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एंटीलिया केस को लेकर महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचल: शिवसेना ने कहा- सभी मामलों की गुप्त जानकारी फडणवीस के पास सबसे पहले पहुंच रही है, जो सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं

  • by: news desk
  • 14 March, 2021
एंटीलिया केस को लेकर महाराष्ट्र में बढ़ी सियासी हलचल: शिवसेना ने कहा- सभी मामलों की गुप्त जानकारी फडणवीस के पास सबसे पहले पहुंच रही है, जो सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं

मुंबई: अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास विस्फोटकों से लदी एक एसयूवी मिलने के मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे को 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ करने के बाद शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया|  मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को मिली विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो के मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सजिन वाजे की गिरफ्तारी पर महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। एक तरफ भाजपा ने वाजे का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है। इसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत का बड़ा बयान सामने आया है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा है कि इन सभी मामलों की गुप्त जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास सबसे पहले पहुंच रही है, जो सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है।



शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि,'' अंबानी परिवार के घर के बाहर एक संदिग्ध गाड़ी खड़ी रहती है, उस गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की तुरंत संदेहास्पद मौत हो जाती है, विधानसभा में उस पर चार दिन हंगामा होता है। ये सभी रहस्यमय मामले महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा रहे हैं। इन सभी मामलों की गुप्त जानकारी विरोधी पक्ष नेता श्री फडणवीस के पास सबसे पहले पहुंचती रही। सरकार के लिए ये शुभ संकेत नहीं है!



मनसुख हिरेन नामक व्यावसायिक की मौत ने महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों हलचल मचा दी है। इस हलचल से विपक्ष को क्या मिला? इसका जवाब ‘खोया हुआ आत्मविश्वास’ ऐसा ही देना पड़ेगा। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को डेढ़ वर्ष में पहली बार ही बतौर विपक्ष नेता का सुर मिला। आठ दिन के अधिवेशन में पूरा ‘फोकस’ विपक्ष के नेताओं पर रहा, यह सबसे बड़ी सफलता। बुधवार की दोपहर को सुधीर मुनगंटीवार सदन में आए और बोले, ‘‘अगले तीन महीने में हम फिर सत्ता में आएंगे।’’ यह फाजिल आत्मविश्वास है, सरल स्वप्नरंजन है। पुन: सत्ता में आने की भाषा मतलब फिर भोर या आधी रात की शपथविधि की तैयारी। उसके लिए नई खरीद-फरोख्त (नया घोड़ा बाजार) हुई तो भारतीय जनता पार्टी अपनी बची-खुची प्रतिष्ठा भी गवां बैठेगी। 




महाराष्ट्र में अभी जो हो रहा है, वह राज्य की प्रतिष्ठा को शोभा नहीं देता। हत्या, आत्महत्या, मृत्यु, बलात्कार इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच रणकंदन शुरू है। पूजा चव्हाण नामक लड़की की संदेहास्पद मौत के कारण वनमंत्री संजय राठोड को इस्तीफा देना पड़ा। मनसुख हिरेन की मृत्यु को विपक्ष ने हत्या कहकर पुलिस अधिकारी सचिन वझे की बलि ले ली लेकिन अन्वय नाईक और मोहन डेलकर इन दो आत्महत्याओं के संदर्भ में विपक्ष मन से कुछ बोलने को तैयार नहीं है। मोहन डेलकर तो ७ बार चुनकर आनेवाले सांसद थे। उन्होंने आत्महत्या की। संसद की विशेषाधिकार हनन समिति के सामने डेलकर ने कहा था, दादरा-नगर हवेली प्रशासन मेरा अपमान और उत्पीड़न कर रहा है। ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन मुझे आत्महत्या करनी पड़ेगी। श्री डेलकर ने भी मुंबई में आकर आत्महत्या की। संसद की विशेषाधिकार हनन समिति के सामने किए गए निवेदन को ही सबूत मानकर आरोपियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। वो क्यों नहीं हो रही है?




मुकेश अंबानी और उनके परिवार की जान देश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है? ये देशवासियों को पिछले १५ दिनों में नए ढंग से समझ में आ गया, यह अच्छा ही हुआ। एक दिन सुबह-सुबह एक स्कॉर्पियो गाड़ी अंबानी के आलीशान निवासस्थान के परिसर में खड़ी होती है। इस गाड़ी पर संदेह होने पर पुलिस वहां पहुंचती है। इस गाड़ी से जिलेटिन की २१ छड़ें मिलती हैं। उसके बाद एक आतंकवादी संगठन का धमकीभरा संदेश मिलता है। इस पर कहा गया कि यह अंबानी परिवार को मारने की साजिश है। अगर यह साजिश है तो किसने की और अंबानी परिवार को मारने की साजिश ‘जैश-उल-हिंद’ क्यों रचेगा? २१ जिलेटिन की छड़ें व एक स्कॉर्पियो से अंबानी जैसे अतिसुरक्षित व्यक्ति पर हमला करने की साजिश मतलब हास्यास्पद है। इस गाड़ी का मालिक मनसुख हिरेन ठाणे में रहता था। उन्होंने अंबानी के निवासस्थान के पास गाड़ी मिलने के ८ दिन पहले मतलब १८ फरवरी को ही अपनी गाड़ी चोरी होने का मामला पुलिस में दर्ज कराया था।




विपक्ष नेता फडणवीस के मुताबिक गाड़ी मालिक मनसुख और सचिन वझे चार महीने से एक-दूसरे के संपर्क में थे। जिस मनसुख की संदेहास्पद मौत हो गई, उसका शव मुंब्रा की खाड़ी में मिला ये पूरा मामला इसीलिए रहस्यमय हो गया, लेकिन रहस्य और सत्य में अंतर है। विपक्ष के नेता फडणवीस ने जासूस शेरलॉक होम्स की तरह इस मामले की जांच की और कुछ बातें सामने लाई| किसी विशेषज्ञ फौजदारी वकील की तरह पूरा मामला विधानसभा में रखा। उनकी वकीलीचातुर्य इस दौरान बखानने लायक ही था, लेकिन फौजदारी वकील मुकदमे को कितना भी रोचक बना दे फिर भी न्यायदान तो सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर ही किया जाता है। मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर ही विपक्ष नेता ने प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया, लेकिन यही पुलिस सालभर पहले श्री फडणवीस का आदेश मानती थी। अर्णब गोस्वामी जैसों को पुलिस ने तब किसके आदेश पर बचाया? फडणवीस ने मनसुख प्रकरण का नाटक अच्छे ढंग से तैयार किया, लेकिन आगे क्या?




मनसुख हिरेन को मुंबई क्राइम ब्रांच के कांदिवली यूनिट में कार्यरत तावडे नामक पुलिस अधिकारी ने बुलाया इसलिए घर से बाहर निकले और वापस लौटे ही नहीं। तावडे नामक कोई अधिकारी नहीं है, यह अब सामने आया है। फिर इस तावडे के फोन का रहस्य क्या? मनसुख की हत्या हुई, ऐसा उनकी पत्नी कहती हैं। इन सभी मामलों में उलझन हैं। उस गुत्थी में मुंबई-ठाणे की पुलिस और पुलिसवालों का एक गुट चलानेवाली एक बाहरी शक्ति भी शामिल है। इससे पुलिस दल में ‘गुटबाजी’ और शीत गैंगवॉर फिर उफनने लगा तो ये ठीक नहीं। 




पुलिसवाले भ्रष्टाचार करें, पैसा इकट्ठा करें, प्रोटेक्शन मनी लें इसमें अब कुछ नया नहीं है। देशभर के पुलिस दल की यही कार्यशैली है। ऐसा लोग मानकर चलते हैं लेकिन पुलिस में हिंसा, हफ्ताउगाही और मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त में पैसा लेने की प्रवृत्ति बढ़ने लगी तो देश संकट में आ सकता है। एकाध झूठा मामला तैयार करके उसमें बड़े नाम डालकर उनसे पैसे वसूलने की प्रवृत्ति सभी स्तरों पर बढ़ गई है। पुलिस का चरित्र इसीलिए बिगड़ा है। इसीलिए मुंबई पुलिस ने मुंह काला किया, ऐसा बयान श्री फडणवीस ने दिया, इसका समर्थन कोई भी मत करो। मनसुख हिरेन मामले में पुलिस ने मुंह काला किया, ऐसा आरोप विपक्ष के नेता लगाते हैं तो अन्वय नाईक मामले में किसने मुंह काला किया और यह कोयला पुलिसवालों को देनेवाला कौन था?




मुकेश अंबानी के आवास परिसर में एक स्कॉर्पियो का खड़ा रहना और एक हत्या हो जाना? यह एक रहस्यकथा ही बन गई है। अंबानी परिवार की खुद की एक मजबूत सुरक्षा व्यवस्था है और उस सुरक्षा व्यवस्था में इजराइल के सुरक्षा व्यवस्थापक तैनात हैं। अंबानी की सुरक्षा व्यवस्था दुनिया की सर्वोत्कृष्ट है, ऐसा जानकार लोग कहते हैं। अंबानी की उंगली पर देश की अर्थव्यवस्था का गोवर्धन टिका है। लाखों लोगों को वे रोजगार देते हैं। इसलिए उनकी सुरक्षा में किसी प्रकार की कमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन उनकी सुरक्षा में इस प्रकार सेंध लगाकर किसी को उनसे कोई आर्थिक लेन-देन करना था क्या? ऐसी शंका कुछ लोगों को है। 




कांग्रेस के वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले कल तक विधानसभा अध्यक्ष थे इसलिए उनका ठोस व जिम्मेदारी से बोलना अपेक्षित है। इस पूरे मामले में विधानसभा में उन्होंने क्या कहा? ‘‘सुरक्षा का कारण बताते हुए मुकेश अंबानी के घर पर हेलीपैड की अनुमति मिले, इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने ही विस्फोटक कार का मामला रचा।’’ ऐसा पटोले ने कहा। पटोले के पास इसका सबूत है तो ‘एटीएस’ को अब उनकी भी जांच करनी चाहिए।





अंबानी के मुंबई स्थित घर की छत पर हेलिकॉप्टर उतारने की अनुमति राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों के चलते पहले ही नकार दी गई है और अकेले अंबानी परिवार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाया जाए, यह संभव नहीं। फिर अंबानी भी इसे मंजूर नहीं करेंगे। दूसरा यह कि अंबानी परिवार ने कुछ करने का निर्णय ले ही लिया तो कोई सरकार उसका विरोध नहीं करेगी, यह भी उतना ही सच है। उस अंबानी परिवार के नाम पर कुछ भी करने का प्रयास राजनीतिज्ञ अथवा पुलिस द्वारा न किया जाए तो ठीक। 




अंबानी के घर से एक किलोमीटर दूर जिलेटिन की छड़ोंवाली गाड़ी पाई गई। अंबानी की निजी सुरक्षा व्यवस्था को छोड़ दें तब भी अंबानी के पास केंद्र और राज्य सरकार की सुरक्षा व्यवस्था है। ऐसे में गाड़ी उनके घर तक वैâसे पहुंची? ऐसा सवाल श्री पटोले ने विधानसभा में किया। गाड़ी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर पहुंची, यह उस सुरक्षा व्यवस्था की ही असफलता है या गाड़ी पहुंच जाए इसलिए उस दिन वहां विशेष ‘व्यवस्था’ की गई थी, ऐसी शंका की जा सकती है। ‘इजी मनी’ सबको चाहिए और उसके लिए अपने सिद्धांत को छोड़ने के लिए सब तैयार रहते हैं। इसीलिए मनसुख हिरेन मामले की सच्चाई महाराष्ट्र एटीएस को लोगों के सामने लानी चाहिए। सरकार को किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए। इस मामले की जांच करने के लिए २४ घंटे के भीतर ‘एनआईए’ को केंद्र ने घुसा दिया, ये किसलिए? 




केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, इसलिए ये हो सकता है! महाराष्ट्र जैसे राज्य पर केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव डालने का ही यह तरीका है। अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन रखी गई स्कॉर्पियो गाड़ी व उस गाड़ी के मालिक मनसुख की रहस्यमय मौत का मामला विरोधी पक्ष नेताओं ने जोरदार ढंग से उठाया। कुछ दशक पहले तत्कालीन विपक्ष नेता छगन भुजबल ने किणी नामक व्यक्ति की मौत के मामले को इसी तरह रहस्यमय बना दिया था। उस दौरान भुजबल, किणी मामले के जांच अधिकारी ही बन गए थे। किणी के शव से दिमाग भी चुरा लिया गया, ऐसे सनसनीखेज आरोप लगाने तक किणी मामला पहुंच गया था। वह मामला भी खोखले सबूतों के आधार पर ही ख़ड़ा किया गया था, जो आखिरकार टूट कर गिर गया।




मुंबई पुलिस की जांच पर राज्य के विपक्ष के नेता आक्षेप लगाते हैं। पुलिस का मनोबल ही तोड़ देते हैं। यह राज्यव्यवस्था पर दबाव लाने का ही प्रयास है। इस दबाव के चलते ही पुलिस व प्रशासन विपक्ष के नेताओं को गुप्त जानकारी मुहैया कराते हैं। ऐसा होना सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है, लेकिन सभी को पानी में रहना है। मछली से बैर क्यों करना, ऐसा सबको लगने लगे तो राज्य का प्रवाह दूषित हो जाएगा।





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