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विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच राज्यसभा में तीन लेबर कोड बिल समेत कई विधेयक पारित, राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

  • by: news desk
  • 23 September, 2020
विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच राज्यसभा में तीन लेबर कोड बिल समेत कई विधेयक पारित, राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

नई दिल्ली:  विपक्ष द्वारा लगातार तीसरे दिन मानसून सत्र का बहिष्कार करने के बीच विधायी कामकाज के पूरा होने के बाद बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा मानसून का जो सत्र 1 अक्तूबर तक चलने वाला था उसे कोरोना महामारी के मद्देनजर अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा स्थगित करने से पहले आज यानि बुधवार को कई बिलों को मंजरि दे दी गई| राज्यसभा ने जम्मू और कश्मीर राजभाषा विधेयक, 2020 पारित किया।




राज्यसभा में उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020 और औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 बिल और अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक, 2020 भी पारित हुआ। इसके अलावा राज्यसभा में विदेशी अभिदाय (विनिमयन) संशोधन विधेयक, 2020 और तीन लेबर कोड बिलों को भी पारित कर दिया गया है|




कृषि व अन्य विधेयकों को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और सभी दल सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं| विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही के बॉयकॉट के बावजूद राज्यसभा में आज (बुधवार) तीन लेबर कोड बिलों समेत कई विधेयकों को पारित कर दिया गया है|तीन लेबर कोड बिलों को कल लोकसभा में पारित किया गया था|आज यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गए|अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएंगे| सरकार का दावा है कि यह बिल श्रम क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे|




-संसद ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें पांच भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और डोगरी को केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान है।



शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने राज्यसभा में जम्मू कश्मीर आधिकारिक भाषा बिल, 2020 को लेकर कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर में एक आधिकारिक भाषा के रूप में पंजाबी को इस विधेयक में शामिल नहीं किया जा रहा है। पंजाबी उत्तर भारत की सबसे समृद्ध और प्राचीनतम भाषा है, जिसकी अपनी लिपि गुरुमुखी है।



उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य का एक हिस्सा था और उसके बाद भी पहले डोगरा महाराजा, महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति थे। उस समय से लाखों पंजाबी जम्मू-कश्मीर में बस गए। जम्मू और कश्मीर के संविधान में पंजाबी उनकी आधिकारिक भाषा के रूप में वहां थी।




-राज्यसभा ने श्रम कानून में सुधारों से संबंधित तीन प्रमुख विधेयकों को पारित किया। राज्यसभा ने 'व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की स्थिति कोड, 2020', 'औद्योगिक संबंध कोड 2020' और ' सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020' को पारित कर दिया है। लोकसभा ने कल इन विधेयकों को पारित कर दिया था।




-राज्यसभा ने 'अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक', 2020 को पारित किया। लोकसभा ने 20 सितंबर को यह विधेयक पारित किया था।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक' समाशोधन प्रणाली के बाहर द्विपक्षीय आधार पर दर्ज किए गए वित्तीय अनुबंधों को शामिल करता है। यह वित्तीय नियामकों आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई आदि को सशक्त करेगा। वे योग्य वित्तीय ठेकेदार के रूप में इसके दायरे में अनुबंध को अधिसूचित करेंगे।



वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक' पारित हो जाता है, तो भारत की वित्तीय स्थिरता पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा और हमारे पास एक बड़ा बाजार होगा, जिसके परिणामस्वरूप व्यापार में अधिक से अधिक किफायती संसाधन होंगे।



-राज्यसभा ने बुधवार को विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक 2020 को मंजूरी दे दी जिसमें विदेशी अंशदान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता के लिए जरूरी प्रावधान किए गए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक किसी गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के खिलाफ नहीं है बल्कि उन एनजीओ के हित में है जो पूरी पारदर्शिता के साथ अपना काम कर रहे हैं।




-संसद ने बुधवार को तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी|राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया| इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया|




तीन लेबर कोड विधेयकों पर लोक सभा में कल यानि मंगलवार को चर्चा करते हुए श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम क़ानूनों में सुधार की पहल को मील का श्रमिक कल्याण के लिए पत्थर बताया था। इस तरह के व्यापक सुधार 73 साल में पहली  बार हुए हैं ।



तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर  केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था,''केन्द्रीय श्रम कानूनों की संख्या अधिक होने से और वह 70 साल पुराने होने से अनेक दिक्कतें आती थीं। वह दूर करने के लिए 29 कानूनों को अब 4 कोड में समाहित  किया है। इससे श्रमिकों को जल्दी फायदा एवं न्याय मिलेगा।



गंगवार ने कहा था,'भारत की आजादी के 73 वर्ष के बाद 50 करोड़ संगठित एवं असंगठित श्रमिकों को वेतन सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा देने का काम हो रहा है|असंगठित क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि का निर्माण के साथ-साथ महिला श्रमिकों  को सभी क्षेत्रों में काम की इजाजत।रात्रि में काम करने वाली महिला श्रमिक बहनों को वाहन एवं सुरक्षा की व्यवस्था होगी  एवं भवन निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक कहीं भी जायें  तो उनक लिए बनाए गए फंड से उनको मदद मिलेगी।




गंगवार ने कहा था, ई.एस.आई.सी. (श्रमिक  बीमा और उपचार सुविधा)। थोड़े से अंशदान से  ई.एस.आई.सी. के हॉस्पीटल और दवाखाने से मुफ्त इलाज की सुविधा होगी। ई.एस.आई.सी. के दरवाजे अब असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों  के लिए और सभी क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों  के लिए खुलेंगे साथ ही  ई.एस.आई.सी. हॉस्पिटल्स, दवाखाना एवं शाखाओं का जिला स्तर तक विस्तार होगा।  




उन्होंने कहा था,''जोखिम भरे क्षेत्र में  काम करने वाला अगर एक भी श्रमिक  होगा तो उसको भी ई.एस.आई.सी. का लाभ मिलेगा। नए तकनीक के जुड़े जेसे ऊबर , ओला, फ्लिपकार्ड, अमेजॉन आदि उद्योगों के 50 लाख श्रमिकों  को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी जिसके अंतर्गत  ई.एस.आई.सी. से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा। बागान मजदूरों को ESIC का लाभ मिलेगा तथा  10 से कम श्रमिक वाले संस्थानों को भी स्वेच्दा से ESIC से जुड़ने का मौका मिलेगा। 




उन्होंने कहा था,'संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों  को पेंशन (EPFO) योजना का लाभ मिलेगा। अभी कर्मचारी भविष्य निधि का लाभ केवल अधिसूचित क्षेत्र के श्रमिकों को मिलता था, अब सभी क्षेत्रों में संगठित एवं असंगठित श्रमिकों  को तथा 20 से  कम संख्या होने पर भी मिलेगा।श्रमिक  को ट्रिब्यूनल से जल्दी न्याय मिलने की सुविधा होगी एवं ट्रिब्यूनल में श्रमिकों  के केस का न्याय एक साल में होगा। ट्रिब्यूनल में दो सदस्य होंगे। इससे प्रक्रिया में तेज़ी आएगी। 







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