Ram Bahal Chaudhary,Basti
Share

कुछ शराब की दुकान मालिकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए LG ने यू-टर्न लिया: विवादों में फंसी नई एक्साइज पॉलिसी पर फिर हमलावर हुई AAP, CBI को चिट्ठी लिख LG के ख़िलाफ़ की जांच की मांग

  • by: news desk
  • 06 August, 2022
कुछ शराब की दुकान मालिकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए LG ने यू-टर्न लिया: विवादों में फंसी नई एक्साइज पॉलिसी पर फिर हमलावर हुई AAP,  CBI को चिट्ठी लिख LG के ख़िलाफ़ की जांच की मांग

नई दिल्ली: दिल्ली की नई शराब पॉलिसी को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच तनातनी जारी है| नई शराब नीति को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आज, शनिवार को उपराज्यपाल पर हमला बोला है| मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘Excise Policy 2021-22 को कई बार ध्यान से पढ़कर, अपने सुझाव देकर और मंजूर करने के बावजूद, LG office ने शराब की दुकानें खुलने के ठीक 2 दिन पहले अपना फैसला बदला। इससे दिल्ली सरकार को हज़ारों करोड़ो का नुकसान हुआ और चंद दुकानों को हजारों करोड़ो का फायदा पहुंचाया गया। किसके दबाव में आकर, कैबिनेट व स्वयं के द्वारा मंजूर की गई नीति को दुकान खुलने से ठीक 48 घंटे पहले LG साहब ने बदला, इस बात की CBI जांच की मांग की है।



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘ सरकार मई 2021 में नई आबकारी नीति पारित की। इस नीति के तहत अनधिकृत क्षेत्र में भी दुकानें बंटनी थी जिस पर उपराज्यपाल ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी लेकिन जब दुकानों की फाइल गई तो उन्होंने अपना मन बदल लिया और उपराज्यपाल ने नई शर्त रखी कि अनधिकृत क्षेत्र में दुकानें खोलने के लिए DDA और MCD की मंजूरी लिजिए जिससे अनधिकृत क्षेत्र में दुकानें नहीं खुल पाई और कोर्ट के फैसले के कारण नए लाइसेंसधारकों को रियायत देनी पड़ी और सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ। मैंने जांच के लिए CBI को पत्र लिखा है|


सिसोदिय ने कहा, ‘‘कुछ शराब की दुकान मालिकों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए उपराज्यपाल ने  यू-टर्न लिया| LG ने ख़ुद की मंज़ूर की हुई Policy 48 घंटे पहले बदली|  LG के निर्णय से Govt को हज़ारों करोड़ का नुक़सान और कुछ दुकानदारों को हज़ारों करोड़ का फ़ायदा हुआ|



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिय ने सीबीआई निदेशक को पत्र लिख कर LG के ख़िलाफ़ की CBI जांच की मांग|

LG ने Excise Policy पर अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला?

LG ने किन लोगों को हज़ारों करोड़ का फ़ायदा पहुँचाया?

इससे Govt को हज़ारों करोड़ का घाटा और कुछ Vendors को हज़ारों करोड़ का अनुचित लाभ हुआ



सीबीआई निदेशक को लिखे खत में मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘मेरे संज्ञान में आया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 में हुए तथाकथित घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है। मैं उसका स्वागत करता हूं। अगर कहीं गड़बड़ी है अथवा भ्रष्टाचार की आशंका है तो उसकी जांच निश्चित ही पारदर्शिता और शीघ्रता से होनी चाहिए।



सिसोदिय ने कहा,‘‘उपराज्यपाल की शिकायत में तो कोरी मनगढंत कहानियां हैं जो जांच में भी स्वतः ही स्पष्ट हो जाएंगी। अभी तक मेरे खिलाफ पहले भी दो बार सीबीआई और अन्य एजेंसियां जांच कर चुकी हैं जिसमें कुछ नहीं निकला। इसमें भी कुछ नहीं निकलेगा। लेकिन मैं आपके संज्ञान में दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के क्रियान्वयन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य और लाना चाहता हूं जिनमें असली और बड़ी गड़बड़ी हुई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप पूरी निष्पक्षता से इन तथ्यों को भी सीबीआई जांच के दायरे में लाएंगे।




डिप्टी सीएम ने आगे पत्र में कहा ,'' नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 के तहत एक पूरे वित्त वर्ष में, यानि 12 महीने में, सरकार को एक्साइज से करीब साढ़े नौ हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलना चाहिए था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान नई एक्साइज पॉलिसी 17 नवंबर से लागू की गई थी। यानि इस वित्त वर्ष में नई एक्साइज पॉलिसी को लाग होने के करीब साढ़े चार महीने ही मिले। इन साढ़े चार महीनों में भी, सरकार को 3713 करोड़ रुपये एक्साइज राजस्व के रूप में मिलने चाहिए थे, लेकिन इसके उलट इन साढे चार महीनों में 2352 करोड़ रुपए ही सरकार को मिल पाए। यानि कि इन साढ़े चार महीनों में, निर्धारित लक्ष्य से करीब 36 प्रतिशत कम राजस्व सरकार को मिला है। इसी से जाहिर है कि नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने के संदर्भ में गड़बड़ी तो हुई है। लेकिन यह गड़बड़ी कहां हुई? किस स्तर पर हई? और किसने की? किसके इशारे पर की? इस गड़बड़ी के पीछे किसका क्या लालच था? इन सबकी जांच होनी बहुत जरूरी है। इन प्रश्नों के जवाब सीबीआई जांच में ही सामने आ सकते हैं।


दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22, उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी के बाद ही लागू की गई थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने इस पॉलिसी के एक-एक प्रस्ताव को बहुत ध्यान से पढ़ा था। इसीलिए कैबिनेट द्वारा 15 अप्रैल 2021 को पास किए गए प्रस्ताव को पहले जब उपराज्यपाल महोदय की मंजरी के लिए भेजा गया तो उन्होंने उसे ध्यान से पढ़ कर उसमें कई बदलाव करने के सुझाव दिए। उपराज्यपाल महोदय ने कैबिनेट से पास इस पॉलिसी में कई बड़े बदलाव करवाए.



● होलसेल लाइसेंस लेने के लिए आवेदन की योग्यता में न्यूनतम टर्नओवर पहले 250 करोड रुपए का था जिसे उपराज्यपाल महोदय ने 150 करोड़ करने का सुझाव दिया।


●  एल.एस.पी.वन लाइसेंस के लिए दुकान का साइज 5000 स्क्वायर फीट से घटाकर उपराज्यपाल महोदय ने 2500 स्क्वायर फीट करने का सुझाव दिया। 


● एल.एस.पी.वन लाइसेंस के लिए योग्यता में शामिल 100 ब्रांड्स का कारोबार करने के अनुभव को उपराज्यपाल महोदय ने 50 ब्रांड्स के कारोबार के अनुभव में परिवर्तित करने का सुझाव दिया। 


● एल.एस.पी.वन लाइसेंस के तहत खलने वाली दुकानों में कम से कम 100 ब्रांड्स की शराब रखने की अनिवार्यता को भी उपराज्यपाल महोदय ने कम से कम 50 ब्रांड्स की शराब रखने की अनिवार्यता में परिवर्तित कराने का सुझाव दिया। 


● उपराज्यपाल महोदय के पास मंजूरी के लिए कैबिनेट से पास होकर गई पॉलिसी में शर्त रखी गई थी कि होलसेल लाइसेंस किसी शराब बनाने वाले व्यक्ति को नहीं दिया जाएगा। इसे आगे बढ़ाते हुए उपराज्यपाल महोदय ने स्पष्ट कराया कि रिटेल लाइसेंस भी किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं दिए जाएंगे जिसके पास होलसेल या शराब बनाने का लाइसेंस होगा।   


● रिटेल लाइसेंस लेने के लिए आवेदक की योग्यता में उपराज्यपाल महोदय ने 6 करोड़ रुपए न्यूनतम के टर्नओवर की योग्यता जुड़वाई। 



● उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी के लिए गई पॉलिसी में लिखा गया था कि इसमें रिटेल लाइसेंस नियमों के मुताबिक साल दर साल रिन्यूअल होंगे, इसमें उपराज्यपाल महोदय ने जुड़वाया कि समय पर लाइसेंस फीस देने और अन्य शर्तों को ठीक से पालन करने के पश्चात ही नियमों के आधार पर लाइसेंस रिन्यू किया जाएगा। 


● उपराज्यपाल ने पॉलिसी से यह प्रावधान हटवाया कि - पॉलिसी को ठीक से लागू करने के लिए अगर कोई छोटा-मोटा बदलाव करने की जरूरत पड़ेगी तो वह फाइनेंस मिनिस्टर की मंजूरी से कर लिया जाएगा।



● उपराज्यपाल द्वारा दिए गए इन सुझावों के आधार पर पॉलिसी में बदलाव करके कैबिनेट ने 23 जून 2021 को नई पॉलिसी पुनः उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी के लिए भेजी। जिसे माननीय उपराज्यपाल महोदय ने अपनी मंजूरी दी।



सिसोदिय ने कहा,‘‘उपरोक्त तथ्यों से जाहिर है उपराज्यपाल महोदय और उनके कार्यालय ने कैबिनेट द्वारा पास पॉलिसी को बहुत ध्यान से पढ़ा था और उसके बाद ही उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी से इस पॉलिसी को लागू किया गया था। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस पॉलिसी में बहत स्पष्ट रुप से लिखा गया था यह पॉलिसी, नॉन-कन्फॉर्मिग एरिया सहित, पूरी दिल्ली में लाग की जाएगी। 



मनीष सिसोदिय ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल महोदय द्वारा मंजर की गई नई एक्साइज पॉलिसी में बकायदा इस बात का विवरण दिया गया था कि दिल्ली में एक तरफ ऐसे वार्ड हैं जहां बहुत ज्यादा शराब की दुकानें हैंऔर दूसरी तरफ बहुत से वार्ड ऐसे हैं जहां शराब की एक भी लीगल दुकान नहीं है और वहां हमेशा नकली शराब बिकने और उससे होने वाले खतरे का अंदेशा बना रहता है। दिल्ली में शराब की दुकानों की कुल संख्या न बढाते हए उन्हें पूरी दिल्ली में समानता के आधार पर वितरित करने का प्रावधान नई पॉलिसी में रखा गया था। 



उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में पहले 849 दुकानें थी, नई पॉलिसी में भी पूरी दिल्ली में 849 दुकानें होनी थी और ये दकानें परी दिल्ली में बराबर बटनी थी। इसलिए पॉलिसी में ऐसे वार्डस का विवरण देते हए बहत स्पष्ट लिखा गया था कि दिल्ली के हर वार्ड में, यहां तक कि जहां पहले एक भी दुकान नहीं थी वहां भी, कम से कम दो दुकानें खोलने का प्रावधान रहेगा। उपराज्यपाल महोदय ने नई पॉलिसी को बहुत ध्यान से पढ़ कर ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। उनकी मंजूरी के आधार पर ही नई पॉलिसी के तहत टेंडर जारी किए गए और कारोबारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।




सिसोदिय ने कहा,‘‘दिल्ली में उपराज्यपाल महोदय से मंजरी लेकर पहले भी नॉन-कन्फॉर्मिंग एरियाज में शराब की दुकानें खोली जाती रही है। पुरानी पॉलिसी के तहत नवंबर 2021 तक भी दिल्ली में nonconforming एरियाज में शराब की दुकानें चल रही थी और उनको उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी हुई थी। इसी तरह नई पॉलिसी में भी नॉन-कन्फॉर्मिंग एरियाज में उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी लेकर शराब की दुकानें खोलने का प्रावधान रखा गया था। इस प्रावधान को कैबिनेट और खुद उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि जब कारोबारियों ने लाइसेंस ले लिए और अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी दुकान खोलने के प्रस्ताव उपराज्यपाल महोदय के कार्यालय में पहुंचे तो दुकानें शुरू होने से ठीक दो दिन पहले यानि 15 नवंबर 2021 को उपराज्यपाल कार्यालय ने एक नई शर्त लगा दी। उन्होंने कहा कि अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकान खोलने के पहले डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाएं। 




सिसोदिय ने कहा, ‘‘मैंने कम से कम पिछले 10 वर्षों की फाईलें देखी हैं जिसमें हर साल एक्साइज पॉलिसी के तहत अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी के लिए उपराज्यपाल महोदय के पास फाईल गई और उन्होने इसे मंजूरी दे दी। कहीं भी किसी भी उपराज्यपाल महोदय ने इस पर डीडीए या एमसीडी से मंजूरी लेने की शर्त नहीं लगाई। लेकिन पहली बार, वो भी दुकानें खोलने के ठीक दो दिन पहले, इस तरह की शर्त लगाई गयी।



उन्होंने कहा, ‘‘उपराज्यपाल महोदय को पता था कि डीडीए व एमसीडी इसकी मंजूरी नहीं दे सकते क्योंकि यह मामला अनाधिकत क्षेत्र से संबंधित है और यहां दुकानें डीडीए व एमसीडी की मंजरी से नहीं बल्कि उपराज्यपाल महोदय की मंजूरी से ही खुल सकती हैं। पुरानी एक्साइज पॉलिसी में भी उपराज्यपाल के स्तर पर मंजूरी लेकर ही दुकानें खोली जाती रही थी। उपराज्यपाल कार्यालय ने न तो कभी पुरानी एक्साइज पॉलिसी के तहत अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी और न ही नई एक्साइज पॉलिसी को पास करते वक्त इस तरह की कोई शर्त लगाई थी, जिसके प्रावधानों में साफ-साफ लिखा हआ था कि अनऑथराइज्ड एरियाज में उनकी मंजूरी लेकर दुकानें खोली जाएंगी।



डिप्टी सीएम ने में कहा ,''नई एक्साइज पॉलिसी में सरकार को हए हजारों करोड़ के नुकसान की असली जड़ उपराज्यपाल कार्यालय का नई एक्साइज पॉलिसी लाग होने के 48 घंटे पहले बदला गया यह निर्णय है। जो शर्त न तो नई पॉलिसी को मंजूरी देते वक्त लगाई गई और न ही पुरानी पॉलिसी में भी कभी अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त लगाई गई, वह अचानक दुकानें खोले जाने से ठीक दो दिन पहले लगा दी गई। जिसकी वजह से दिल्ली नगर निगम के 67 वार्डों में एक भी दुकान नहीं खुल पाई। जबकि खुद उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी थी कि नई पॉलिसी का एक मकसद यह भी है कि दुकानों का वितरण किसी एक वार्ड में बहुत अधिक ना होकर सभी वार्ड्स में लगभग बराबर रहे और इसीलिए हर एक वार्ड में दो से तीन दुकानें खोलने की पॉलिसी बनाई गई थी जिसे उपराज्यपाल महोदय ने मंजूरी दी थी।



आखिर अपने ही निर्णय से अचानक पलटने के पीछे उपराज्यपाल कार्यालय का मकसद क्या था? वह भी एक ऐसी शर्त लगा कर, जिसका जिक्र ना तो एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा तैयार पॉलिसी में था, न ही कैबिनेट द्वारा पारित पॉलिसी में था, न ही उपराज्यपाल महोदय ने पॉलिसी को मंजूरी देते वक्त इस तरह की कोई शर्त पॉलिसी में जुड़वाई, ना ही इसके पहले, पुरानी पॉलिसी के दौरान, उपराज्यपाल महोदय ने अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेने की शर्त लगाई। इतना ही नहीं जब एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा यह आकलन उपराज्यपाल कार्यालय के समक्ष रखा गया कि अनऑथराइज्ड एरियाज में, पॉलिसी में मंजूरी होने के बावजूद, दुकानें नहीं खोलने देने से सरकार को हजारों करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान वर्तमान वित्त वर्ष में हो रहा है, तो भी उपराज्यपाल कार्यालय ने दुकानें खोलने की सहमति नहीं दी बल्कि डीडीए के वाइस चेयरमैन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी जिसका कोई नतीजा नहीं निकला।



डिप्टी सीएम ने ,''उपराज्यपाल कार्यालय की इस शर्त की वजह से लाइसेंस धारक कोर्ट में गए और वहां से ये फैसला अपने पक्ष में लेकर आए कि जितनी दुकानें नहीं खोली गई उतनी लाइसेंस फीस नहीं ली जाएगी। इससे सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ। अगर उपराज्यपाल महोदय के कार्यालय ने आखिरी वक्त पर अपना निर्णय ना बदला होता और नई एक्साइज पॉलिसी में मंजूर किए गए प्रावधानों के अनुसार दुकान खोलने की अनुमति दे दी होती तो सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान नहीं होता। अपने ही द्वारा पहले मंजूर की गई पॉलिसी में इस तरह की नई शर्त जोड़ना, जिसकी वजह से दुकानें खुल ही नहीं पाई और सरकार को लगातार नुकसान होता रहा, इसके पीछे का कारण क्या है, इसकी जांच होना जरूरी है।



उन्होंने कहा, ‘‘अनऑथराइज्ड एरियाज में दुकानें खोलने की मंजूरी देते वक्त डीडीए और एमसीडी की मंजूरी की अभूतपूर्व शर्त की वजह से ऐसे लाइसेंस धारकों को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाया गया, जिनकी सभी या अधिकतर दुकानें ऑथराइज्ड मार्केट वाले वार्डस में थी। ऐसा लगता है कि उपराज्यपाल महोदय से मंजर पॉलिसी के उलट जाते हए, दुकानें खोले जाने के ठीक दो दिन पहले यह शर्त लगाई ही इसलिए गई थी कि कुछ खास लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाया जा सके।


इस तरह उपराज्यपाल महोदय के इस निर्णय से सरकार को सालाना हजारों करोड़ रुपए का घाटा हुआ और जिन लोगों की दुकानें ऑथराइज्ड एरिया में थी उन्हें हजारों करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया गया। उपराज्यपाल ने अपना निर्णय 48 घंटे पहले क्यों बदला, इससे किन दुकानदारों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ, उपराज्यपाल महोदय ने यह निर्णय खुद लिया या किसी के दबाव में लिया, उन दुकान वालों ने इसके बदले किसे कितना फायदा पहुंचाया, इन सब प्रश्नों की जांच होनी चाहिए।



सिसोदिय ने CBI चीफ को लिखे खत में अंत में कहा, ‘‘सरकार को इतने बड़े पैमाने पर हुए राजस्व के नुकसान और कुछ चुनिंदा लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाने की नीयत से उपराज्यपाल के इस निर्णय की बहत गंभीरता से जांच होनी चाहिए। मुझे पूरी उम्मीद है कि सीबीआई निदेशक इस मामले को गंभीरता से लेंगे और पूरी निष्पक्षता से इसकी जांच करेंगे।




AAP विधायक आतिशी ने कहा, ‘‘Dy CM सिसोदिय जी Excise Policy पर CBI जांच के लिए पत्र लिखते हैं तो हमें लगा था कि BJP इसका स्वागत करेगी| लेकिन जब ये सामने आ गया कि कैसे LG ने कायदे-क़ानून बदल कर भ्रष्टाचार किया है, BJP का रुख़ बदल गया और अब BJP कह रही है कि CBI जांच नहीं होनी चाहिए"| जहां भी Legal Liquor Shops नहीं हैं, वहां अवैध शराब का धंधा चलता है इसका No. 1 उदाहरण है 27 साल से BJP शासित Gujarat—जहां 55 से ज़्यादा लोगों की मौत अवैध शराब पीने से हुई|  Delhi में भी कई जगह ये होता था, इसलिए Excise Policy में Even Distribution की बात लिखी"




आप हमसे यहां भी जुड़ सकते हैं
TVL News

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : https://www.facebook.com/TVLNews
चैनल सब्सक्राइब करें : https://www.youtube.com/TheViralLines
हमें ट्विटर पर फॉलो करें: https://twitter.com/theViralLines
ईमेल : thevirallines@gmail.com

You may like

स्टे कनेक्टेड

विज्ञापन