नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन (MK Stalin) ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर अगली कार्रवाई का फैसला करने से पहले कानूनी राय लेंगे। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट का ईडब्ल्यूएस कोटा बरकरार रखने का फैसला सामाजिक न्याय के लिए हमारे सदियों पुराने संघर्ष के लिए एक झटका है।
सुप्रीम कोर्ट के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को बरकरार रखने के फैसले पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि,'' आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण मामले में आज का फैसला सामाजिक न्याय के लिए सदियों से चले आ रहे संघर्ष को झटका है
एमके स्टालिन ने कहा कि,''कोर्ट के फैसले के गहन विश्लेषण और कानूनी विशेषज्ञों के परामर्श के बाद, सामाजिक न्याय के खिलाफ स्वर्ण समुदाय के लिए आरक्षण की इस प्रणाली के खिलाफ हमारे संघर्ष को जारी रखने के लिए अगले कदमों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
बरकरार रहेगा 'EWS' आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण पर लगाई मुहर
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार, 07 नवंबर, 2022 को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले 103 वें संविधान संशोधन की वैधता पर अपनी मुहर लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की बेंच ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण प्रदान किया गया है। 3 न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि 2 न्यायाधीश ने इसपर असहमति जताई।
बेंच के न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने EWS संशोधन को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश उदय यू ललित और न्यायाधीश रवींद्र भट ने इस पर असहमति व्यक्त की है। EWS संशोधन को बरकरार रखने के पक्ष में निर्णय 3:2 के अनुपात में हुआ।