नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन आज 50वां दिन है| कड़ाके की ठंड के बाद भी किसान दिल्ली की कई सीमाओं पर डटे हुए हैं।उनका कहना है कि जब तक तीनों काले कानून वापस नहीं लिए जाते हम यहीं बैठे रहेंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने के बाद 15 जनवरी को होने वाली बैठक पर अनिश्चितता का माहौल है।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि,''बातचीत के लिए हम तैयार हैं। सरकार कृषि क़ानूनों को वापस ले, इसी संबंध में शुक्रवार को मुलाकात होगी| राकेश टिकैत ने कहा कि,''26 जनवरी को किसान देश का सिर ऊंचा करेंगे। दुनिया की सबसे ऐतिहासिक परेड होगी। एक तरफ से जवान चलेगा और एक तरफ से किसान चलेगा। इंडिया गेट पर हमारे शहीदों की अमर ज्योति पर दोनों का मेल मिलाप होगा|
राकेश टिकैत ने कहा कि,''इस बार का गणतंत्र दिवस ऐतिहासिक होगा। 26 जनवरी की परेड में कई लाख ट्रैक्टर शामिल होंगे। पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जाएगा। हिंसा करने वाले किसी भी शख्स से किसान संगठनों का कोई लेना-देना नहीं है। अगर आंदोलन में कोई भी हिंसा करता है तो वह खुद इसका जिम्मेदार होगा। वह आगे बोले कि, संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 जनवरी की परेड के लिए दिल्ली सरकार से पांच लाख राष्ट्रीय ध्वज की मांग की है।
किसानों की ट्रैक्टर रैली पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि,''गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा। किसान यूनियन के नेताओं से आग्रह है कि वे इसे समझें। अभी भी उन्हें इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए|मैं किसान भाईयों से कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वह निष्पक्ष है। उसके सामने अपना मुद्दा रखें ताकि कोर्ट समय पर निर्णय कर सके। अब जो भी फैसला होगा सुप्रीम कोर्ट के अंदर होगा। सरकार सिर्फ आग्रह कर सकती है|
बता दें कि,''कृषि कानूनों पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इन कानूनों को लागू किे जाने पर रोक लगा दी थी कोर्ट के अगले आदेश तक ये कानून लागू नहीं होंगे| शीर्ष अदालत ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया था| इस कमेटी में कुल 4 लोग शामिल है, जिनमें भूपिंदर सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल धनवत (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल थे।
जिसमे से भूपिंदर सिंह मान ने खुद को किनारा कर लिया| आज यानि गुरुवार को FarmLaws को लेकर SC की गठित समिति के सदस्य भूपिंदर मान ने खुद को इससे अलग कर लिया है। मान का कहना है कि वह किसानों के जज्बात को देखते हुए कमेटी से अलग हुए हैं। उनका कहना है कि वह किसानों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे और उनके हितों के खिलाफ कभी नहीं जाएंगे।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, भूपिंदर सिंह मान का सुप्रीम कोर्ट की समिति से अलग होना किसान आंदोलन की वैचारिक जीत है। हम भूपिंदर सिंह मान को आमंत्रित करते हैं कि वह भी आंदोलन में शामिल हों।
वही,'' ग्रेटर नोएडा के जलपुरा सेक्टर एक निवासी खुर्शीद सैफी टायर पंक्चर का काम करते हैं। उन्होंने यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में सेवा करने के लिए अपनी चलती-फिरती 800 कार को लगा दिया है। इस चलती फिरती दुकान में टायर पंचर से लेकर हवा भरने और कई प्रकार का सामान रखा हुआ है। वह आंदोलन में शामिल किसानों की गाड़ियों में कमी को दूर करने का काम कर रहे हैं।
बुधवार को भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने कहा है कि आंदोलनकारी किसानों को ये नहीं पता है कि कृषि कानूनों में क्या दिक्कत है, बस केवल वे किसी कहने पर धरने पर बैठे हुए हैं। हेमा मालिनी ने कहा,'' वे (आंदोलनकारी किसान) यह भी नहीं जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं और कृषि कानूनों से क्या समस्या है, जिससे पता चलता है कि वे ऐसा कर रहे हैं क्योंकि किसी ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है|
हेमा मालिनी ने कहा, "उनको (किसानों को) ये भी मालूम नहीं है कि उन्हें क्या चाहिए। इस कानूनों में समस्या क्या है, ये भी वो समझ नहीं रहे हैं। इसका मतलब है कि किसी के कहने पर ये लोग (आंदोलन) कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "कितना नुकसान कराया पूरे पंजाब में। यह देखकर बड़ा खराब लगा।"
किसानों पर हेमा मालिनी के बयान पर AAP नेता राघव चड्ढा ने कहा,'हेमा मालिनी जी किसानी के बारे में कितना जानती हैं ये पूरा देश जानता है। कमाल है कि वे समझ रही है कि इन कानूनों से किसानों को क्या फायदा होगा लेकिन देश का एक भी किसान नहीं समझ रहा है। ये फायदा देश के 2-3 उद्योगपतियों को होगा|