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“देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल”: 105 घंटे के बाद 80 फीट गहरे बोरवेल में फंसे 11 वर्षीय राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाला गया, अपोलो अस्पताल भेजा गया, CM ने की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना

  • by: news desk
  • 14 June, 2022
“देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल”: 105 घंटे के बाद 80 फीट गहरे बोरवेल में फंसे 11 वर्षीय राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाला गया, अपोलो अस्पताल भेजा गया, CM ने की शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना

● देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ सफल 

● मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लेते रहे पल-पल का अपडेट और कलेक्टर को देते रहे निर्देश 

● आखिरकार 105 घण्टे बाद राहुल को बोरवेल से बाहर सकुशल निकाला गया

● जिला प्रशासन के नेतृत्व में टीम की सूझबूझ काम आई

● शुक्रवार दोपहर 2 बजे बोरवेल में गिरा था, मंगलवार रात करीब 11 बजे बाहर निकाला


जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में बोरवेल में गिरे 11 वर्षीय राहुल (बच्चा मूक-बधिर) को 100 घंटे से अधिक के ऑपरेशन के बाद सफलतापूर्वक बचाया गया। जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के गांव पिहरीद में बोरवेल में फंसे 11 वर्षीय बालक राहुल साहू के सफल रेस्क्यू पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राहुल को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर बिलासपुर के अपोलो अस्पताल के लिए रवाना किया गया है। 



कलेक्टर जांजगीर ने कहा,''यह हमारी और हमारी टीम की जीत है। यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति थी। प्रशासन की ओर से हमें हर तरह की मदद दी गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे। हम राहुल को बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जा रहे हैं| 



सेना अधिकारी गौतम सूरी ने कहा,''यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था। टीम के सदस्यों के संयुक्त प्रयासों से राहुल को सफलतापूर्वक बचाया। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी सफलता है। सेना के करीब 25 अधिकारियों को यहां तैनात किया गया था|



छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "सभी की प्रार्थनाओं और बचाव दल के अथक, समर्पित प्रयासों से, राहुल साहू को सुरक्षित बाहर निकाला गया। हमारी कामना है कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाएं।"



मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लगभग 105 घंटे तक बोरवेल में फंसे होने के बावजूद राहुल ने बहुत हिम्मत दिखाई। यह रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण था, जिसे बचाव दलों ने बहुत धैर्य, समझदारी और साहस के साथ पूरा कर लिया है। श्री बघेल ने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसईसीएल, छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस, भारतीय सेना, चिकित्सा दल और प्रशासनिक अधिकारियों समेत बचाव दल में शामिल हर टीम और हर व्यक्ति ने संयुक्त रूप से कर्त्तव्यनिष्ठा का पालन करते हुए राहुल को बोरवेल से निकालने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। 



मुख्यमंत्री बघेल ने बोरवेल में फंसे राहुल साहू के सकुशल बाहर आने पर खुशी व्यक्त करते हुए ट्वीट में लिखा है कि ‘‘माना कि चुनौती बड़ी थी, पर हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी। रास्ते अगर चट्टानी थे, तो इरादे हमारे फौलादी थे।’’ उन्होंने कहा कि सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है।



मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राहुल और उसके परिजनों पर आए संकट को लेकर मैं व्यक्तिगत रूप से भी बहुत चिंतित था। मैं पल-पल का अपडेट ले रहा था। मैंने राहुल के परिजनों से फोन पर बातचीत करके उन्हें भरोसा दिलाया था कि हम हर संभव प्रयास करेंगे। इस घटना ने खुले छोड़ दिए गये बोरों को लेकर एक बार फिर सभी को सचेत किया है। मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे खतरनाक बोरों को बंद करना सुनिश्चित करें। 



गौरतलब है कि जांजगीर-चाम्पा जिले के अंतर्गत मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पिहरीद में 11 वर्षीय बालक राहुल साहू अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिरकर फंस गया था।  जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्‌ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्‌ढा 80 फीट गहरा है



10 जून को दोपहर लगभग 2 बजे अचानक घटी इस घटना की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर श्री जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहंुचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फंसे राहुल पर नजर रखने के साथ उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी। 



आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और एम्बुलेंस भी तैनात किए गए थे। राज्य आपदा प्रबंधन टीम के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) की टीम ओडिशा के कटक और भिलाई से आकर रेस्क्यू में जुटी थी। भारतीय सेना के कर्नल चिन्मय पारीक अपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे। रेस्क्यू से बच्चे को सकुशल निकालने के लिए हर सम्भव कोशिश की गई।



देश के सबसे बड़े रेस्क्यू के पहले दिन 10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई। राहुल द्वारा रस्सी को पकड़ने जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने के बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के पश्चात तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाए। रात लगभग 12 बजे से पुनः अलग-अलग मशीनों से खुदाई प्रारंभ की गई। लगभग 60 फीट की खुदाई किए जाने के पश्चात पहले रास्ता तैयार किया गया। एनडीआरएफ और सेना के साथ जिला प्रशासन की टीम ने ड्रीलिंग करके बोरवेल तक पहुंचने सुरंग बनाया। सुरंग बनाने के दौरान कई बार मजबूत चट्टान आने से इस अभियान में बाधा आई। 



बिलासपुर से अधिक क्षमता वाली ड्रिलिंग मशीन मंगाए जाने के बाद बहुत ही एहतियात बरतते हुए काफी मशक्कत के साथ राहुल तक पहुचा गया। आज सेना,एनडीआरएफ के जवानों द्वारा रेस्क्यू कर राहुल को बाहर निकाला गया। 



मौके पर ही चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण की गई और बेहतर उपचार के लिए उसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल ले जाया गया। बहरहाल 104 से अधिक घण्टे तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में राहुल साहू के जीवित बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली। पिता लाला साहू, माता गीता साहू सहित परिजनों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कलेक्टर, जिला प्रशासन के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और एनडीआरएफ, सेना, एसडीआरएफ सहित सभी का विशेष धन्यवाद दिया। 




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