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मज़दूरों की मौत के आंकड़े' वाले बयान पर यशवंत सिन्हा का मोदी सरकार पर हमला, बोले-मज़दूरों के हत्यारे, मरने वालों का आंकड़ा तक नही है, चले है..

  • by: news desk
  • 16 September, 2020
मज़दूरों की मौत के आंकड़े' वाले बयान पर यशवंत सिन्हा का मोदी सरकार पर हमला, बोले-मज़दूरों के हत्यारे, मरने वालों का आंकड़ा तक नही है, चले है..

नई दिल्ली: : पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है| यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के उस जवाब पर तीखा हमला बोला है, जिसमें सरकार ने कहा था कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत पर कोई आंकड़ा नहीं है, ऐसे में मुआवजे का सवाल नहीं उठता है|उन्होंने कहा,' मज़दूरों के हत्यारे, जिनके पास मरने वालों का आंकड़ा तक नही है, वे चले है बिहार की सफाई करने।




पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने ट्वीट में लिखा है,''मज़दूरों के हत्यारे, जिनके पास मरने वालों का आंकड़ा तक नही है, वे चले है बिहार की सफाई करने।




सिन्हा ने कहा,''नरेंद्र मोदी और नीतीश के प्रयासों से बिहार अब स्वर्ग बन गया है। 25 सितंबर तक कोरोना भी खत्म हो जाएगा। बाकी जो बचा है वह गॉड और छठ मैया के आशीर्वाद से छठ तक पूरा हो जाएगा। राजग को वोट दीजिये और 5 साल और भोंकार पार कर रोइये।




पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा,''गंदा पानी से गंदा पानी साफ नही होता है। उसके लिए साफ पानी चाहिए।




बता दें कि (सोमवार, 14 सितंबर) संसद में केंद्र सरकार ने पूछा गया था कि लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई, क्या सरकार के पास इसके संबंध में कोई डाटा है। इस पर केंद्र ने कहा कि सरकार के पास प्रवासी मजदूरों की मौत की संख्या को लेकर कोई डाटा उपलब्ध नहीं है।



दरअसल, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय से लोकसभा में जानकारी मांगी गई थी कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि कितने प्रवासी मजदूरों ने अपने मूल निवास लौटने की कोशिश में जान गंवाई और क्या सरकार के पास राज्यवार आंकड़ा मौजूद है।इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्रालय ने कहा कि 25 मार्च से लगाए गए लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण होने वाली प्रवासी मजदूरों की मौतों की संख्या पर सरकार के पास कोई आंकड़ा या डाटा नहीं है।




 मंत्रालय ने कहा कि चूंकि इस तरह का डेटा नहीं जुटाया गया था, इसलिए पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजे का सवाल ही नहीं उठतागौरतलब है कि 68 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान कई प्रवासी श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई।इस दौरान सैकड़ों मील चले कई मजदूरों की या तो भूख-प्यास से मौत हो गई थी फिर कुछ सड़क हादसों में मारे गए थे|







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