गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में थाना कोतवाली नगर पुलिस ने साढे तीन करोड़ के पी0एफ0 घोटाले की फरार महिला को गिरफ्तार किया। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नगर पालिका परिषद में दो लिपिकों ने मिलीभगत कर करीब साढ़े तीन करोड़ का पीएफ घोटाला कर डाला। इस मामले में रविवार को लिपिक विपिन श्रीवास्तव की पत्नी हेमा गिरफ्तार हो गई हैं। आरोप हैं विपिन ने अपनी पत्नी के व्यक्तिगत खाते में दो करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे।
माह दिसम्बर 2020 में नगरपालिका परिषद अन्तर्गत सफाई कर्मियों के पी0एफ0/लोन कटौती में कूट रचना करके लिपिक विपिन श्रीवास्तव द्वारा मिलीभगत कर करीब साढे तीन करोड का पी०एफ० घोटाला करने का प्रकरण प्रकाश में आया था। जिसमें ई0ओ0 नगर पालिका ने लिपिक विपिन श्रीवास्तव के विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कराया था। गहनता से विवेचना करने पर उक्त प्रकरण में लिपिक विपिन श्रीवास्तव की पत्नी हेमा श्रीवास्तव व अन्य लोग भी मिलीभगत में शामिल होने पर प्रकाश में आये थे। प्रकरण की गंम्भीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक गोण्डा संतोष कुमार मिश्रा ने अभियुक्ता हेमा श्रीवास्तव की गिरफ्तारी हेतु प्रभारी निरीक्षक को0 नगर को कड़े निर्देश दिए थे।
पुलिस अधीक्षक के दिये गए इन्ही निर्देशो के अनुक्रम में को० नगर के व0उ0नि0 प्रबोध कुमार ने मोहल्ला महाराजगंज से उक्त वांछित अभियुक्ता हेमा श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुकदमें के मुख्य अभियुक्त विपिन श्रीवास्तव ने वर्ष 2016 से 2020 के मध्य करीब 85,00000/- (पचासी लाख रू0) अपनी पत्नी हेमा श्रीवास्तव के खाते में साठगाठ कर जमा कराये थे। जिस पैसे को निकालकर अभियक्ता ने लखनऊ में प्लाट व गोण्डा में एक मकान खरीद लिया था बाद में खरीदे हुए मकान को बेचकर करीब 14 लाख रू0 नगर पालिका के खाते में वापिस जमा कराये थे।
गौरतलब है कि,''साढ़े तीन करोड़ रुपये पीएफ घोटाले मामले का खुलासा होने पर नगर पालिका परिषद के ईओ ने लिपिक विपिन श्रीवास्तव, बैंक के एक कर्मचारी समेत अन्य लोगों के खिलाफ केस दिसंबर 2020 में दर्ज कराई थी। साढ़े तीन करोड़ रुपये पीएफ घोटाले मामले में थाना कोतवाली नगर पुलिस ने लिपिक की पत्नी हेमा को गिरफ्तार कर लिया है और पूछताछ शुरू किया। नगर कोतवाल आलोक राव का कहना है कि मामले में हेमा श्रीवास्तव भी आरोपित हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
मालूम हो कि,''नपाप में पीएफ घोटाले की नींव अधिकारियों की मिलीभगत से तैयार हुई थी। तत्कालीन कार्यालय अधीक्षक राकेश कुमार श्रीवास्तव से मिलीभगत कर आठवीं पास सुपरवाइजर मुश्फिक को भविष्य निधि पटल का प्रभार सौंप दिया। बाद में तीनों ने साजिश के तहत बैंककर्मियों के मिलीभगत से फर्जी बिल बाउचर भरकर करोड़ों रुपये निकालकर हड़प लिया। प्रशासक व्यवस्था खत्म होने के बाद भी यह घोटाला जारी रहा और कर्मचारियों की मेहनत की गाढ़ी कमाई का हिस्सा भ्रष्टाचारी हड़प करते रहे।
आरोप है कि मुश्फिक ने ईओ विकास सेन से मिलीभगत कर पालिकाध्यक्ष उज्मा राशिद के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 50 लाख रुपये बैंक से निकाल लिए। विनोद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जब उन्होंने बैंक के शाखा प्रबंधक से पीएफ खाते से पैसा निकाले जाने की शिकायत की तो नगर पालिका में हड़कंप मच गया। प्रारंभिक पड़ताल में करीब 3.50 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया था।