छतरपुर: 'मरने के बाद मेरा शरीर सरकार को सौंप दें, जिससे मेरे शरीर का अंग-अंग बेचकर कर्ज़ चुका सके" ... यह एक किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है| मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक किसान ने कर्ज के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है| बिजली बिल के कर्ज में डूबे छतरपुर के एक किसान ने सुसाइड नोट छोड़ कर पेड़ से लटक गया। बताया जा रहा है कि चक्की चलाने वाले इस किसान का बिजली विभाग ने 1 दिन पहले चक्की, बाइक और मोटर जप्त कर ली था|
बिजली बिल भुगतान न करने पर विभाग की तरफ से की गई कुर्की से दुखी होकर आटा चक्की चलाने वाले 35 वर्षीय एक किसान ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली| बताया जा रहा है कि किसान पर बिजली विभाग का 88 हजार रुपए का कर्ज था। परिजनों का कहना है कि इसे लेकर वह परेशान रहता था। वहीं परिजनों के आरोपों पर अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।
किसान के कथित खुदकुशी के बाद सरकारी दावों की कलई खुल गई है। परिजनों का कहना है कि बिजली विभाग के लोग लगातार वसूली के लिए परेशान कर रहे थे। इससे परेशान होकर युवक ने खुदकुशी की है।
यह घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर से 17 किलोमीटर दूर मातगुवां में बुधवार को हुई| मरने से पहले 35 वर्षीय किसान मुनेंद्र ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने लिखा है, ‘‘मेरे मरने के बाद मेरा शरीर शासन को दे दें, ताकि मेरा एक-एक अंग बेच कर सरकार अपना कर्जा चुका ले| मातगुवां पुलिस थाना प्रभारी कमलजीत सिंह ने बताया, ‘‘हमने मामला दर्ज करके विवेचना शुरू कर दी है|’’ उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट भी मिला है|
’मुनेंद्र ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘‘मेरी तीन पुत्री और एक पुत्र है| किसी की उम्र 16 वर्ष से ज्यादा नहीं है| मेरी परिवार से प्रार्थना है कि मेरे मरने के बाद मेरा शरीर शासन के सुपुर्द कर दें, जिससे मेरे शरीर का एक-एक अंग बेच कर शासन का कर्जा चुका सके|
इसमें उसने कर्ज ना चुका सकने का कारण भी लिखा है, ‘‘मेरी एक भैंस करंट लगने से मर गई, तीन भैंस चोरी हो गई, आषाढ़ में (खरीफ फसल) खेती में कुछ नहीं मिला, लॉकडाउन में कोई काम नहीं और ना ही चक्की चली|इस कारण हम बिल नहीं दे सके|’’
पीड़ित के भाई लोकेन्द्र राजपूत ने गुरुवार को बताया, ‘‘मेरे भाई मुनेंद्र राजपूत ने बुधवार दोपहर करीब एक बजे अपने खेत पर लगे आम के पेड़ पर फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली| बिजली बिल साल भर से ना भरने के कारण बिजली विभाग ने कुर्की वारंट जारी कर सोमवार को उसकी चक्की और मोटरसाइकिल जप्त कर लिया, उन्हें अपमानित किया गया| वह निवेदन करते रहे कि कुछ समय दे दो पर उनकी एक नहीं सुनी गई| उन्होंने कहा ‘‘ कोविड-19 के लिए मार्च में लगे लॉकडाउन और इस लॉकडाउन के खुलने के बाद मुनेंद्र को चक्की से पर्याप्त आमदनी नहीं हो रही थी| खरीफ की फसल हुई नहीं थी और गुजारा करने के लिए वह चक्की चलाते थे|