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उपराष्ट्रपति ने कोरोना संक्रमित लोगों के प्रति भेदभाव बरतने पर जताया खेद, कहा-संदेहों और शंकाओं को निर्मूल किया जाय अन्यथा ये अफवाह, फेक न्यूज़ और कुप्रचार से अधिक खतरनाक बन जाएगी

  • by: news desk
  • 26 July, 2020
उपराष्ट्रपति ने कोरोना संक्रमित लोगों के प्रति भेदभाव बरतने पर जताया खेद, कहा-संदेहों और शंकाओं को निर्मूल किया जाय अन्यथा ये अफवाह, फेक न्यूज़ और कुप्रचार से अधिक खतरनाक बन जाएगी

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव तथा संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसे आदरपूर्वक अंतिम संस्कार तक न दिए जाने की घटनाओं पर गहरा खेद जताया।उन्होंने ऐसी घटनाओं को नितांत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और स्थानीय समुदाय और वृहत्तर समाज से ऐसी वृत्तियों को रोकने को कहा।अपने फेसबुक पोस्ट में नायडू ने कहा कि ऐसी कुवृत्तियों को जड़ से समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा संक्रमित व्यक्ति सहायता और संवेदना की अपेक्षा करता है। कोई भी इस संक्रमण से पूरी तरह से निरापद नहीं है, यह अदृश्य वायरस किसी को भी संक्रमित कर सकता है।




कोरोना को लेकर उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि,''कोरोना संक्रमित लोगों के प्रति भेदभाव की खबरें आ रही हैं.... कई बार तो संक्रमित व्यक्ति का आदरपूर्वक अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया गया। यह दुखद है, एक संवेदनशील समाज में नहीं होना चाहिए|अपने फेसबुक पोस्ट में वेंकैया नायडू ने लिखा 'मानवीय संवेदनाओं को कोरोना संक्रमण से बचाएं, समाज में सौहार्द और सहिष्णुता बनाए रखें| 




उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि,'अनादि काल से ही भारत सौहार्द और सहिष्णुता की भूमि रहा है। यहां के नागरिकों ने समय पड़ने पर आहत मानवता के प्रति करुणा और दया दिखाई है। शेयर एंड केयर - यही भारतीय संस्कारों का मूल आधार रहा है। धार्मिक या अन्य कि नहीं सीमाओं से उपर उठ कर, लोग समाज में मैत्रीपूर्ण, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व में यकीन रखते हैं।





उन्होने अपने में फेसबुक पोस्ट में लिखा,'वर्तमान महामारी के समय में भी हमने ऐसे कई उदाहरण देखे जहां पर रिश्तेदार, पड़ोसी, यहां तक कि अनजान अपरिचित भी मुसीबत में फंसे लोगों की मदद के लिए आगे आए। ऐसे उदाहरण विशेष उल्लेखनीय है जिसमें लोगों ने इस संक्रमण के कारण मरे लोगों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया। ऐसी विपदा के समय ऐसा हर उदाहरण,  मुझे सर्वधर्म सद्भाव, समाज की सांप्रदायिक एकता और भाईचारे के प्रति आशान्वित करने वाला है।




एम वेंकैया नायडू ने कहा कि,''लेकिन मीडिया में ऐसी भी खबरे आती रही हैं जब रिश्तेदारों सहित कुछ लोगों ने स्वयं संक्रमित हो जाने के भय से, संक्रमित व्यक्ति को अलग थलग कर दिया, उसे दोषी जैसा मान लिया गया। ऐसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई जहां कोविड से संक्रमित मृत व्यक्ति का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया गया। ये नितांत दुर्भाग्यपूर्ण है और हमारे सनातन भारतीय संस्कारों के विरुद्ध है जिसमें  दिवंगत व्यक्ति के शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना रखी जाती है, उन्हें ढांढस और भरोसा दिया जाता है।




उन्होने कहा कि,''संभवत: लोगों को यह जानकारी नहीं कि मृत शरीर से संक्रमण नहीं फैल सकता, न ही उससे कोई अतिरिक्त खतरा हो सकता है। यह अज्ञान ही इस तरह के संदेह का मूल कारण है। यद्यपि यह भी आवश्यक है कि ऐसे मृतक के शरीर को स्पर्श करते समय तथा अंतिम संस्कार के लिए जरूरी पर्याप्त सावधानियों और स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया ही जाना चाहिए। हाथ धोना, PPE पहनना, जिस बिस्तर पर या आवरण में मृत शरीर को रखा गया, जिन उपकरणों औजारों, का प्रयोग किया गया, उन्हें अच्छी तरह डिसिंफेक्ट करना, ये सावधानियां अवश्य ही ली जानी चाहिए।




एम वेंकैया नायडू ने कहा कि,दिशानिर्देश इसकी अनुमति देते हैं कि परिजनों को अंतिम दर्शन के लिए, स्टाफ द्वारा आवश्यक सावधानियों के साथ मृतक के चहरे को, उसके आवरण को थोड़ा खोला जा सकता है। दिशानिर्देश अंतिम संस्कार के दौरान मृत शरीर को बिना छुए ही पवित्र ग्रंथों के पाठ, पवित्र जल के छिड़काव जैसी किसी भी विधि पर प्रतिबंध नहीं लगाते बशर्ते मृत शरीर को छुआ न जाय। लेकिन मृत शरीर को स्नान कराना, उससे लिपटना आदि जैसी भावुक प्रतिक्रियायें संक्रमण का खतरा बढ़ा सकती हैं अतः प्रतिबंधित हैं।




उन्होने कहा कि,''मुझे ऐसी खबरों से बेहद तकलीफ होती जब मुझे अपने  मालूम पड़ता है कि कोरोना 19 संक्रमित व्यक्ति और हमारे स्वास्थ्य योद्धाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है, जो अपना कर्तव्य निभाने के कारण  संक्रमित हो जाते हैं। इस प्रकार की घटनाएं स्वीकार्य नहीं हो सकतीं और ये स्थानीय समुदाय और समाज का दायित्व है कि ऐसी घटनाओं को रोका जाय, ऐसी प्रवृत्तियों को जड़ से समाप्त किया जाय। उन्होने कहा कि,''जरूरी है कि  संदेहों और शंकाओं को निर्मूल किया जाय। अन्यथा ये अफवाह, फेक न्यूज़ और कुप्रचार से अधिक खतरनाक बन जाएगी। हममें से हर किसी को कोविद 19 संक्रमित व्यक्तियों के प्रति संवेदना होनी चाहिए न कि उन्हें दोषी मान कर अलग थलग कर दिया जाना चाहिए। याद रखें इस अदृश्य वायरस से कोई निरापद नहीं, किसी को भी यह संक्रमण हो सकता है।




उन्होने कहा कि,''ये जरूरी है कि संबद्ध अधिकारी और मीडिया, स्थानीय समुदाय में जागरूकता फैलाने के महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करें।  अशिक्षा, अंध विश्वास, फेक न्यूज़, अफवाहें, ये सब मिल कर जनता में भ्रांति और अंधविश्वास पैदा करती हैं। प्रायः, न सिर्फ अनपढ़ बल्कि पढ़े लिखे शिक्षित लोग भी सोशल मीडिया पर चल रही इन भ्रांतियों और फेक न्यूज़ का शिकार हो जाते हैं और इन अफवाहों को आगे प्रसारित करने लगते हैं।




उन्होने कहा कि,''स्वास्थ्य प्रशासन और मीडिया को कारोना और उसके संक्रमण के बारे में प्रमाणिक जानकारी देने के लिए, जन जागरण और जन शिक्षण के  विशेष अभियान चलाने चाहिए। सही संदेश को बार बार , अधिक से अधिक लोगों में प्रसारित किया जाना चाहिए जिससे एक सकारात्मक प्रभाव पड़ सके और माहौल में परिवर्तन आए।




उन्होने कहा कि,''ये वाकई चुनौतीपूर्ण समय है।लेकिन मुझे विश्वास है कि यदि हम सब मिल कर सामना करें तो  इस महामारी के कारण इस आपदा से उबर सकते हैं। सबसे पहले हमें बढ़ते ग्राफ को समतल करना होगा और इसके लिए हर नागरिक को ज़िम्मेदारी पूर्वक काम करना होगा, बारबार हाथ धोना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना जैसी सावधानियां बरतनी होंगी।




एम वेंकैया नायडू ने कहा कि, साथ ही हर किसी को अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। सौभाग्य से भारत में खाना पकाने की पारंपरिक शैली में सदियों से हल्दी, दालचीनी, काली मिर्च, अदरक, लहसुन, लौंग जैसे मसालों का प्रयोग होता रहा है जिनके औषधीय गुण सर्व विदित है।इस समय लोगों को अपने स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास करते रहना चाहिए।




उन्होने कहा कि,''आपदा के समय लोगों में निराशा पनपने लगती है, वे चिड़चिड़े, चिंतित रहने लग जाते हैं, स्वभाव में नकारात्मकता आने लगती है। हमें अपने भाव - स्वभाव को संभालना है, अपने विचारों को सकारात्मक रखना, चीज़ों के सकारात्मक पक्ष पर ध्यान देना है। संतोष, कृतज्ञता, करुणा, दया जैसे सकारात्मक भावों को उजागर करें। आध्यात्मिकता का यही मूलमंत्र है।





अपने फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने आज कारगिल विजय दिवस पर, युद्ध में वीरगति को प्राप्त अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा है कि आज कारगिल विजय दिवस के अवसर पर जब हम वीरगति को प्राप्त अपने अमर जवानों की शहादत को नमन करते हैं, देश भारत की सशस्त्र सेनाओं के प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा। मातृभूमि की एकता, अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित रखने में उनके शौर्य, साहस, राष्ट्रभक्ति और बलिदान के लिए सदैव ऋणी रहेगा। इस अवसर पर हमें हमारे अनजान किसानों के प्रति भी आभार व्यक्त करना चाहिए। वे भी अनजान कोविड योद्धा की भांति निःस्वार्थ भाव से देश की खाद्यान्न सुरक्षा को सुनिश्चित कर रहे हैं।




उन्होने कहा कि,''आज जब हम को वैक्सीन के विकास के प्रति आशान्वित है और उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं, आइए हम सब अपने कोविड योद्धाओं - स्वास्थ्य कर्मियों, स्वच्छता कर्मियों, पुलिस, मीडिया, कृषकों और सामान पहुंचाने वाले कार्मिकों के अथक प्रयासों में सहयोग करें, उन्हें अपना समर्थन दें।









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