नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार भले ही किसानों से बातचीत को लेकर बयान दे रहे हों, लेकिन दूसरी तरफ से इस आंदोलन को कहीं न कहीं नए रंग देने की कोशिश भी हो रही है| अब सरकार के मंत्रियों ने भी आंदोलन को नक्सलवाद और माओवाद से जोड़ना शुरू कर दिया है| केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अगर प्रदर्शन को नक्सलियों और माओवादियों से मुक्त किया जाता है तो हमारे किसान जरूर समझेंगे कि ये कानून उनके और देश के हित में हैं|
कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि,'एक किसान के कुछ नेताओं ने इस आंदोलन को हाइजैक कर लिया है। नक्सल-माओवादी ताक़तें जो वहां हावी हो गई हैं...ऐसे में किसानों को समझना पड़ेगा कि ये आंदोलन उनके हाथ से निकल कर इन माओवादी और नक्सल लोगों के हाथ में चला गया है|
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि,''हमने उनकी पुरानी बातों में से निचोड़ निकालकर जो उनके संदेह नज़र आए उस पर एक बहुत अच्छा प्रपोजल दिया लेकिन उस पर भी कोई चर्चा करने को तैयार नहीं है। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि माओवादी और नक्सल उन्हें चर्चा से रोक रहे हैं|
उन्होंने आगे कहा कि,''सबका विश्वास रहता है कि हमारे लीडर हमारा ध्यान रखेंगे पर शायद यहां ऐसे लीडर हैं ही नहीं। ऐसा डर का माहौल इन नक्सल लोगों ने बना दिया है कि जो किसान नेता असल मुद्दों की बात करना भी चाहते हैं तो किसी में हिम्मत ही नहीं बन पा रही है क्योंकि ये डरा देते हैं|