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बस्ती के कप्तानगंज से अतुल चौधरी लड़ेंगे चुनाव, समाजवादी पार्टी ने किया ऐलान; जानिए इस सीट की सियासी गणित

  • by: news desk
  • 27 January, 2022
बस्ती के कप्तानगंज से अतुल चौधरी लड़ेंगे चुनाव, समाजवादी पार्टी ने किया ऐलान;  जानिए इस सीट की सियासी गणित

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने बस्ती जिले की कप्तानगंज सीट (Kaptanganj Assembly Seat) पर उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। समाजवादी पार्टी ने कप्तानगंज विधानसभा सीट पर अतुल चौधरी को मैदान में उतारा है| कप्तानगंज विधानसभा सीट जिले की सबसे हॉट विधानसभा सीट है, वर्तमान में इस सीट पर BJP का कब्जा है| अतुल चौधरी पहली बार चुनावी मैदान में है| पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी के बेटे है अतुल चौधरी। पहली बार कप्तानगंज विधानसभा से किस्मत आजमाएंगे अतुल चौधरी। अतुल चौधरी को टिकट मिलने पर सपाइयों में खुशी की लहर।



 कप्तानगंज विधानसभा सीट  पर मुकाबला रोमांचक होने जा रहा| एक तरफ वर्तमान विधायक जनता के बीच अपने कामों को गिना रहे हैं तो वहीं जनता की नाराजगी की सुगबुगाहट के बीच पर सजातीय नेता अपने मोहरें बिछाने में लगे हैं|


कप्तानगंज की जनता ने लगभग सभी दलों को विधानसभा में बैठने का अवसर दिया है| यहां दलित, कुर्मी और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में होता है| कप्तानगंज विधानसभा से कांग्रेस ने सात बार जीत हासिल की है, वहीं पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी अलग-अलग दलों से पांच बार विधायक रह चुके हैं| लेकिन समय के साथ इस विधानसभा क्षेत्र के समीकरण भी बदल गये हैं|



2017 के चुनाव में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने बस्ती जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी| अब 2022 के चुनाव को लेकर नेताओं ने गुणा गणित लगाना शुरु कर दिया है| इस चुनाव में उम्मीदवार का चेहरा और जनता से किए गए उनके वादे तय करेंगे कि समीकरण किसके पक्ष में होगा|



ऐसा रहा चुनावी सफ़र 

इस सीट से 1993 में राम प्रसाद चौधरी समाजवादी पार्टी से चुनाव जीते थे| इसके बाद उन्होंने 1996 में बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे| 2002 में राम प्रसाद चौधरी को भाजपा से टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की| 2007 और 2012 में बसपा से राम प्रसाद चौधरी विधायक चुने गए लेकिन 2017 के चुनाव में मोदी लहर के सामने सारे समीकरण टूटे और चंद्र प्रकाश शुक्ला जीत कर विधानसभा पहुंचे| राम प्रसाद चौधरी इस समय समाजवादी पार्टी में हैं|




ब्राह्मण और पिछड़ी जातियां निर्णायक 

कप्तानगंज विधानसभा में पिछड़ी जाति और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं| कप्तानगंज के कुल मतदाताओं की संख्या 346149 है| वहीं दलित मतदाताओं की संख्या 58535 है| साथ ही कुर्मी मतदाताओं की संख्या 55366 है| ब्राह्मण 48835 और मुस्लिम मतदातों की संख्या 38252 है|



2017 का जनादेश

कप्तानगंज विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मोदी लहर के चलते सीए चन्द्र प्रकाश विजयी रहे थे| बीजेपी के चन्द्र प्रकाश ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के राम प्रसाद चौधरी को छह हजार से अधिक वोट के अंतर से हरा दिया था| कांग्रेस+ यहां तीसरे स्थान पर रही।



राजनीतिक पृष्ठभूमि

कप्तानगंज विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो यह सीट लंबे समय तक चर्चा में रही| यहां की सीट राम लखन सिंह, राम मिलन सिंह, अंबिका सिंह, राना कृष्ण किकर सिंह, राम प्रसाद चौधरी के पास रही| यहां राम प्रसाद चौधरी का दबदबा रहा| वे 1993 से 2017 तक 5 बार विधायक रहे| राम प्रसाद चौधरी 1989 से 1991 तक खलीलाबाद से सांसद भी रहे|



जानिए क्या है वोटरों की संख्या और जातीय समीकरण

 कप्तानगंज विधानसभा सीट का हाल देखें तो 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, यहां कुल वोटरों की संख्या करीब 3 लाख 46 हजार 149 है। यहां दलित और कुर्मी मतदाता निर्णायक हैं। यहां दलित मतदाताओं की संख्या 58535 है। इसके बाद कर्मी मतदाता आते हैं जिनकी संख्या 55366 है। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 48835 और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 38252 है।




बस्ती की अन्य 4 विधानसभा सीटों का हाल (2017 के आंकड़ों के मुताबिक)

1-307 हर्रैया विधान सभा सीट- ब्राहमण बाहुल्य मानी जाती है। यहां वर्ष 2012 तक कांग्रेस, सपा, बसपा के प्रत्याशी जीत हासिल करते रहे। वर्ष 2017 में पहली बार यहां भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की। यहां 369835 मतदाता है। जिनमें 66319 ब्राहमण मतदाता है। इसके बाद दलित मतदाता आते है जिनकी संख्या 60458 है। क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 45499 और मस्लिम मतदाताओं की संख्या 26438 है। इसके बाद अन्य जातियों के वोटर आते हैं। यहां से बसपा प्रत्याशी पूर्व कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह को हराकर भाजपा के अजय सिंह ने जीत हासिल की थी।



2-309 रूधौली विधान सभा क्षेत्र में दलित, ब्राहमण, कुर्मी, मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। यहां कल मतदाताओं की संख्या 410054 है। दलित मतदाता 70302, ब्राहमण मतदाता 49631, कुर्मी मतदाता 46846, मुस्लिम मतदाता की संख्या 41782 है। इसके बाद अन्य जातियों के मतदाता हैं। यहां उद्योग के नाम पर अठदमा में एक चीनी मिल है। पहले रूधौली विधान सभा सीट को रामनगर के नाम से जाना जाता था। परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर रूधौली हो गया। वर्ष 2012 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 2017 में पाला बदलकर कांग्रेस विधायक ने भाजपा का दामन थाम लिया और फिर से सीट अपने पास बरकरार रखा। यहां उन्होंने बसपा प्रत्याशी पूर्व विधायक राजेन्द्र प्रसाद चौधरी को हरा कर जीत हासिल की।



3- 310 बस्ती सदर विधान सभा क्षेत्र में कुल मतदाता की संख्या 350307 है। यहां सर्वाधिक 55973 दलित मतदाता है। इसके बाद 44537 ब्राहमण, मुस्लिम 43564, कुर्मी 42985 मतदाता आते हैं। इस विधान सभा क्षेत्र में औद्योगिक इकाई के नाम पर प्लास्टिक काम्प्लेक्स और मुण्डेरवा की चीनी मिल है। बस्ती सदर विधान सभा सीट पर वर्ष 2017 में पहली बार भाजपा का खाता खुला। इसके पहले यह सीट कांग्रेस और बसपा के हाथ रही। यहां सपा का भी खाता नहीं खुल पाया। बस्ती सदर में बसपा प्रत्याशी पूर्व विधायक जितेन्द्र कुमार उर्फ नंदू चौधरी को हराकर भाजपा के दयाराम चौधरी ने जीत हासिल किया था।



4 -311 महादेवा विधान सभा सीट आरक्षित है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 342918 है। दलित मतदाताओं की संख्या 81101 है। इसके बाद ब्राहमण मतदाता है जिनकी संख्या 43717 है। कुर्मी मतदाता की संख्या 39408 और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 33314 है। इसके बाद अन्य जातियों के मतदाता है। महादेवा विधान सभा सीट को पहले नगर पूरब के नाम से जाना जाता था। परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर महादेवा विधान सभा क्षेत्र हो गया। यह सीट शुरू से लेकर अब तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही। 



यहां कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा को नेतृत्व करने का मौका मिला। इस सीट को लेकर यह कहा जाता है कि जिस दल का यहां से विधायक बना उसी दल की प्रदेश में सरकार बनी। चुनावी आंकड़े, परिणाम और स्थितियां भी इसे बयां करते है। महादेवा में सपा प्रत्याशी और सपा सरकार में मंत्री रहे रामकरन आर्य को हराकर भाजपा के रवि सोनकर विधायक चुने गए।





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