नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने SBI से 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने को कहा है। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को कड़ी फटकार लगाई...और एसबीआई को अवमानना की चेतावनी देते हुए कहा कि कल तक यह डेटा जारी होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तो कार्रवाई की जाएगी|
बता दें कि,''भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की 6 मार्च की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसके अलावा कोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था। 4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज,सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण प्रस्तुत करने के लिए अधिक समय की मांग की गई थी और देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को 12 मार्च, मंगलवार को कामकाजी समय समाप्त होने तक इसे जमा करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 15 मार्च शाम 5 बजे तक जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालने का भी आदेश दिया।
SBI की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने आज, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। साल्वे का कहना है कि SBI की समस्या यह है कि पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा। एसओपी ने सुनिश्चित किया था कि कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं हो।
आज, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने बैंक की खिंचाई करते हुए कहा कि वह पिछले 26 दिनों से क्या कर रहा है। पीठ ने कहा, "पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? आपका आवेदन उस पर चुप है।"
पीठ ने कहा, एसबीआई को सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना है, विवरण एकत्र करना है और चुनाव आयोग को जानकारी देनी है।
एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत में दलील दी कि बैंक को विवरण एकत्र करने और उनका मिलान करने के लिए अधिक समय चाहिए क्योंकि जानकारी उसकी शाखाओं में दो अलग-अलग साइलो में रखी गई थी। उन्होंने आगे कहा कि एसबीआई को यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए कम से कम तीन सप्ताह का समय लगेगा।
जवाब में, अदालत ने कहा कि उसने एसबीआई को केवल स्पष्ट खुलासा करने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे।
SBI को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के कड़े निर्देश
याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने बताया, "सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और SBI को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के कड़े निर्देश दिए। यह बहुत अच्छा फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं..."
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गौरतलब है कि,''भारतीय स्टेट बैंक ने 04 मार्च 2024 को चुनावी बांड (Electoral Bonds) के विवरण का खुलासा करने के लिए समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था, जिसने गुमनाम राजनीतिक फंडिंग की अनुमति दी थी, और इसे "असंवैधानिक" कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च तक दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं के विवरण का खुलासा करने का आदेश दिया था। एसबीआई ने पिछले हफ्ते अदालत से बांड के विवरण का खुलासा करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध किया था।
एसबीआई द्वारा समय सीमा बढ़ाने की मांग के बाद, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि भाजपा सरकार बैंक को अपने "संदिग्ध लेनदेन" के लिए ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है। खड़गे ने कहा था,"मोदी सरकार चुनावी बांड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में उपयोग कर रही है... भाजपा चाहती है कि यह लोकसभा चुनाव के बाद किया जाए। इस लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त होगा और एसबीआई 30 जून तक डेटा साझा करना चाहता है, "।