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APMC को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी, बोले रणदीप सुरजेवाला-मोदी सरकार ने खेत-खलिहान, अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया

  • by: news desk
  • 12 September, 2020
APMC को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी, बोले रणदीप सुरजेवाला-मोदी सरकार ने खेत-खलिहान, अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि पांच जून को अध्यादेश के जरिए भाजपा ने तीन केंद्रीय कानूनों को प्रवर्तित कर दिया। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा किसानों को गुलाम बनाने के लिए 'ईस्ट इंडिया कंपनी' की तरह व्यवहार कर रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "पहले मोदी सरकार किसानों का जमीन का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई और अब सरकार किसानों के उत्पाद का अधिग्रहण करने के लिए कानून लेकर आई है।



कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ''मोदी सरकार ने खेत-खलिहान-अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का क्रूर प्रहार किया है।  ये ‘काले कानून’ देश में खेती व करोड़ों किसान-मज़दूर-आढ़ती को खत्म करने की साजिश के दस्तावेज हैं।उन्होंने कहा कि,'' 'हरित क्रांति’ को हराने की भाजपाई साजिश नहीं होने देंगे कामयाब!




कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,''अनाज मंडी-सब्जी मंडी यानि APMC को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत| मोदी सरकार का दावा है कि अब किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है, यह सरासर झूठ है। लेकिन सच क्या है?




कांग्रेस नेता ने कहा कि,''कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश के 86% किसान 5 एकड़ से कम भूमि के मालिक हैं। जमीन की औसत मल्कियत 2 एकड़ या उससे कम है। ऐसे में 86% किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कहीं और ट्रांसपोट कर न ले जा सकता या बेच सकता है|




रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,''कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में ‘शांता कुमार कमेटी’ की रिपोर्ट लागू करना चाहती है, ताकि FCI के माध्यम से MSP पर खरीद ही न करनी पड़े और सालाना 80,000 से 1 लाख करोड़ की बचत हो




कांग्रेस नेता ने कहा कि,''‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ की रबी 2020-21 की रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया कि सरकार किसानों से दाल खरीदकर स्टॉक करती है और दाल की फसल आने वाली हो, तो उसे खुले बाजार में बेच देती है। इससे किसानों को बाजार भाव नहीं मिल पाता|




रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,''तीनों अध्यादेश ‘संघीय ढांचे’ पर सीधे-सीधे हमला हैं। ‘खेती’ व ‘मंडियां’ संविधान के सातवें शेड्यूल में प्रांतीय अधिकारों के क्षेत्र में आते हैं। परंतु मोदी सरकार ने प्रांतों से राय करना तक उचित नहीं समझा|




कांग्रेस नेता ने कहा कि,''महामारी की आड़ में ‘किसानों की आपदा’ को मुट्ठीभर ‘पूंजीपतियों के अवसर’ में बदलने की साजिश को देश का अन्नदाता किसान कभी नहीं भूलेगा। भाजपा की सात पुश्तों को इस किसान विरोधी दुष्कृत्य के परिणाम भुगतने पड़ेंगे|





रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,''किसान-खेत मजदूर-आढ़ती-अनाज व सब्जी मंडियों को जड़ से खत्म करने के तीन काले कानूनों की सच्चाई 10 बिंदुओं से उजागर होती है- 1. APMC को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। ऐसे में किसानों को न तो MSP मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत।




2. अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था किसान की फसल की सही कीमत,वजन व बिक्री की गारंटी है अगर किसान की फसल मुट्ठीभर कंपनियां मंडी में सामूहिक खरीद की बजाय उसके खेत से खरीदेंगे तो मूल्य निर्धारण, वजन व कीमत की सामूहिक मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी स्वाभाविक तौर से नुकसान किसान को होगा




3.मोदी सरकार का दावा- अब किसान अपनी फसल देश में कही भी बेच सकता है, पूरी तरह सफेद झूठ है कृषि सेंसस 2015-16 के मुताबिक देश का 86% किसान 5acre से कम भूमि का मालिक है ऐसे में 86% किसान अपनी उपज नजदीक अनाज मंडी-सब्जी मंडी के अलावा कही और ट्रांसपोर्ट कर न ले जा सकता न बेच सकता



4. मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी रोटी और आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी।




5.  अनाज-सब्जी मंडी व्यवस्था खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी। प्रांत ‘मार्केट फीस’ व ‘ग्रामीण विकास फंड’ के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते हैं व खेती को प्रोत्साहन देते हैं। 




6. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में ‘शांता कुमार कमेटी’ की रिपोर्ट लागू करना चाहती है,ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े व सालाना 80,000 से 1 लाखCr की बचत हो इसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव खेत खलिहान पर पड़ेगा




7. अध्यादेश के माध्यम से किसान को ‘ठेका प्रथा’ में फंसाकर उसे अपनी ही जमीन में मजदूर बना दिया जाएगा। क्या 2 से 5 एकड़ भूमि का मालिक गरीब किसान बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ फसल की खरीद फरोख्त का कॉन्ट्रैक्ट बनाने, समझने व साईन करने में सक्षम है? साफ तौर से जवाब नहीं में है!



8. कृषि उत्पाद,खाने की चीजों व फल-फूल-सब्जियो की स्टॉक लिमिट को पूरी तरह से हटाकर आखिरकार न किसान को फायदा होगा और न ही उपभोक्ता को बस चीजो की जमाखोरी-कालाबाजारी करने वाले मुट्ठीभर लोगो को फायदा होगा वो सस्ते भाव खरीदकर, कानूनन जमाखोरी कर महंगे दामों पर चीजों को बेच पाएंगे



9. अध्यादेशों में न तो खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का कोई प्रावधान है और न ही जमीन जोतने वाले बंटाईदारों या मुजारों के अधिकारों के संरक्षण का। ऐसा लगता है कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। 



10. ‘खेती’ व ‘मंडियां’ संविधान के 7वे शेड्यूल में प्रांतीय अधिकारों के क्षेत्र में आते है। परंतु मोदी सरकार ने प्रांतों से राय करना तक उचित नहीं समझा। खेती का संरक्षण और प्रोत्साहन स्वाभाविक तौर से प्रांतों का विषय है, परंतु उनकी कोई राय नहीं ली गई।






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