नई दिल्ली:दिल्ली की कई सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन का 45वां दिन है। बीते 44 दिनों से किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए ठंड, बारिश, कोहरे और शीतलहर का प्रकोप झेल कर भी डटे हुए | इस बीच कांग्रेस 15 जनवरी को पूरे देश में सभी राज्यपाल के आवास के बाहर कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करेगी|
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि,'लाखों अन्नदाता 40 दिन से अधिक से दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं, हाड़ कंपाती सर्दी, बारिश,ओलों में 60 से अधिक अन्नदाता ने दम तोड़ दिया। PM के मुंह से देश पर कुर्बान होने वाले उन किसानों के लिए सात्वंना का एक शब्द भी नहीं निकला|
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,'कांग्रेस ने फैसला किया है कि किसानों के समर्थन में 15 जनवरी को हर प्रांतीय हेडक्वार्टर पर कांग्रेस पार्टी किसान अधिकार दिवस के रूप में एक जनआंदोलन तैयार करेगी, धरना प्रदर्शन और रैली के बाद राजभवन तक मार्च करेंगे|
15 जनवरी को देश भर में ‘किसान अधिकार दिवस’ - होगा ‘राजभवन’ का घेराव
भारत की पहली सरकार, जो जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा किसान को कह रही - ‘सुप्रीम कोर्ट चले जाओ’ - ऐसी मोदी सरकार गद्दी छोड़ घर चली जाए, तो अच्छा
न किसान थकने वाला, न झुकने वाला और न रुकने वाला हैं
बता दें कि कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच शुक्रवार को हुई 8वें दौर की बातचीत समाप्त हो गई है| अब केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच अगली बातचीत 15 जनवरी को होगी| कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को बातचीत बेनतीजा होने के बाद ही किसानों ने अपनी बैठक की तारीख तय कर दी। कुंडली बॉर्डर पर 10 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई गई है, जिसमें सरकार के रुख को लेकर चर्चा की जाएगी।
इसके अगले दिन 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। वहां सरकार रुख देखकर किसान बड़ा फैसला लेंगे। सरकार 26 जनवरी की परेड के एलान को देखते हुए किसी तरह किसान नेताओं को मनाने में जुटी है, जबकि किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। भारतीय किसान यूनियन अंबावता के राष्ट्रीय महासचिव शमशेर सिंह दहिया के अनुसार किसान संगठनों को भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट किसानों के हक में फैसला लेगा। अब किसानों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, क्योंकि सरकार से किसी तरह की उम्मीद नहीं है। सरकार अपना रुख साफ कर चुकी है कि वह कानून रद्द करने की जगह केवल संशोधन पर विचार करेगी।
उन्होंने कहा कि किसान यहां जान देने को तैयार है और वह एक कदम भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने बताया कि किसानों ने आंदोलन घोषित कर रखे हैं और 26 जनवरी की परेड का ट्रायल सफल रहा है। अब सरकार बताएगी कि वह क्या चाहती है। उसे समाधान करना है या किसान पर वार करना है। इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन को तेज करने के लिए जनसंपर्क बढ़ा दिया है और गांव-गांव जाकर हर घर से एक व्यक्ति को भेजने की अपील करनी शुरू कर दी है।
वही शुक्रवार को सरकार के साथ मुलाकात के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव ने कहा था कि,'' एक गर्म चर्चा थी, हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा था,''सरकान ने हमें कहा कि कोर्ट में चलो। हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे..यह (निरस्त) किया जाएगा या हम लड़ना जारी रखेंगे| अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव ने कहा था कि,''हम ये नहीं कह रहे कि ये नए कृषि कानून गैर-कानूनी है। हम इसके खिलाफ हैं। इन्हें सरकार वापिस ले। हम कोर्ट में नहीं जाएंगे। हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।