नई दिल्ली: कृषि क़ानून को लेकर विपक्ष के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की और एक ज्ञापन प्रस्तुत किया। कृषि क़ानून को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत विपक्ष के 5 नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की| उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध किया| विपक्षी दलों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, और डीएमके नेता टीआर बालू शामिल थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि किसानों ने देश की नींव रखी है| वो दिन-रात काम करते हैं| ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं| तीनों बिल संसद से बिना चर्चा के पास हुए| राहुल गांधी ने कहा कि किसानों की शक्ति के सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता| हिंदुस्तान का किसान हटेगा नहीं, डरेगा नहीं| जब तक कानून रद्द नहीं होते तब तक वे डटे रहेंगे|
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘कहा कि हमने राष्ट्रपति से कहा है कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,कृषि कानून किसान विरोधी है। PM ने कहा था कि ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर किसान सड़क पर क्यों खड़े हैं? सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे और हट जाएंगे। जब तक कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक किसान न हटेगा न डरेगा|
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,'सरकार को गलतफहमी में नहीं होना चाहिए किसान समझौता नहीं करेगा। मैं किसानों से कह रहा हूं कि अगर आप आज नहीं खड़े हुए तो फिर आप कभी नहीं खड़े हो पाओगे और हम सब आपके साथ हैं आप बिलकुल घबराइए मत। आपको कोई पीछे नहीं हिला सकता आप हिदुस्तान हो|
एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि,'' सभी विपक्षी पार्टियों ने सरकार से अनुरोध किया था कि कृषि बिलों में गहराई से बहस हो और इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए लेकिन दुर्भाग्यवश इसे जल्दबाजी में पास कर दिया गया। इस ठंड में किसान सड़कों पर बैठकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए नाखुशी जाहिर कर रहे हैं। यह सरकार का दायित्व है कि उनके मुद्दों को सुलझाएं।
सीपीएम (CPI-M) नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि,'हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की और ज्ञापन प्रस्तुत किया। उसमें हमने कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को वापिस लेने की मांग की क्योंकि ये बहुत ही गैर-लोकतांत्रिक और बिना विचार-विमर्श के पारित कर दिए गए थे|