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MP: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी, लाखों रुपये लेकर कंपनी हुई फरार, केस दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रहे किसान, कृषि मंत्री बोले- हमें जानकारी नहीं

  • by: news desk
  • 12 February, 2021
MP: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी, लाखों रुपये लेकर कंपनी हुई फरार, केस दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रहे किसान, कृषि मंत्री बोले- हमें जानकारी नहीं

बैतूल/भोपाल:केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन आज 78वां दिन है| इस बीच मध्य प्रदेश के बैतूल में किसानों के साथ धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ|नए कृषि नियमों में केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात की है| सरकार का मानना है कि इससे किसानों को फायदा होगा, लेकिन मध्यप्रदेश के बैतूल में जो मामला सामने आया है, उससे इन दावों पर सवाल खड़ा होता है|




मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सैकड़ों किसानों ने 2018 में सहजन (ड्रमस्टिक) की खेती करने के लिए एक कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट किया था।अब ये कंपनी किसानों को धोखा देकर गायब हो चुकी है। कंपनी से कोई संप‍र्क नहीं हो पा रहा है और कॉन्ट्रैक्ट करने वाले सैकड़ों किसान कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रयासरत है।



 बैतूल में किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी पर डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर के.पी. भगत ने कहा,''लगभग 97 किसानों के द्वारा इंदौर की एक कंपनी के साथ पौधे लगाने का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। किसानों ने पैसे कंपनी को दिए थे। कुछ किसानों को कंपनी ने पौधे दिए हैं। मामले की जांच जारी है|




बैतूल में किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में धोखाधड़ी पर मध्य प्रदेश कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि,'' हमारी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं आया। अगर ऐसा है तो कार्रवाई की जाएगी। कंपनी की संपत्ति कुर्क करके किसानों को भुगतान किया जाएगा|





मामला –मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम भैसदेही में पांच एकड़ जमीन के मालिक नदीम खान के अनुसार राज्य के हॉर्टिकल्चरल डिपार्टमेंट ने यूडब्ल्यूईजीओ एग्री सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के बारे में गांव के किसानो से वार्ता की थी। नदीम खान ने बताया मैंने ड्रमस्टिक फार्मिंग के लिए राज्य के हार्टिकल्चरल विभाग की सिफारिशों के आधार पर सितंबर 2018 में कंपनी के साथ एक अनुबंध पर साइन किये थे जिसके तहत मुझे पौधारोपण के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ का भुगतान करना था। मैंने दो एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन कराया था, और 40,000 रुपये जमा भी कराये थे। मुझे पौधे नहीं मिले और इस बारे में मैंने पहली बार 17 सितंबर, 2019 को जिला कलेक्टर के यहां शिकायत की थी। इसके बाद मैंने कई बार शि‍कायत की लेकिन कुछ नही हुआ।




नदीम के साथ ऐसे करीब 200 किसान हैं, जिन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए साइन किए थे, लेकिन उन्हें बीज या पौधे तक नहीं दिए गए| 



बैतूल जिला प्रशासन ने कृषि विभाग से जांच कराने के लिए कहा लेकिन इस जांच का कुछ भी नतीजा नहीं निकला। जांच टीम का हिस्सा रहे डिप्टी डायरेक्टर केपी भगत ने कहा कि किसानों ने जिला कलेक्टर से संपर्क किया था। उनके निर्देश पर हम जांच कर रहे हैं। हमें 97 किसानों की सूची मिली है और हमने कंपनी को समन भी भेजा है। कृषि विभाग के अनुसार कंपनी ने 125 एकड़ भूमी पर सहजन की खेती के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए और किसान से पौधारोपण के लिए 20,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पैसा जमा करवाया। साथ ही कंपनी ने उपज खरीदने का आश्वासन दिया। बता दे कि अब कंपनी गायब है। 











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