नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर पलटवार करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर सच्चाई को स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि कि मई 2020 के बाद से, लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए चीन के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की पसंदीदा रणनीति DDLJ जैसी है यानी Deny (इनकार करो), Distract(ध्यान भटकाओ), Lie(झूठ बोलो), Justify(न्यायोचित ठहराओ) की नीति अपना रही है।
जयराम रमेश ने कहा, मोदी सरकार का कोई भी झूठ इस तथ्य को नहीं छिपा सकता है कि दशकों में केंद्र सरकार ने भारत के सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके को छिपाने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि मई 2020 में लद्दाख में भारत ने 65 में से 26 चौकियों पर से अपना नियंत्रण खो दिया। उन्होंने विदेश मंत्री द्वारा चीन घुसपैठ पर दिए गए हालिया बयान को विफल चीन नीति से ध्यान हटाने का नवीनतम प्रयास करार दिया।
दरअसल, हाल ही में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारतीय जमीन पर कब्जे की कोशिश 1962 में हुई थी, लेकिन विपक्ष इस तथ्य को छिपाता है और इस तरह प्रकट करता है कि जैसे कब्जा कल-परसों हुआ हो।
चीन के खिलाफ मोदी सरकार की 'DDLJ' नीति
कांग्रेस नेता ने सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया बयान को ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया है। उन्होंने कहा ,“मई 2020 से, लद्दाख में चीनी घुसपैठ से निपटने के लिए मोदी सरकार की पसंदीदा रणनीति का सार चार शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है - इंकार करो, ध्यान भटकाओ, झूठ बोलो और न्यायोचित ठहराओ (DDLJ - Deny, Distract, Lie, Justify)।
लद्दाख में 65 में 26 चौकियों पर भारत ने नियंत्रण खोया
जयराम रमेश ने कहा कि,“विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए की गई हालिया टिप्पणी मोदी सरकार की विफल चीन नीति से ध्यान भटकाने का ताज़ा प्रयास है। मई 2020 के बाद से भारत का लद्दाख में 65 में से 26 गश्त बिंदुओं तक अपनी पहुंच खोना सरकार की विफल चीन नीति का नवीनतम खुलासा है।
'1962 और 2020 की परिस्थितियों के बीच कोई तुलना नहीं'
कांग्रेस नेता ने कहा कि,“तथ्य यह है कि 1962 और 2020 की परिस्थितियों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती है। 1962 में भारत को अपने भू-भाग की रक्षा के लिए चीन के साथ युद्ध में उतरा था जबकि 2020 के बाद भारत ने चीनी आक्रामकता को शुरुआती ना नुकुर के बाद स्वीकार किया, जिसके बाद सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में भारत हज़ारों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपनी पहुंच खो बैठा।
क्या विपक्ष के नेताओं को महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों से मिलने का अधिकार नहीं?
उन्होंने कहा ,“2017 में चीनी राजदूत से मिलने के लिए राहुल गांधी पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा की गई अंतर्निहित निम्न स्तरीय टिप्पणी को विडंबना युक्त ही कहा जा सकता है, क्योंकि यह टिप्पणी एक ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई जिसने ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका में भारत का राजदूत रहते हुए संभवतः रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं से भेंट की थी। क्या विपक्ष के नेताओं को व्यापार, निवेश और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण देशों के राजनयिकों से मिलने का अधिकार नहीं हैं?
....मोदी सरकार को शुरू से ही सत्यनिष्ठ होना चाहिए था
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि,“नि:संदेह मोदी सरकार को शुरू से ही सत्यनिष्ठ होना चाहिए था और संसदीय स्थायी समितियों में चीन संकट पर चर्चा करके और संसद में इस मुद्दे पर बहस कराकर विपक्ष को विश्वास में लेना चाहिए था। सरकार को कम से कम प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर विस्तृत जानकारी देनी चाहिए थी ।
मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच निरंतर संपर्क....
कांग्रेस सांसद ने कहा कि,“यह अपने आप में विस्मयकारी है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई अवसरों पर यह स्वीकार किया है कि यह उनकी समझ से परे है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच असामान्य रूप से निरंतर संपर्क और प्रधानमंत्री के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ विशेष प्लस वन' संबंध होने की शेखी बघारने के बावजूद चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इतना आक्रामक क्यों हो गया है।
कोई भी भ्रम इस तथ्य को छुपा नहीं सकता है...
उन्होंने कहा ,“कोई भी भ्रम इस तथ्य को छुपा नहीं सकता है कि मोदी सरकार ने दशकों में भारत को लगे इस सबसे बड़े क्षेत्रीय आघात पर पर्दा डालने की कोशिश की है, और हमें यह चोट प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को खुश करने के बचकाने व्यवहार के बाद पहुंची। हमारा सुझाव है कि सरकार और विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीनी सैनिकों को डेपसांग और डेमचोक से बाहर निकालने के प्रयासों को अधिक समय दें और अपनी अक्षमता के लिए विपक्ष पर दोष मढ़ने पर कम समय लगाएं।