नई दिल्ली : राफेल डील केस को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार किया| कांग्रेस पर तंज कसते हुए 'बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार को कहा, 'INC (इंडियन नेशनल कांग्रेस) का मतलब है-आई नीड कमीशन| बताते चलें कि,' राफेल डील को लेकर एक और खुलासा हुआ है| फ्रेंच मैगजीन ‘मीडियापार्ट’ ने खुलासा किया है कि राफेल डील के लिए विमान बनाने वाली ‘दसॉल्ट एविएशन’ कंपनी ने 65 करोड़ की घूस दी थी| रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि रिश्वत के इस खेल की जानकारी भारतीय एजेंसी सीबीआई और ईडी को भी थी लेकिन दोनों खामोश रहीं|
रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कथित राफेल घोटाले को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला|उन्होंने कहा कि,''मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए एक "Operation Cover-up" चल रहा है और वह फिर से उजागर भी हो रहा है| पूरे मामले को रफादफा करने की कोशिश हो रही है| 2018 में इसी मामले को दबाने के लिए CBI में तख्ता पलट किया गया| कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ₹ 41,205 करोड़ रुपये का घोटाले का आरोप लगाया है|
इसके बाद बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर पलटवार किया| 'बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि,'''2019 के चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने, खासकर कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से एक झूठा माहौल बनाने की चेष्टा राफेल को लेकर किया था वो हम सभी ने देखा था। उनको लगता था कि इससे उनको कोई राजनीतिक फायदा होगा| आज हम आपके सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज रखने वाले हैं, ताकि भ्रष्टाचार किसके कालखंड में हुआ ये बताएगा।
संबित पात्रा ने कहा कि,''फ्रांस के एक मीडिया संस्थान ने कुछ वक्त पहले ये खुलासा किया कि राफेल में भ्रष्टाचार हुआ था| राफेल का विषय कमीशन की कहानी थी, बहुत बड़े घोटाले की साजिश थी। ये पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ|
उन्होंने कहा कि,''राहुल गांधी जी जवाब दें - राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों किया? आज ये खुलासा हुआ है कि उन्हीं की सरकार में पार्टी ने 2007 से 2012 के बीच में राफेल में ये कमीशनखोरी हुई है, जिसमें बिचौलिए का नाम भी सामने आया है।
पात्रा ने कहा कि,''INC means- ''I Need Commission'' सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा सब कहते हैं- I Need Commission. जीप घोटाला, बोफोर्स घोटाला, टाट्रा ट्रक घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला, जहां कमीशन वहां कांग्रेस है।
गौरतलब है कि Mediapart रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉ ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन (बिचौलिये) को करीब 7.5 मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन या 65 करोड़ रुपये ) का भुगतान किया और भारतीय एजेंसियां, दस्तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं|
मीडिया पार्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 'सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के पास अक्टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉ ने राफेल जेट के बिक्री सौदे को हासिल करने के लिए सुशेन गुप्ता को घूस दी|
मीडियापार्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक बिचौलिए सुशेन गुप्ता को 65 करोड़ की राशि रिश्वत के रूप में दी गई थी| रिपोर्ट में लिखा है कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं, जिसमें डसॉल्ट एविएशन और उसके बिजनेस पार्टनर थेल्स (एक रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म) ने बिचौलिए गुप्ता को डील करवाने के लिए गुप्त कमीशन के रूप में 7.5 मिलियन यूरो (65 करोड़ रुपये) को ट्रांसफर किया है|
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय एजेंसियों (सीबीआई और ईडी) के पास इस डील से जुड़े रिश्वत के खेल के दस्तावेज भी मौजूद थे लेकिन इन एजेंसियों ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की| रिश्वत कांड में ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फेक चालान को शामिल किया गया था| रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संघीय पुलिस बल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सहयोगियों के पास, इस मामले में अक्टूबर 2018 से ही सबूत मौजूद हैं|
रिपोर्ट में कहा गया है, 'राफेल पेपर्स' पर मीडियापार्ट की तफ्तीश के कारण फ्रांस को जुलाई माह में भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच शुरू करनी पड़ी| रिपोर्ट के अनुसार,'सुशेन गुप्ता पर मॉरीशस में रजिस्टर्ड एक 'शैल कंपनी' के जरिये अगस्तावेस्टलैंड से रिश्वत लेने का आरोप है| मॉरीशस प्रशासन, जांच के लिए इस कंपनी से संबंधित दस्तावेज सीबीआई और ईडी को भेजने पर सहमत हो गया था| यह दस्तावेज सीबीआई के पास 11 अक्टूबर, 2018 को, राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार की आधिकारिक तौर पर शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद भेजे गए थे| मीडियापार्ट के अनुसार, 'इसके बाद भी सीबीआई ने जांच शुरू नहीं करने का निर्णय लिया|