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नोटबंदी के बाद 'पहले कारोबार और फिर अर्थव्यवस्था' क्यों टूट गई, असहाय- गरीब और कमजोर लोगों की बलि क्यों ली गई?: नकली नोटों की संख्या बढ़ने के बाद प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार से पूछे कई सवाल

  • by: news desk
  • 30 May, 2022
नोटबंदी के बाद 'पहले कारोबार और फिर अर्थव्यवस्था' क्यों टूट गई, असहाय- गरीब और कमजोर लोगों की बलि क्यों ली गई?: नकली नोटों की संख्या बढ़ने के बाद प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार से पूछे कई सवाल

नई दिल्ली:   नोटबंदी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा है| साथ ही कांग्रेस महासचिव ने कई सवाल भी पूछा है|दरअसल,''भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक,'' 500 रुपये के जाली नोट में 102 प्रतिशत और 2,000 रुपये के जाली नोट में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई| ये दोनों नोट 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने नोट पर प्रतिबंध लगाने के बाद जारी किए गए थे| गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने काले धन -नकली नोटों की समस्या खत्म करने के घोषित उद्देश्य के साथ आठ नवंबर, 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के पुराने नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा की |थी| नोटबंदी के दौरान कई लोगों की मौत हुई थी|



कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा, पिछले एक साल में बाजार में 500 के नकली नोट दोगुने हो गए हैं। इनमें 101.9% की बढ़ोतरी हुई है| प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार से पूछा-,असहाय, गरीब और कमजोर लोगों की बलि क्यों ली गई? 'नोटबंदी का वही लक्ष्य था? तो नकली नोट कम क्यों नहीं हुए?



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा,;; तीर्थराजी देवी ( मृतक तीर्थराजी देवी की फोटो शेयर करते हुए) की उम्र 60 साल थी। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में रहती थीं। पेट पालने के लिए मजदूरी करती थीं। तीर्थराजी के पति कपड़े धुलने काम करते थे और थोड़े-बहुत पैसे कमाते थे। हाड़तोड़ मेहनत से तीर्थराजी ने हजार-हजार के दो नोट जुटाए थे। यही उनके जीवन की पूंजी थी। पूरी जिंदगी की कमाई। हर इंसान की तरह उन्हें भी लगा होगा कि ये पैसे मुश्किल दिनों में काम आएंगे। 



प्रियंका गांधी ने कहा,''8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री जी अचानक टीवी पर आए और बोले कि आज से 1000 और 500 के नोट नहीं चलेंगे। पूरे देश की आम जनता में अफरातफरी मच गई। क्या करना है, क्या नहीं करना है, इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता था। चारों तरफ अफवाहें थीं। इस ऐलान के अगले दिन बैंक बंद थे। 



प्रियंका गांधी ने कहा,''तीर्थराजी ने किसी से सुना कि पुराने नोट अब नहीं चलेंगे। वे अपना पैसा जमा कराने के लिए बैंक पहुंच गईं। बैंक के दरवाजे पर ताला लगा था। तीर्थराजी सामने की सीढ़ियों पर बैठ गईं। किसी राहगीर ने उनसे पूछा कि वे वहां क्यों बैठी हैं? उन्होंने अपने आंचल में बंधा पैसा दिखाया कि इसे जमा कराना है। उस व्यक्ति ने कहा, ये नोट अब नहीं चलेंगे। घर जाओ। इतना सुनने के बाद तीर्थराजी वहीं लुढ़क गईं और उनकी मौत हो गई। 



पूरे देश में इसी तरह दर्जनों लोगों की मौतें हुई थीं। लाइन में लगकर तमाम लोगों ने जान गवां दी थी। एक से दो महीने के अंदर मौतों का आंकड़ा 400 से 500 के बीच पहुंच गया था। सवाल पूछा गया तो सरकार ने कहा कि इससे काला धन खत्म हो जाएगा। मार्केट से जाली नोट खत्म हो जाएंगे। दिन बदलने के साथ सरकार रोज नियम बदल रही थी और हर दिन नया लक्ष्य बता रही थी। कहा गया था कि नक्सलवाद और आतंकवाद भी खत्म हो जाएंगे। 



लेकिन असल में हुआ क्या? 

पिछले एक साल में बाजार में 500 के नकली नोट दोगुने हो गए हैं। इनमें 101.9% की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह 2000 के नकली नोट 54.16% बढ़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक कह रहा है कि 2021-22 में नकली नोटों की संख्या काफी बढ़ गई है। क्या सरकार ने जो बताया था, नोटबंदी का वही लक्ष्य था? तो नकली नोट कम क्यों नहीं हुए? नोटबंदी के बाद पहले कारोबार और फिर अर्थव्यवस्था क्यों टूट गई? क्या मनमोहन सिंह जी की वह बात सही नहीं थी कि नोटबंदी दरअसल एक तरह की संगठित लूट है? 



सबसे बड़ा सवाल, तीर्थराजी देवी जैसे असहाय, गरीब और कमजोर लोगों की बलि क्यों ली गई?



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