्ष हर हाल में आजीवन जारी रखना है।



ऐसे खराब राजनीतिक हालात बीजेपी ने भी देखें हैं: मायावती 
उन्होंने कहा,''''जबकि ऐसे खराब राजनीतिक हालात बीजेपी ने भी देखें हैं जब आजादी के बाद से काफी लम्बे समय तक देश में राज करने का मौका यहाँ की जनता ने इनको नहीं दिया था, बल्कि यूपी में भी 2017 से पहले भाजपा की स्थिति यहाँ कोई खास अच्छी नहीं थी और अब इसी प्रकार कांग्रेस भी लगभग उसी हालत से गुजर रही है जिस खराब हालात से पहले भाजपा गुजर चुकी है।



कल आये चुनाव परिणाम आगे के लिए सबक: मायावती 
इसीलिए कल आये चुनाव परिणाम आगे के लिए सबक ज़रूर हैं, जिसके परिपेक्ष्य में यहाँ मैं यह कहना ज़रूरी समझती हूँ कि इस चुनाव में पूरे यूपी से मिले फीडबैक के मुताबिक जातिवादी मीडिया अपनी अनवरत गंदी साज़िशों, प्रायोजित सर्वे आदि कार्यक्रमों एवं लगातार निगेटिव प्रचार के माध्यम से खासकर मुस्लिम समाज व भाजपा-विरोधी हिन्दू समाज के लोगों को भी गुमराह करने में यह प्रचारित करके काफी हद तक सफल साबित हुआ है कि बी.एस.पी. भाजपा की बी टीम है तथा यह पार्टी सपा के मुकाबले कम मजबूती से चुनाव लड़ रही है, जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है क्योंकि भाजपा से बसपा की लड़ाई राजनीतिक के साथ-साथ सैद्धान्तिक व चुनावी भी थी।




उन्होंने कहा,''''लेकिन मीडिया द्वारा इस प्रकार के लगातार दुष्प्रचार आदि किये जाने के कारण, भाजपा के अति-आक्रामक मुस्लिम-विरोधी चुनाव प्रचार से मुस्लिम समाज ने एकतरफा तौर पर सपा को ही अपना वोट दे दिया तथा इससे फिर बाकी भाजपा-विरोधी हिन्दू लोग भी बसपा में नहीं आए। यदि ये सभी लोग इन अफवाहों का शिकार न हुए होते तो फिर यूपी का चुनाव परिणाम कतई भी ऐसा नहीं होता जैसाकि हुआ है तथा अब समय बीत जाने के बाद ये लोग दोबारा से जरूर पछताएंगे।



मुस्लिम समाज का वोट दलित समाज के साथ मिल जाता तो भाजपा धराशायी हो जाती: मायावती 

मायावती ने कहा,''''लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि मुस्लिम समाज का वोट यदि दलित समाज के साथ मिल जाता, जैसा कि बंगाल के चुनाव में टीएमसी के साथ मिलकर भाजपा को धराशायी करने का चमत्कार परिणाम दिया था, तो फिर वैसे ही परिणाम यहाँ भी दोहराए जा सकते थे। साथ ही, ये लोग हमेशा इस तथ्य को ऐन वक्त पर भूल जाते हैं कि केवल बसपा ही यूपी में भाजपा को सत्ता में आने से रोक सकती है, सपा नहीं। इनकी इसी गलत सोच का ही यह नतीजा है कि भाजपा फिर से सत्ता में वापिस यहाँ आ गई है। यदि यूपी में तिकोना संघर्ष हुआ होता, जिसकी पूरी-पूरी संभावना भी थी, तब यहाँ यूपी के परिणाम बी.एस.पी की आपेक्षा के मुताबिक आते तथा फिर भाजपा को सत्ता में आने से रोक लिया जाता।



उन्होंने कहा,'''अर्थात् कुल मिलाकर मुस्लिम समाज बी.एस.पी. के साथ तो लगा रहा किन्तु इनका पूरा वोट सपा की तरफ शिफ्ट कर गया और इनके इस गलत फैसले से बसपा को बड़ा भारी नुकसान यह हुआ कि बी.एस.पी.समर्थक अपरकास्ट व ओबीसी समाज की विभिन्न जातियों में भी यह डर फैल गया कि सपा के सत्ता में आने से दोबारा यहाँ जंगलराज आ जाएगा और फिर ये लोग भी भाजपा की तरफ चले गये।



मुस्लिम समाज ने बसपा से ज्यादा सपा पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की: मायावती 
इस प्रकार से भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम समाज ने बार-बार आजमाई हुई पार्टी बी.एस.पी से ज्यादा समाजवादी पार्टी पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की है जिसकी सजा बी.एस.पी. को मिली है वह काफी कड़वी व सीख लेने वाली भी है। इसीलिए इस कड़वे अनुभव को खास ध्यान में रखकर ही अब बी.एस.पी. आगे अपनी रणनीति में बदलाव जरूर लायेगी। लेकिन ऐसे हालात में भी बीएसपी मूवमेन्ट के हित में संतोष की बात यह रही है कि दलितों में से खासकर मेरे खुद के अपने समाज का वोट हमेशा की तरह इस बार भी अपनी मूवमेन्ट व पार्टी की लीडरशिप के साथ चट्टान की तरह पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहा है, जिन पर मैं कितना भी गर्व महसूस करूँ, वह कम ही होगा तथा उनका जितना भी मैं आभार प्रकट करूँ, वह भी कम ही होगा।



अपना मनोबल बिल्कुल नहीं गिरने देना, सफलता फिर एक दिन झक मार कर हमारे कदम जरूर चूमेगी: मायावती
और अब मेरी उन सभी से यह भी अपील है कि उन्हें अपना मनोबल बिल्कुल नहीं गिरने देना है क्योंकि बाबा साहेब के अनुयाई कभी भी अपनी हिम्मत नहीं हारते हैं तथा वे अपना संघर्ष जारी रखते हैं। सफलता फिर एक दिन झक मार कर हमारे कदम जरूर चूमेगी। हमें बाबा साहेब के कारवों को न रुकने देना है न झुकने देना है। साथ ही, हमें यह भी मानकर चलना चाहिये कि अब बुरा वक्त खत्म होने वाला है, क्योंकि पूरा खून-पसीना बहाने के बावजूद भी जो यूपी का इस बार परिणाम आया है तो उससे बुरा और क्या हो सकता है? अर्थात पार्टी के लोगों को निराश व हताश कतई नहीं होना है और अपने स्वाभिमान व मूवमेन्ट की सफलता के लिए पहले की तरह ही पूरे जी-जान से पार्टी के कार्य में लगे रहना है।



दूसरे दलित और हिंदुओं के वोट सपा की गुंडागर्दी-आतंकवाद को याद करते हुए बीजेपी में चले गए :मायावती
इसके अलावा, इस बार यूपी में पार्टी के आपेक्षा के मुताबिक नतीजे नहीं आने को लेकर फिर से मैं उन्हें यह कहना चाहती हूँ कि इस बार चुनाव में मुसलमानों का वोट एकतरफा सपा की ओर जाते देखकर, दलित वर्ग में से मेरे खुद के समाज को छोड़कर बाकी सभी हिन्दू समाज ने सपा के रहे गुण्डा, माफिया, आतंकी व भ्रष्टराज को याद करके तथा यह सोचकर कि कहीं हिन्दूओं का वोट बंटने में सपा सत्ता में वापिस ना आ जाये। इसके डर से इन्होंने बीजेपी की नीतियों व कार्यशैली से दुःखी व परेशान होते हुये भी अपना एकतरफा वोट बीजेपी को अन्दर-अन्दर ट्रांसफर कर दिया जिसने फिर बी.एस.पी. को सन् 1977 में कांग्रेस पार्टी की हुई स्थिति की तरह यहाँ इस चुनाव में लाकर खड़ा कर दिया है, हालाँकि इसके बाद फिर अगले हुये चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूर्व की तरह यूपी सहित देश के अन्य राज्यों में भी पुनः सत्ता में वापिस आ गयी थी।



राजनीति में कभी-कभी वर्तमान की तरह ऐसे उतार-चढ़ाव भी आते :मायावती 

कहने का तात्पर्य यह है कि राजनीति में कभी-कभी वर्तमान की तरह ऐसे उतार-चढ़ाव भी आते हैं जिससे अपनी पार्टी के लोगों को भी दःखी होकर शान्त बैठने की बजाय या इधर-उधर भटकने की बजाय, ऐसी बदली हुई परिस्थितियों का भी मुकाबला करने के लिए अपनी वर्तमान रणनीति में परिवर्तन करके आगे बढ़ना होगा और इसके लिए बाबा साहेब के राजनैतिक जीवन संघर्ष व उनकी सोच को भी ध्यान में रखकर अपनी पार्टी के जनाधार को फिर से कैडर के ज़रिये आगे बढ़ाना है।




 साथ ही, इस मामले में हमें यह भी याद रखकर आगे बढ़ना है कि कांग्रेस ने बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को अपने रास्ते का रोडा मानकर इनको सीधे चुनाव में कामयाब नहीं होने दिया था। लेकिन उन्होंने इससे भी अपनी हिम्मत नहीं हारी थी और फिर यहाँ जातिवादी-व्यवस्था के शिकार हुये लोगों को एक जुट व संगठित होकर उन्हें राजनीति में आगे आने की सलाह दी थी ताकि फिर वे सत्ता के ज़रिये अपना खुद विकास व उत्थान आदि कर सकें, जैसाकि हमने यू.पी. में चार बार करके भी दिखाया है। साथ ही, उन्होंने उस समय कांग्रेस जैसी अन्य उन सभी जातिवादी पार्टियों से भी अलग रहने की भी सलाह दी थी जिनकी जातिवादी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आ रहा था। इसलिए इन सब बातों को भी ध्यान में रखकर अपनी पार्टी के लोगों को फिर से यहाँ अपनी पार्टी व मूवमेन्ट को आगे बढ़ना है।



.....पूरे तन, मन, धन से भाजपा को हराने के लिए यहाँ लगे रहे
मैं बी.एस.पी. के सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं एवं अनुयाइयों के साथ-साथ सर्वसमाज के उन सभी लोगों का भी ह्रदय से आभार प्रकट करती हूँ जिन्होंने बी.एस.पी. को जिताने के लिए यहाँ दिन-रात काफी कड़ी मेहनत की है तथा पूरे तन, मन, धन से भाजपा को हराने के लिए यहाँ लगे रहे। साथ ही, उत्तराखण्ड व पंजाब राज्य के भी पार्टी के अपने सभी छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं एवं अनुयाइयों का भी मैं पूरे तहेदिल से आभार प्रकट करती हूँ जिन्होंने वहाँ पार्टी को कामयाब बनाने की पूरी-पूरी कोशिश की है। हालाँकि इन राज्यों में भी हमें उम्मीद के मुताबिक सही सफलता नहीं मिली है जिसका पार्टी को काफी दुःख व चिन्ता भी है|



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