रायपुर : छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ विधानसभा सीट से विधायक एवं जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नेता देवव्रत सिंह का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 52 वर्ष के थे। बृहस्पतिवार को खैरागढ़ सीट से विधायक देवव्रत सिंह को हार्ट अैटक की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उनकी सांसें थम गई थीं।
देवव्रत सिंह के परिवार के सदस्य सुनील सिंह ने बताया कि देवव्रत सिंह को रात करीब एक बजे सीने में दर्द की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हें स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सुनील ने बताया कि देवव्रत सिंह के परिवार में एक पुत्र और पुत्री है। कुछ वर्ष पहले ही उनका अपनी पत्नी से तलाक हुआ है। उन्होंने बताया कि अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव देह को कमल विलास महल में रखा गया है। शाम को खैरागढ़ में अंतिम संस्कार होगा।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देवव्रत सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य ने एक ऊर्जावान और लोकप्रिय जनप्रतिनिधि खो दिया है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाए।
देवव्रत सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,'एक प्यारे दोस्त, राजनीति के चमकते सितारे, पूर्व सांसद और खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह के निधन से मन अति व्यथित है। न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में राजनीतिक जीवन में सेवार्थ काम कर रहे हर साथी के किए यह अपूरणीय क्षति है। अलविदा मेरे दोस्त, आख़िरी श्रद्धांजलि!
बता दें कि देवव्रत सिंह ने विधानसभा चुनाव 2018 से पहले कांग्रेस छोड़ पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे में प्रवेश किया था। इसी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़कर उन्हें जीत मिली थी। विधायक देवव्रत सिंह खैरागढ़ विधानसभा सीट से चार बार विधायक निर्वाचित हुए। वह एक बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद भी रहे। इसके साथ ही FCI (भारतीय खाद्य निगम) के अध्यक्ष भी थे। इसके अलावा कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे। वह 1995 से 1998 तक खैरागढ़ से मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1998 से 2003 तक पहले वह मध्य प्रदेश, फिर छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य रहे।
देवव्रत सिंह पहली बार वर्ष 1995 में अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। बाद में वह वर्ष 1998 और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2003 में तथा वर्ष 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के टिकट पर निर्वाचित हुए थे । देवव्रत ने वर्ष 2007 में राजनांदगांव लोकसभा सीट का भी प्रतिनिधित्व किया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में वह निर्वाचित हुए थे। वह कांग्रेस के तेज तर्रार नेता माने जाते थे।
दिसंबर 2017 में पार्टी पर उपेक्षा का आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ दी थी। बाद में वह वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) में शामिल हो गए थे। सिंह ने इस चुनाव में जोगी की पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा और खैरागढ़ से चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए।
वर्ष 2020 में अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव के दौरान देवव्रत सिंह ने पार्टी के विरोध में जाकर सत्ताधारी कांग्रेस का साथ दिया था। इस चुनाव के बाद देवव्रत सिंह के कांग्रेस में वापसी के भी कयास लगाए जा रहे थे।
CM बघेल ने जताया दुख, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विधायक और पूर्व सांसद श्री देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है। श्री बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ ने एक ऊर्जावान और लोकप्रिय जनप्रतिनिधि को खो दिया है मुख्यमंत्री ने श्री देवव्रत सिंह के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए, दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने श्री देवव्रत सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने के निर्देश दिए हैं|