नई दिल्ली: कांग्रेसने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को जंगल में छोड़ने को 'तमाशा' (नाटक) कहा, यह कहते हुए कि यह महत्वपूर्ण मुद्दों से भटकाने का एक और नया तरीका है। जैसा कि पीएम मोदी ने शनिवार को चीतों को रिहा किया, जो उनका 72 वां जन्मदिन भी है, उन्होंने कहा कि 1952 में विलुप्त होने के बाद चीतों को लाने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए थे।
यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी शायद ही कभी शासन में निरंतरता को स्वीकार करते हैं। जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "पीएम शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं। चीता प्रोजेक्ट के लिए 25.04.2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा का ज़िक्र तक न होना इसका ताज़ा उदाहरण है। आज पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया। ये राष्ट्रीय मुद्दों को दबाने और Bharat Jodo Yatra से ध्यान भटकाने का प्रयास है।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि,''2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया तब कई लोग आशंकाएं व्यक्त कर रहे थे।वे गलत साबित हुए। चीता प्रोजेक्ट पर भी उसी तरह की भविष्यवाणीयां की जा रही हैं।इसमें शामिल प्रोफेशनल्स बहुत अच्छे हैं। मैं इस प्रोजेक्ट के लिए शुभकामनाएं देता हूं!
INC ने ट्वीट किया, प्रोजेक्ट चीता' का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ।
-मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
-अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।
-2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आए...
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी चुटकी ली है| उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर जयराम रमेश के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है कि उनका शेर इस वक्त देश जोड़ने निकला है तो देश तोड़ने वाले विदेश से चीते ला रहे हैं| उन्होंने लिखा, ‘क्यूँकि हमारा शेर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकला हुआ है तो भारत तोड़ने वाले विदेश से अब चीते ला रहे हैं....
कांग्रेस ने शुक्रवार को तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की 2010 में दक्षिण अफ्रीका में एक चीते के साथ एक तस्वीर पोस्ट की और कहा कि 2008-09 में प्रोजेक्ट चीता का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इस परियोजना को मनमोहन सिंह सरकार ने मंजूरी दी थी। 2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना पर रोक लगा दी और कोर्ट ने 2020 में अनुमति दी।