नई दिल्ली: कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए किसानों को आज 12 दिन हो गए हैं। किसान हर हाल में तीनों कानूनों को निरस्त करवाने के लिए डटे हुए हैं। इसके समर्थन में किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इस बीच ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दल दोहरा रवैया अपना रहे हैं। विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि,'' आज हम विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, NCP और उनके सहयोगी दलों के शर्मनाक दोहरे चरित्र को देश के सामने बताने आए हैं। आज जब इनका राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है तो अपना वजूद बचाने के लिए ये किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं|
प्रसाद ने कहा कि,किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएं। हम उनकी इन भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है|
प्रसाद ने कहा कि,''किसानों से संबंधित सुधारों को लेकर जो कानून बने हैं, उसको लेकर कुछ किसान संगठनों ने जो शंका उठायी है उसके लिए चर्चा हो रही है, वो चर्चा की अपनी प्रक्रिया है जो सरकार कर रही है। लेकिन अचानक तमाम विपक्षी या गैर भाजपाई दल कूद गए हैं|
केंद्रीय मंत्री ने कहा,''कांग्रेस पार्टी ने 2019 के चुनाव में अपने चुनाव घोषणा पत्र में साफ-साफ कहा है कि एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट एक्ट को समाप्त करेगी और किसानों को अपनी फसलों के निर्यात और व्यापार पर सभी बंधनों से मुक्त करेगी| शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। जिसमे उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए|
प्रसाद ने कहा कि,''आज जो हमने काम किया है,8-9 साल पहले मनमोहन सिंह जी की सरकार ये कर रही थी, 2005 में शरद पवार ये बोल रहे थे। जिस समय शरद पवार ये बोल रहे थे कि अगर आप सुधार नहीं करोगे तो हम वित्तीय समर्थन देना बंद कर देंगे। उस समय मनमोहन सिंह जी की सरकार का समर्थन सपा, RJD, CPI और अन्य दल कर रहे थे|