नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की गई थी। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को कड़ी फटकार लगाई...और एसबीआई को अवमानना की चेतावनी देते हुए कहा कि कल तक यह डेटा जारी होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तो कार्रवाई की जाएगी| साथ ही चुनाव आयोग को सारी जानकारी इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहा है|
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को कांग्रेस ने लोकतंत्र की जीत बताया है। कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है। कांग्रेस ने कहा कि,''इलेक्टोरल बॉन्ड मोदी सरकार के 'घोटाले की डील' है. डील है कि BJP को चंदा दो और देश को खुलकर लूटो. अब इस महाघोटाले की कलई सबके सामने आने वाली है.
यह भी पढ़ें: SBI को SC से बड़ा झटका: बैंक की याचिका खारिज, कल तक दें चुनावी बांड का डेटा
सुप्रीम कोर्ट के एसबीआई को कल तक चुनावी बांड डेटा जारी करने के आदेश पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि,''इलेक्टोरल बॉन्ड प्रकाशित करने के लिए SBI द्वारा साढ़े चार महीनें माँगने के बाद साफ़ हो गया था कि मोदी सरकार अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की हर संभव कोशिश कर रही है। ''
यह भी पढ़ें: इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम मामले में SBI की अर्जी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर
खरगे ने कहा,''आज के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से देश को जल्द इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा के चंदा देने वालों की लिस्ट पता चलेगी।'' उन्होंने कहा, '' मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घपलों और लेन-देन की कलई खुलने की ये पहली सीढ़ी है।''
यह भी पढ़ें: इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 'असंवैधानिक': सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की चुनावी बांड योजना
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने कहा,''अब भी देश को ये नहीं पता चलेगा कि भाजपा के चुनिंदा पूँजीपति चंदाधारक किस-किस ठेके के लिए मोदी सरकार को चंदा देते थे, उसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को उचित निर्देष देने चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स से ये तो उजागर हुआ ही है कि भाजपा किस तरह ED-CBI-IT रेड डलवाकर जबरन चंदा वसूलती थी।'' खरगे ने कहा,'' सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है।''