सूरत: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात की सूरत कोर्ट से राहत नहीं मिली है| सूरत की सत्र अदालत ने गुरुवार को राहुल गांधी की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने और निलंबन की मांग की गई थी, जिसमें उन्हें 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
गुजरात की सूरत कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा 2019 में 'मोदी उपनाम' टिप्पणी पर मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। सत्र अदालत ने 13 अप्रैल को दोनों पक्षों को सुना था और फैसला 20 अप्रैल के लिए सुरक्षित रख लिया था। अगर आज अदालत राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा देती या निलंबित कर देती, तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद में बहाल किया जा सकता था।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ,''कानून के तहत अभी भी हमारे पास जो भी विकल्प उपलब्ध हैं, हम उन सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे|
राहुल गांधी के अपने बयान 'सभी चोरों (ललित मोदी-नीरव मोदी) का सरनेम मोदी क्यों है' के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद, राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
राहुल गांधी ने सूरत अदालत के आदेश के खिलाफ 3 अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था| उनके वकीलों ने दो आवेदन भी दाखिल किए थे| जिनमें एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषी ठहराये जाने पर स्थगन के लिए था| राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में कहा था कि ,'' अधिकतम सजा की कोई जरूरत नहीं है, मुकदमा निष्पक्ष नहीं था| वकील ने अदालत से कहा, मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया फैसला "अजीब" था क्योंकि निचली अदालत के जज ने "रिकॉर्ड पर मौजूद सभी सबूतों को एक साथ जोड़ दिया",