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सीमा पर बार-बार प्रहार हो रहा, प्रधानमंत्री मोदी चुप है: LAC पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प पर कांग्रेस का सरकार पर निशाना, पूछा- आप देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं?

  • by: news desk
  • 13 December, 2022
 सीमा पर बार-बार प्रहार हो रहा, प्रधानमंत्री मोदी चुप है: LAC पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प पर कांग्रेस का सरकार पर निशाना, पूछा- आप देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं?

नई दिल्ली: India China- Tawang Faceoff: 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सेना के जवानों के बीच झड़प हुई थी। झड़प में 20-30 भारतीय सैनिकों के घायल होने की खबर है। LAC पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प में घायल हुए भारतीय सैनिकों को असम के गुवाहाटी में एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तवांग में चीन के साथ हुए झड़प को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और कई सवाल पूछे है| कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा ,''आप चीन के सामने क्यों झुक जाते हैं?... आप चीन से इतना क्यों डरते हैं?...आप चीन के सामने भारतीय सेना का अपमान क्यों करते हैं?...आप देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं?|



कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने AICC HQ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि ,' पार्लियामेंट में हमारे रक्षा मंत्री ने सरकार का पक्ष रखा, लेकिन बिना कोई सवाल लिए वो वहाँ से चल पड़े और सरकार को जिस प्रकार से देश के सामने इस महत्वपूर्ण घटना पर जो विवरण देना चाहिए था, उस जिम्मेदारी से वो भाग गए।



गौरव गोगोई ने कहा कि ,'जैसा कि हमें पता है कि 9 दिसंबर, 2022 को चीन की सेना ने भारतीय सीमा में घुसने की साज़िश की । जिसमें हमारी भारतीय सेना के वीर जवानों ने बहुत ही ताकत और बहुत ही साहस के साथ हमारी सीमा की सुरक्षा की, तो मैं सबसे पहले हमारी सेना के उन वीर जवानों के प्रति, हमारे देश की तरफ से आभार प्रकट करना चाहूंगा और उन्हें कहना चाहूंगा कि देश हमारी सेना का समर्थन कर रहा है और कांग्रेस पार्टी भी हमारी सेना के साथ है।


राजनाथ सिंह ने कबूल किया- हमारे हजारों स्क्वेयर किलोमीटर पर चीन ने कब्ज़ा किया हुआ

उन्होंने कहा,'''लेकिन जहाँ हमने अपनी सेना के साथ समर्थन जताया, मुझे लगता है कि बीजेपी की सरकार का जो रवैया है, सरकार की तरफ से उसमें जरूर बहुत सी खामियां हैं। उन खामियों को उजागर करना हमारी जिम्मेदारी बनती है। खामियां क्या हैं- बीजेपी की सरकार देश की आवाम से सीमा पर चीन के साथ इस प्रकार का जो कॉन्फ्लिक्ट हो रहा है, उस पर जो सच्चाई है, जो तर्क है, वो छुपा रही है। और उसी के कारण आज हमने देखा इसी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने कबूल किया है कि भारत की हमारी सीमा के अंदर जो एरिया है, उस पर हजारों स्क्वेयर किलोमीटर पर चीन ने कब्ज़ा किया हुआ है। ये बयान स्वयं रक्षा मंत्री ने सदन में दिया हुआ है और गृह मंत्री बोलते हैं कि एक इंच भी नहीं देंगे।



इस प्रकार का दो रूपी संदेश क्यों? क्यों आप सच्चाई नहीं उजागर करते, क्यों आप हमारे जो विभिन्न राजनीतिक दल हैं, जिनका अधिकार बनता है कि आपसे प्रश्न उठाएं, आपसे इनफोर्मेशन मांगे, जानकारी मांगे कि हो क्या रहा है सीमा पर । जो बार-बार कांग्रेस पार्टी उठा रही है कि सीमा के उस पार चीन अपनी सिविलियन इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, 5जी टावर लगा रहा है, हाईवे बना रहा है, सड़क बना रहा है, चीन जिस प्रकार विभिन्न समय में अरुणाचल प्रदेश में हमारे लोगों का अपहरण किया है, उस पर हमारी सरकार की क्या नीति रहेगी। तो इन प्रश्नों से ये सरकार भागती क्यों है?


देश के लोगों के आंखों में धूल 'झोंक रही है मोदी सरकार

हम सरकार के द्वारा जानना चाहते हैं कि ये जो सदन, जिसको प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि ये लोकतंत्र का मंदिर है, तो क्या इस मंदिर में भारत की आवाम को ये जानने का अधिकार भी नहीं कि सीमा के उस पार हो क्या रहा है? जितनी जानकारी हमें मीडिया के द्वारा मिलती है कि लद्दाख में हमारे किसान बोल रहे हैं कि जहाँ पर पहले उनकी बकरियां चरने जाया करती थीं, आज उन एरियाज़ में नहीं जा पाते हैं। इलेक्टेड काउंसलर बोल रहे हैं कि जहाँ हम पहले जाते थे, हमारी आजादी थी, वहाँ आज आजादी नहीं है। इन बातों का खुलासा, स्पष्टीकरण सरकार क्यों नहीं देना चाहती है? क्यों भाग रही है, क्यों दो रूपी एक रवैया वो सदन के अंदर दिखा रही है और भारत की आवाम को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनकी आंखों में क्यों वो धूल 'झोंक रही है?


प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को क्लीन चिट दे दी थी

हमारी दूसरी बात है कि कहीं ना कहीं ये निर्देश आया होगा, ये जो दो रूपी रवैया इस सरकार ने अपनाया है, इसके पीछे कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री मोदी जी का निर्देश है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं 2020 में ज़ूम वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी, विभिन्न राजनीतिक दलों की, तब तो उन्होंने क्लीन चिट दे दी, चीन को । तब तो उन्होंने कह ही दिया कि चीन जो कह रहा है कि वो भारतीय सीमा के अंदर नहीं घुसा है, चीन अपनी ही सीमा के अंदर है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने उसी का समर्थन किया और उन्हीं की उन बातों को सुरक्षित रखने के लिए आज सरकार हमें गुमराह कर रही है।


सीमा पर बार-बार हो रहा प्रहार, प्रधानमंत्री मोदी चुप हैं:

अफ़सोस की बात है कि जहाँ पर भारत की अखंडता का सवाल उठता है, जहाँ पर भारत की सीमा सुरक्षा का सवाल उठता है, जहाँ पर हमारे वीर जवानों की शहादत का मामला उठता है, तो आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी को अपनी छवि, अपने देश की अखंडता से ज्यादा प्यारी है। वो अपनी छवि को देश से ऊपर मानते हैं और इसलिए, हमने कहीं दुनिया में ऐसा देश नहीं देखा होगा जिसकी सीमा पर बार-बार प्रहार हो रहा है और उस देश का नेता, उस देश का प्रधानमंत्री चुप है।


प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों के पीछे छुपते हैं

आप बताइए, आप देखिए रूस और यूक्रेन में किस प्रकार दोनों देशों के नेता बार-बार अपने देश का पक्ष रखते हैं। देश की आवाम को सारी जानकारी देते हैं, तथ्य देते हैं और एक हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी हैं, सदन की शुरुआत से पहले बोलेंगे, सभी मीडिया के साथ कि सदन में चर्चा होनी चाहिए और जब ऐसा महत्वपूर्ण मामला आता है, जहाँ पर देश की सीमा, देश की विदेश नीति, देश की अर्थव्यवस्था, देश की अखंडता पर सवाल उठा हुआ है, तब वो अपने मंत्रियों के पीछे छुपते हैं, कभी विदेश मंत्री के पीछे छुपते हैं, कभी रक्षा मंत्री के पीछे छुपते हैं, कभी गृह मंत्री के पीछे छुपते हैं।


मोदी सरकार की वजह से भारतीय सेना पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है

तो ये साफ-साफ जताता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी को अपनी छवि अपने नैतिक कर्तव्य से ज्यादा पसंद है, ज्यादा उनको प्यारी है और आज हम देख रहे हैं कि जिस प्रकार हमारी भारतीय सरकार और चीन की सरकार लद्दाख और गलवान को लेकर, 16 बार मीटिंग कर चुके हैं, उसके पश्चात भी चीन की सेना का इतना साहस की लद्दाख को छोड़कर अब उत्तर पूर्वांचल पर अपनी नज़र रखें, अरुणाचल प्रदेश पर अपनी नज़र बनाएं।


तो ये साफ-साफ जाहिर करता है कि जिस प्रकार से चीन की सरकार और हमारी सरकार के बीच में जो बातें हो रही हैं, उन बातों का कोई नतीजा हम नहीं देख पा रहे हैं, कोई ठोस नतीजा नहीं देख पा रहे हैं। आज हम देख रहे हैं कि मोदी सरकार के कारण ऐसे प्रकार के बफर जोन बनाए जा रहे हैं, ऐसे प्रकार के डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट हो रहे हैं, जहाँ पर भारतीय सेना जो गलवान क्लैश होने से पहले पेट्रोलिंग करती थी, वहाँ पर पेट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं। मानो मोदी सरकार, अपनी ही सेना की जो उनकी आजादी है। पेट्रोलिंग की, उनकी बाजुएं हमने बांध कर रखे हैं, उनको जकड़ कर रखा है।



क्यों भारत सरकार इस प्रकार के डिसइंगेजमेंट, इस प्रकार के बफर जोन बनाने पर तत्पर है? जिसके कारण भारतीय सेना की आजादी को सीमित किया जा रहा है। इस प्रकार का कॉम्प्रोमाइज क्यों ? इसीलिए तो चीन को बार-बार ये साहस मिल रहा है कि वो अब उत्तर पूर्वांचल में इस प्रकार का माहौल बनाए, उसमें भी फिर बाद में डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट होगा, उस पर भी बफर जोन होगा, भारतीय सेना और पीछे हट जाएगी।


डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट और बफर जोन का फायदा चीन को मिल रहा है

तो ये सारे डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट और बफर जोन का फायदा किसको मिल रहा है, अंत में चीन को । इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि ये भारत की जो अखंडता है, उसकी सुरक्षा भाजपा सरकार नहीं कर पा रही है। कोई ठोस रणनीति नहीं है। समय कहाँ हैं? साम्प्रदायिक राजनीति और निर्वाचन के अलावा इनके पास समय कहाँ है, देश के बारे में सोचने के लिए।


बाइलेट्रल ट्रेड से चीन को ज्यादा फायदा हो रहा है

चीन ने हमारे सामने एक ऐसी समस्या खड़ी कर दी है, पूरी सरकार और सारे दलों को एक साथ करके हमें एक ठोस स्ट्रैटजी बनानी है, रणनीति बनानी है, लेकिन समय कहाँ है? आज हमारी चीन के साथ जहाँ पर बाइलेट्रल ट्रेड बढ़ता जा रहा है । आज विदेश मंत्री जयशंकर जी बोलते हैं कि नहीं, जब तक सीमा पर पहले जैसी अवस्था नहीं रहेगी, तो भारत और चीन के रिश्तों के बीच में पहले जैसा वातावरण नहीं होगा । तो बार-बार बाइलेट्रल ट्रेड क्यों बढ़ रहा है? जिस बाइलेट्रल ट्रेड से चीन को ज्यादा फायदा हो रहा है। तो हमारी इकॉनमिक स्ट्रैटजी क्या है?


सरकार चुप है

आपने चीन के कुछ ऐप्स को बंद कर दिया, बस । जहाँ पर चीन की कंपनियों और इकॉनमी को इंडिया की इकॉनमी के साथ ट्रेड करके फायदा हो रहा है, ये इन छोटे-छोटे ऐप्स को बंद करके आप किसको डरा रहे हैं? क्या संदेश जा रहा है ये भारत सरकार से कि जब भी चीन हमारी सीमा पर अपनी आंख उठाएगा तो हम उनके दो-तीन ऐप बंद कर देंगे और उनके साथ हम पहले जैसा ट्रेड करते रहेंगे, जिस ट्रेड के द्वारा अरबपति और सबसे अमीर व्यापारी हैं, उनका फायदा हो रहा है, हमारा कोई फायदा नहीं है, इसमें । लेकिन भारत सरकार आज चुप बैठी है। भारत सरकार की डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी क्या है? दक्षिण एशिया में, जहाँ पर हमारे रिश्ते कितने बुलंद थे- बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ, उस दक्षिण एशिया में आज चीन घुस आया है।


देश को गुमराह करने का काम हो रहा है

हमारी ईस्ट एशिया के साथ क्या रणनीति है? हमारी आसियान के साथ क्या रणनीति है? तो डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी कहाँ है, हमारी ? विदेश मंत्री जी तो बातें बहुत अच्छी करते हैं, लेकिन नतीजों पर हम ध्यान देते हैं, बातों पर नहीं। हम देख रहे हैं कि दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आसियान और ईस्ट एशिया के साथ पहले जैसे हमारे रिश्ते थे, वो पहले जैसे नहीं रहे, विभिन्न कारणों से। तो अगर भारत को चीन के इस दुस्साहस का जवाब देना है, तो भारत को विभिन्न देशों की सरकारों के साथ बातचीत करनी पड़ेगी, वो हमें नहीं दिख रहा है।


तो कहीं ना कहीं हम देख रहे हैं कि आज सिर्फ ध्यान भटकाने का काम हो रहा है, देश को गुमराह करने का काम हो रहा है। मीडिया का ध्यान इधर और उधर करने का हो रहा है और जिसके कारण आज एक ऐसी चुनौती हमारे सामने आ चुकी है, जिस चुनौती का उत्तर अगर हम आज नहीं देंगे, मिलकर नहीं देंगे, एक साथ होकर, एकजुट होकर नहीं देंगे, तो इसका नतीजा भविष्य में हमें भुगतना पड़ेगा और सारी की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी जी को लेनी पड़ेगी।



तो मोदी जी, जैसे राहुल गांधी जी बार-बार कहते हैं, डरिए मत, मुँह खोलिए, चीन का नाम लीजिए और भारत की सेना और भारत के नागरिकों को ये विश्वास दीजिए कि आपने जो पहले कहा वो गलत है और अब आप जानते हैं कि सच्चाई क्या है और भारत की सरकार पूरी तरह से इस चुनौती का मुकाबला करेगी, उसका आप विवरण करिए ।


चीन की यूसी वेब मोबाईल से BJP ने 2019 'चुनाव में सहायता ली थी

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि, ‘‘गौरव गोगोई जी ने आपको बताया कि कैसे 59 ऐप्स पर पिछले राउंड में पाबंदी लगाई। आज गृहमंत्री बड़ी ऊंची-ऊंची आवाज में हम पर आरोप लगा रहे थे। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि वो ऐप्स, जिन पर पाबंदी लगाई थी, उनसे भारतीय जनता पार्टी के कितने घनिष्ठ सम्बंध हैं।



पवन खेड़ा ने कहा कि, ‘‘यूसी वेब मोबाईल, आप नोट करिए, बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के 'चुनाव जिन कंपनियों की सहायता ली थी, उनमें से ये थी - यूसी वेब मोबाईल । ये सेवाएं भारतीय जनता पार्टी ने लीं और 2017 में इसी कंपनी पर भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया था कि ये भारतीयों का डेटा चुराकर चीन भेजती है, लेकिन 2019 में इसी कंपनी को भारतीय जनता पार्टी ने इस्तेमाल किया। मजबूरी क्या थी प्रधानमंत्री जी की, हम नहीं जानते।


दूसरी कंपनी - शेयर आई टी, या शेयर इट, जो भी कहना चाहें। इसी कंपनी पर पाबंदी लगाई कि ये देश संप्रभुता के लिए खतरा है। यही कंपनी भारतीय जनता पार्टी के कई चुनाव में पार्टनर बनकर भारत के चुनाव पर प्रभाव डालती है। हम भी पूरी रिसर्च करके बैठे हैं, गृहमंत्री जी को समझना चाहिए। हमारे राजीव गांधी फाउंडेशन के खाते पब्लिक डोमेन में हैं, सबके सामने हैं, कुछ छुपाने की बात नहीं है, सार्वजनिक है।


आरएसएस के क्या संबंध हैं, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से ?

आरएसएस के क्या संबंध हैं, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से ? आरएसएस का हक क्या बनता है, वो तो एक सांस्कृतिक संगठन है, गैर राजनीतिक संगठन है, क्यों बार-बार चीन के दरवाजे पर दस्तक देते हैं? क्यों चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के साथ पार्टनरशिप करते हैं? जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में नहीं हो, तब भी ये लोग मिलने जाते हैं, उनसे शिक्षित होने जाते थे, ये देख लीजिए साहब, ये है इनकी असलियत (प्रमाण दिखाते हुए कहा)।


चीन के दूतावास ने विदेश मंत्री के सुपुत्र के फाउंडेशन को पैसे दिए

एक फाउंडेशन है, जिसमें विदेश मंत्री के सुपुत्र काम करते हैं, बड़े अच्छे पद पर काम करते हैं। चीन के दूतावास ने उस फाउंडेशन को पैसे दिए, लगातार दिए। 2016 से लेकर लगातार देते आ रहे हैं। हमने तो ये आरोप नहीं लगाया साहब, कि क्या विदेश मंत्री के सुपुत्र उस फाउंडेशन में हैं, इसलिए ये पैसा दिया जा रहा है? इसका क्विड-प्रो-क्यो ( Quid - Pro - Quo) क्या है ? हमने ऐसे कोई आरोप नहीं लगाए, वो भी पब्लिक डोमेन में हैं।


राजीव गांधी फाउंडेशन के खाते पब्लिक डोमेन में हैं

राजीव गांधी फाउंडेशन को अगर कोई ऐसा पैसा दिया, वो इकॉनमिक टाइज़ कैसे इम्प्रूव करना है, उसकी स्टडी के लिए दिया और फाउडेंशन पूरे विश्व से लगातार अलग-अलग जगह से पैसा लेती है, सार्वजनिक पटल पर होता है, वो। लेकिन इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद फाउंडेशन (भाजपा से नजदीकियां वाली फाउंडेशन) का चीन से क्या संबंध हैं, उसका खुलासा कीजिए, गृहमंत्री जी । अनुमति ले लीजिए, डोभाल साहब से, बताइए क्या संबंध हैं डोभाल साहब और उनके फाउंडेशन के चीन के साथ।



एक और बड़ा रोचक तथ्य है। भारतीय जनता पार्टी के जब चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी से मिलने 14 लोग गए तो क्या तय हुआ ये तय हुआ कि दोनों विश्व की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टीज़ हैं, इनका अलायंस होना चाहिए और एक ग्लोबल पॉलिटिकल पार्टी अलायंस बनना चाहिए।



हमने तो नहीं कहा साहब क्या एमओयू साइन करके आए। क्योंकि हमें समझ है, हम समझते हैं कि जब पॉलिटिकल पार्टी मिलती हैं, चर्चा करती हैं, लोकतंत्र पर चर्चा करती हैं। हम सीखने नहीं गए थे, आप सीखने गए थे, हमें शिक्षित करो। कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना भारतीय जनता पार्टी को शिक्षित करती है। बताइए इससे बड़ा रिश्ता क्या हो सकता है?


चीनी कंपनियों ने पीएम केयर फंड में दिया पैसा

और उदाहरण देते हैं, पीएम केयर फंड सार्वजनिक करिए। चीन की वो कौन-कौन सी कंपनियां हैं, जिन्होंने पीएम केयर फंड में पैसा दिया और क्यों दिया, बताइए। एक और महत्वपूर्ण कंपनी डोंग फेंग, बड़ा महत्वपूर्ण नाम है, याद रखिएगा। जब हमारी सरकार आएगी, तो ये नाम रोज हेडलाइन में होगा, ये मैं आपको आज बता देता हूँ। डोंग फेंग पर विश्व बैंक ने पाबंदी लगाई, यूरोप ने पाबंदी लगाई, पैंटागन ने पाबंदी लगाई। 2020 में, जम्मू-कश्मीर में स्मार्ट मीटर का कॉन्ट्रैक्ट डोंग फेंग को दे दिया, सरकार ने, ब्लैक लिस्टेड कंपनी, चीन की कंपनी । स्मार्ट मीटर का मतलब ये होता है कि जम्मू-कश्मीर के तमाम नागरिकों का डेटा, डोंग फेंग, यानि कि चीन के हाथ में आपने सुपुर्द कर दिया। बॉर्डर स्टेट, जम्मू-कश्मीर ।


डोंग फेंग से आपके क्या रिश्ते हैं, हम ये जानना चाहते हैं। विश्व बैंक ने पाबंदी लगाई। ब्लैक लिस्ट किया, अमेरिका ने। ब्लैक लिस्ट किया यूरोप ने और डोंग फेंग को एक महत्वपूर्ण बॉर्डर स्टेट के स्मार्ट मीटर का ठेका, माफ कीजिएगा, मोदी जी ने दिया। क्यों दिया?


43 हजार करोड़ के एमओयूज़ चीन की कंपनीज़ के साथ साइन किए

चलिए आइए, गुजरात, धोलेरा में आपको ले चलते हैं। धोलेरा में 43 हजार करोड़ के एमओयूज़ चीन की कंपनीज़ के साथ किसने साइन किए? कोई कारण रहा होगा कि चीन का जो सरकारी अखबार है, ग्लोबल टाइम्स वो लिखता है कि मोदी जी हार नहीं जाएं कहीं गुजरात । अगर मोदी जी गुजरात हार जाएंगे, तो चीन को बड़ा नुकसान होगा। क्या नुकसान होगा, चीन को, हम भी ये जानना चाहते हैं। ये जो गौरव गोगोई जी बता रहे थे, 19 जून, 2020 को दी गई क्लीन चिट चीन को मोदी जी द्वारा, क्या ये राज क्लीन चिट का इन्हीं तमाम तथ्यों में तो नहीं छुपा हुआ ? क्या ये राज धोलेरा में तो नहीं छुपा हुआ ? क्या ये राज डोंग फेंग कंपनी में तो नहीं छुपा हुआ ? या उन कंपनियों में जिनका शेयर इट टेक्नोलॉजी, यूसी वेब मोबाइल, चाईनीज कंपनीज़, जिन पर मोदी जी का चुनाव निर्भर करता है।


हम देश की सम्प्रभुता, देश की सीमाओं के बारे में चिंतित हैं। 1962 में जब युद्ध हो रहा था, एक 36 वर्षीय सांसद, जिनका नाम था, अटल बिहारी वाजपेयी, चुनौती दी उन्होंने नेहरू जी को कि संसद का सत्र बुलाइए, हम डिबेट चाहते हैं। नेहरू जी भागे नहीं डिबेट से । डिबेट हुई, हमारे वरिष्ठ सहयोगी, अभिषेक सिंघवी जी के पिता जी, एलएम सिंघवी जी, उस वक्त पाली से निर्दलीय सांसद थे, उन्होंने सलाह दी कि डिबेट सीक्रेट होनी चाहिए, इसका कहीं कोई कवरेज नहीं आना चाहिए, अखबारों में नहीं छपना चाहिए। नेहरू जी ने कहा- जी नहीं! महत्वपूर्ण मुद्दा है, ये डिबेट सार्वजनिक होनी चाहिए, संसद में बिल्कुल होनी चाहिए चर्चा इस पर। 165 लोगों ने उस डिबेट में हिस्सा लिया।



हमारे अपने सांसद महावीर प्रसाद जी, उन्होंने ने भी निंदा की उस वक्त, नेहरू जी ने सुनी। ये सरकार सवाल पूछ लो तो हम पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा कांग्रेस ने दिया । इनकी तरह नहीं कि पिछले साल हम इनको बार-बार चेतावनी दे रहे थे कि चीन नाम बदल रहा है, अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों के, तो मोदी जी कहते थे- नहीं नहीं कोई बात नहीं, नाम बदलने से क्या होता है। देख लीजिए, अब आपके दरवाजे पर दस्तक देने आ गए हैं।


तापिर गाव तो आपके एमपी हैं, अरुणाचल से। तापिर गाव आपको कहते रहे कि 60-70 किलोमीटर चीन अंदर घुस आया है, आपने कहा, नहीं, कोई बात नहीं, आने दीजिए। ये क्या राज है, क्यों घबराते हो आप चीन से? क्यों 18-18 बार आप चीन के राष्ट्रपति से मिलते हो? क्यों आप लाल शॉल ओढ़कर उनके आगे लेकिन आपका रवैया देखकर, संसद में भी और संसद के बाहर भी आपका रवैया देखकर हम मजबूर होकर ये पूछ रहे हैं कि मजबूरी आपकी क्या है, क्यों आप चुप हो जाते हो, चीन के सामने, क्यों आप डर जाते हो चीन के सामने, क्यों देश की सेना का अपमान करते हो, आप चीन के सामने? क्यों देश की सीमाओं के साथ आप खिलवाड़ करते हो, चीन के सामने? ये सवाल हम पूछेंगे और बार-बार पूछेंगे।


एक प्रश्न के उत्तर में श्री गोगोई ने कहा कि राजनाथ सिंह जी का बयान इतने दिन बाद क्यों आया, आज 13 तारीख है, घटना 9 तारीख को हुई । पार्लियामेंट का सत्र कल भी था। तो ये जब कल किसी अखबार में बात आई, तब जाकर राजनाथ सिंह ने ये स्टेटमेंट दिया। इससे पहले किससे छुपा रहे थे, आपसे, देश से? तो हम इससे संकेत लेते हैं कि ये देश से सच्चाई छुपाना चाहते हैं।


अरुणाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वांचल के उस पार बार-बार हम बोल रहे हैं कि चीन अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है, इसीलिए तो बढ़ा रहा है। वो 5जी टॉवर किसके लिए है- वो आर्मी के लिए को-ऑर्डिनेशन के लिए है। वो हाईवे रोड किसके लिए है- वो आर्मी के ट्रक्स वहाँ पर जाएं। वहाँ पर एक्सरसाईज हो, मिलिट्री एक्सरसाईज हो, इस ठण्ड के समय में मिलिट्री एक्सरसाईज हो ।


तो ये जो चीजें हैं, हमारा अधिकार बनता है कि देश जाने हमारे प्रश्नों के द्वारा। तो ये जानकारी तो राजनाथ सिंह जी ने नहीं दी, वो शायद चाहते भी हों। मैं रक्षामंत्री पर सवाल नहीं उठा रहा, वो शायद चाहते भी हो, ये विवरण देने का, लेकिन उनकी आवाज पर भी लगाम लगाई हुई है, प्रधानमंत्री मोदी जी ने। तो इसीलिए उनका स्टेटमेंट अधूरा था। हमारे सवाल जायज़ थे। 9 तारीख की ये घटना 13 तारीख को क्यों बताई गई? पार्लियामेंट से इतने दिन क्यों छुपाया गया? कल भी बता सकते थे। तो इसीलिए बहुत कारणों की वजह से कांग्रेस पार्टी, विभिन्न विपक्षी दलों ने उनके स्टेटमेंट के बाद लोकसभा से वॉकआऊट किया।


अगर सक्सेस होता, तो चीन ये साहस नहीं करता

इस संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री गोगोई ने कहा कि अगर सक्सेस होता, तो चीन ये साहस नहीं करता। 2020 में गलवान हुआ, 2 साल लगभग बीत चुके हैं, अगर डिप्लोमेसी में हम सक्सेस होते, तो चीन आज साहस नहीं करता। तो पहले तो चीन के साथ जो हमारे डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप हैं और डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी है, उसी में हम चूक गए। जब बायलेट्रल ट्रेड बढ़ रहा है, हम कुछ ऐप्स को बैन करके संतुष्ट हैं, तो चीन देख रहा है कि देखो, मुझे देखो ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा है। तो हम चीन के दुस्साहस पर जो पैनल्टी नहीं लगा पा रहे, कि एक-दो स्लोगन बोल देंगे, कुछ फॉरन कॉन्फ्रेंसेज़ में जाकर हमारे विदेश मंत्री, कुछ अट्रेक्टिव मीडिया बाईट देंगे और वही रणनीति हो गई और वही कूटनीति हो गई और जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा । तो इसीलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि आपके पास समय नहीं है कि इस समस्या को आप छोटा समझें। आप साम्प्रदायिक और निर्वाचन से हटकर हमारी अखण्डता पर ध्यान दें, पर आपको फुर्सत कहाँ हैं, प्रधानमंत्री मोदी जी को रोड-शो से और सदन में आकर इस देश के सामने ये जो ट्रांसपेरेंसी दिखानी चाहिए, पारदर्शिता दिखानी चाहिए उसके लिए उनके पास समय नहीं है।


प्रधानमंत्री को देश की सीमाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण, अपनी छवि 

श्री पवन खेड़ा ने जोड़ा कि आपने डिप्लोमेटिक फेल्योर की बात की, जो काला दिन था हमारे देश की सुरक्षा के लिए, वो 19 जून, 2020 था, जब क्लीन चिट प्रधानमंत्री देते हैं। चीन समझ गया, विश्व समझ गया कि इस व्यक्ति के लिए देश की सीमाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण, अपनी एक छवि है। तो सबसे बड़ा फेल्योर तब होता है, डिप्लोमेसी में, जब आपकी कमज़ोरी दुश्मन को समझ में आ जाती है और आपने तो खुलकर अपनी कमज़ोरी दुश्मन के सामने रख दी।



मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। जब 2014 में मोदी जी पहली बार प्रधानमंत्री बने। तो चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स लिखता है कि मोदी जी का काम करने का तरीका और सोच चीन के बहुत नजदीक हैं, हम उनके साथ काम करने में बहुत सहज महसूस करते हैं। " ये जो अप्रूवल सीकिंग की जो आदत है न, अंग्रेजी में तो इसको अप्रूवल सीकिंग कहते हैं। मोदी जी की जो ये कमजोरी दुश्मन 'देश के हाथ में आ गई है। जैसे आप इनकी तारीफ कर दो, तो ये बिछ जाएंगे आपके लिए, ये सबसे बड़ा हमारा डिप्लोमेटिक फेल्योर है.


फॉरन पॉलिसी चला कौन रहा है?

अब तो इनके यहाँ तो यही समझ में नहीं आता कि साहब, फॉरन पॉलिसी चला कौन रहा है? डोभाल जी चला रहे हैं, जयशंकर जी चला रहे हैं या कोई और चला रहा है? तो हम अकाउंटेबिलिटी भी किस पर फिक्स करेंगे, सवाल भी किससे उठाएंगे? तो डिप्लोमेटिक फेल्योर, मैं नहीं समझता, जैसा कि मेरे साथी ने बड़ा सही कहा, न हम इस पर रक्षामंत्री पर सवाल उठा सकते हैं, न विदेश मंत्री पर सवाल उठा सकते हैं, न ही शायद डोभाल जी पर उठा सकते हैं, प्रधानमंत्री सीधे-सीधे जिम्मेदार हैं क्योंकि क्लीनचिट उन्होंने दी थी और जब पेंटागन ने वो 101 मकानों के गांव की बात बताई कि अरुणाचल प्रदेश में, अपर सुबनसिरी डिस्ट्रिक्ट में, झील के किनारे पर एक गांव बसा दिया है और हमने जब सवाल यहीं, इसी मंच से उठाया, तो हमें कहा गया कि अरे साहब, ये तो नेहरू जी के वक्त से विवादित है। विवादित होना अलग बात होती है, विवादित पर कब्जा होना अलग बात होती है।



विवादित था, 1959 से विवादित था, इसमें कोई शक की बात नहीं है, लेकिन उसके बाद जितनी ट्रिटीज़ हुई हैं, उन ट्रिटीज़ में ये स्पष्ट कहा गया था कि दोनों तरफ में से कोई भी उस स्टेटस को, को नहीं डिस्टर्ब करेगा, यथास्थिति को नहीं चेंज करेगा, परिवर्तित नहीं करेगा। चीन ने न केवल यथास्थिति को परिवर्तित किया, वहां आकर एक गांव बसा दिया और आप चीन को जबाव देने की जगह, हमें जबाव दे रहे हैं। हम कह रहे हैं साहब, चीन का मुकाबला करो। आप हमारा मुकाबला करने आ गए, ये बीमारी है।  


 सरकार की देश के सामने जबावदेही तय करना ये हमारा कर्तव्य

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री गोगोई ने कहा कि पहले दिन से ही हम जता रहे हैं, इस सदन की शुरुआत से पहले ही कि आप चीन पर एक सामूहिक रूप से, एक होलिस्टिक डिस्कशन करिए। क्योंकि आपने तो एक मुद्दा उठा लिया कि आज सीमा के पार क्या हादसा हुआ। हम तो आपको कलेक्टिवली पूछ रहे हैं कि बायलेटरल ट्रेड क्यों बढ़ रहा है, हम आपसे जानना चाहते हैं कि आपकी इकॉनमिक स्ट्रैटजी क्या है, डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी क्या है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने तो एक बार वर्चुअल राऊंड मीटिंग कर ली, उस टाईम अपना मुंह खोल पाए, आज क्यों उन्होंने मुंह बंद करके रखा है? दोबारा एक राउंड टेबल बुलाईए, दलों के साथ बातचीत करिए, चूक हुई तो कबूल कर लीजिए, देश आपकी चूक को नहीं, देश अपनी अखण्डता को ज्यादा महत्व देता है।



तो ये पहले दिन से हमारी मांग है और ये मांग रहेगी। क्योंकि मुझे लगता है कि पारदर्शिता और जिम्मेदार होना इस सरकार का नैतिक कर्तव्य है और देश और सरकार अलग है, हम देश के लिए चिंतित हैं, इसीलिए सरकार से प्रश्न उठा रहे हैं। सरकार, देश नहीं, सरकार, सेना नहीं, सेना पर हम फख़ अनुभव करते हैं, लेकिन सरकार की देश के सामने जबावदेही तय करना ये हमारा कर्तव्य है और देश को पूरी जानकारी देना, सच्चाई दिखाना ये इस सरकार का कर्तव्य है।



चीन पर चुप्‍पी तोड़ो- Jawab Do Modi 

सवाल 1: मोदी सरकार ने 'PM केयर फंड' में चीन की कंपनि‍यों से पैसा क्‍यों ल‍िया?  

सवाल 2: BJP का डेल‍िगेशन 2019 में चीन की तानाशाह सरकार से क्‍या सीखने गया था? और वहां से क्‍या सीखकर आए हैं? चीन की कम्‍युन‍िस्‍ट पार्टी के साथ क्‍या समझौता क‍िया?


सवाल 3: 2017 में मोदी सरकार ने चीन की ज‍िस कंपनी (UC Web Mobile) पर आरोप लगाया था कि ये भारतीयों का डाटा चुराकर चीन भेजती है। आखिर क्या मजबूरी थी कि 2019 में BJP ने इसी कंपनी को अपनी चुनावी ब्रांडिग में इस्तेमाल किया?


सवाल 4: व‍िश्‍व बैंक ने चीन की ज‍िस कंपनी 'डोंगफेंग' को बैन क‍िया, उस कंपनी को ही मोदी सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर में स्‍मार्ट मीटर का प्रोजेक्‍ट दे द‍िया। क्‍यों?  जम्‍मू कश्‍मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में चीन की कंपनी को काम क्‍यों द‍िया गया?


सवाल 5: चीन सरकार के मुखपत्र 'ग्‍लोबल टाइम्‍स' ने क्‍यों ल‍िखा क‍ि मोदी के गुजरात हारने से चीन को नुकसान होगा? PM मोदी का चीन से ये कैसा र‍िश्‍ता है?






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