French presidential Election: इमैनुएल मैक्रों ने एक बार फिर फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। उन्होंने नेशनल रैली पार्टी की नेता मरिन ले पेन को मात दी। दूसरे और आखिरी राउंड की वोटिंग में मैंक्रों को 58.2% और ली पेन को 41.8% वोट मिले। AFP समाचार एजेंसी ने अनुमानों के हवाले से रिपोर्ट दी कि इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता।
इमैनुएल मैक्रों पिछले 20 साल में लगातार दोबारा चुने जाने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति बन गए हैं| इमैनुएल मैक्रों ने कड़ी टक्कर में दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन को हराया दिया है| अनुमान बताते हैं कि इमैनुएल मैक्रोन ने 57.6% और 58.2% वोटों के साथ फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है और इसके साथ उन्होंने मरीन ले पेन को हरा दिया है|
अनुमानों के अनुसार,इमैनुएल मैक्रों ने 58.2% वोट हासिल किए जबकि मरीन ले पेन के हिस्से 41.8% वोट आये हैं| दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन को हराकर लगातार दोबारा चुने जाने वाले पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति बन गए| हालांकि, मैक्रों की जीत का मार्जिन 2017 के मुकाबले काफी कम रहा। 2017 में मैक्रों 66.1% और ली पेन को 33.9% मिले थे।
लगातार दोबारा चुनाव जीतने वाले आखिरी राष्ट्रपति जैक्स शिराक थे जिन्होंने 2002 के चुनाव में ऐसा किया था| 53 वर्षीय मरीन ले पेन तीसरी बार राष्ट्रपति पद की रेस में थी| इससे पहले उन्हें 2017 के राष्ट्रपति चुनावों में भी इमैनुएल मैक्रों के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था|
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा कि,'' मैक्रॉन के जीतने के अनुमान के बाद यूरोपीय संघ 'फ्रांस पर और पांच साल तक भरोसा कर सकता है'|
मालूम हो कि फ्रांस में मतदान केंद्र' 'रविवार, 24 अप्रैल को' स्थानीय समय अनुसार सुबह 8 बजे खुले और अधिकांश स्थानों पर शाम 7 बजे बंद हो गए| इसके अलावा बड़े शहरों में मतदान केंद्र रात 8 बजे तक खुले रहे| फ्रांस में लगभग 48.7 मिलियन नागरिक मतदान के पात्र हैं| फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में शाम 5 बजे 63.23 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले दो दशकों में सबसे कम था, जो 2017 के चुनाव से 2% कम है।
कौन बन सकता है राष्ट्रपति?
फ्रांस में चुनाव प्रक्रिया दूसरे देशों से थोड़ी अलग है। यहां 18 या उससे ज्यादा की उम्र वाला नागरिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। उम्मीदवार बनने के लिए उसे सबसे पहले नामांकन फॉर्म पर देश के 500 मेयर के हस्ताक्षर कराने होते हैं। इसे अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा जाता है। SC की मंजूरी मिलने के बाद ही कोई व्यक्ति राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है।
कैसे होते हैं चुनाव?
चुनाव 2 चरणों में होते हैं। पहले फेज में अगर किसी कैंडिडेट को 50% वोट (पूर्ण बहुमत) मिल जाते हैं तो वो इलेक्शन जीत जाता है। हालांकि करीब 60 साल में तो ऐसा कभी नहीं हुआ कि पहले राउंड में ही जीतने वाले के नाम का फैसला हो गया हो। बहरहाल, पहले चरण में जिन दो उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उन्हीं के बीच दूसरे और आखिरी चरण का मुकाबला होता है। जीतने वाला उम्मीदवार एलेसी पैलेस (राष्ट्रपति भवन) में शपथ लेता है।
सिर्फ रविवार को ही होते हैं चुनाव
भारत की तरह ही फ्रांस में भी 18 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले नागरिक वोट डालते हैं। हालांकि यहां वोटिंग के लिए EVM मशीन नहीं, बल्कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। दिलचस्प बात ये है कि फ्रांस में वोटिंग हमेशा रविवार को ही होती है, जिससे ज्यादा से ज्यादा नागरिक वोट डाल सकें।
दूसरे देशों में रह रहे फ्रेंच सिटीजन भी वोट डाल सकते हैं। 10 अप्रैल को हुए पहले चरण के चुनाव में केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में रह रहे 4,564 फ्रांसीसी नागरिकों ने भी मतदान किया था।
क्यों अहम हैं फ्रांस के चुनाव?
फ्रांस दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। टूरिज्म के लिहाज से फ्रांस दुनिया में अव्वल नंबर पर है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के 5 परमानेंट मेंबर्स में से एक है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी न्यूक्लियर पावर है। फ्रांस यूरोपियन यूनियन (EU) के फाउंडर मेंबर्स में से एक है और इसके फैसलों में अहम भूमिका निभाता है।