नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की सोमवार को शुरुआत हुई। पहले ही दिन सदन के पिछले सत्र में अनुशासनहीनता करने वाले राज्यसभा के 12 सांसदों को बाकी बचे पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित किए गए सांसदों में कांग्रेस के छह, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दो, सीपीआई का एक और शिवसेना के दो सांसद शामिल हैं।
12 सांसदों को शीतकालीन सत्र से सस्पेंड करने पर कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि ,''सरकार की केवल ये मानसिकता है कि विपक्ष के ऊपर किसी तरह से वार करो और इनको मालूम है कि अगर वो इस तरह निलंबित करेंगे तो निश्चित रूप से विपक्ष इसका विरोध करेगी और फिर सदन नहीं चलेगा। वो यही चाहते हैं कि सदन न चले|
राज्यसभा से 12 सांसदों को सस्पेंड करने पर BJP सांसद सुशील मोदी ने कहा,''पिछले सत्र के अंतिम दिन जिस तरह से विपक्षों ने हंगामा किया, मैंने अपने संसदीय जीवन में इस प्रकार की अराजकता नहीं देखी। ये स्वागत योग्य कदम है और जो नियम कानून का पालन नहीं करते, उनको संदेश जाना चाहिए|
12 राज्यसभा सांसद पूरे सेशन के लिए निलंबित
सदन के पिछले सत्र में अनुशासनहीनता के आरोप में राज्यसभा के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है| सदन कल, 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है| उच्च सदन के जिन 12 सांसदों को सस्पेंड किया गया है उनके नाम- एल्मारम करीम (माकपा), फुलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), बिनोय विस्वाम (भाकपा), राजमणि पटेल (कांग्रेस), डोला सेन ( तृणमूल कांग्रेस), शांत छेत्री ( तृणमूल कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन ( कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी ( शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना) और अखिलेश प्रसाद सिंह ( कांग्रेस) हैं| उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी|
कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा ने कहा कि यह निलंबन केवल अनुचित और अन्यायपूर्ण है। अन्य दलों के अन्य सदस्य भी थे, जिन्होंने हंगामा किया लेकिन अध्यक्ष ने मुझे निलंबित कर दिया। पीएम मोदी जैसा चाहते हैं वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भारी बहुमत है।
कांग्रेस के ही निलंबित सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है; लोकतंत्र और संविधान की हत्या। हमें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया है। यह एकतरफा, पक्षपाती, प्रतिशोधी निर्णय है। विपक्षी दलों से सलाह नहीं ली गई। हमने पिछले सत्र में विरोध किया था। हमने किसानों, गरीब लोगों के लिए विरोध किया था और सांसदों के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्पीड़ित, वंचितों की आवाज उठाएं। संसद में आवाज नहीं उठाएंगे तो कहां करेंगे?
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक आरोपी को वहां भी सुना जाता है, उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है। यहां हमारा पक्ष नहीं लिया गया। निलंबित एक प्रियंका ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज देखें तो यह साफ पता चलता है कि कैसे पुरुष मार्शल महिला सांसदों से अभ्रदता कर रहे थे। एक तरफ ये सब और दूसरी तरफ आपका फैसला? यह कैसा असंसदीय व्यवहार है?
आज लोकतंत्र की फिर से हत्या हुई
कांग्रेस नेता और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि,''जो लोग किसान को नकली बताते थे आज उनको एहसास हुआ कि इनकी वोट असली है इसलिए उन्होंने अपने कदम पीछे हटाए। आज लोकतंत्र की फिर से हत्या हुई है। इस (कृषि क़ानून) पर चर्चा न पारित कराते समय हुई न वापस लेते समय हुई। यह लोकतंत्र नहीं ठोकतंत्र है|
कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि,'''संसद में कोई भी बिल रद्द होती है तो उस पर चर्चा होती है लेकिन जब चर्चा की बात आई तो सरकार उससे भाग रही थी। सरकार पूरी तरह से किसानों के मुद्दों से भाग रहीं। उनके पास किसानों की मौत और MSP पर कोई जवाब नहीं है:
दोनों सदनों में पास हुआ 'कृषि कानून वापसी बिल'
विपक्ष द्वारा हंगामे के बीच लोकसभा के बाद राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित हुआ। संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा से कृषि कानून वापसी बिल पास कर दिया गया है| दोनों सदनों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा बिल पेश किया गया, बिल पेश होने के कुछ मिनट के भीतर ही उसे पास भी कर दिया गया| वहीं, दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां बिल पर चर्चा के लिए अड़ी रहीं| विपक्षी पार्टियों का कहना है कि बिना चर्चा के वापसी बिल पास करना संसद की परंपरा का उल्लंघन है| इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा देखने को मिला|
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि,कृषि सुधार बिल जब आए थे तब व्यापक रूप से चर्चा हुई थी। कृषि क़ानूनों को वापस लेना एक सर्वसम्मत विषय था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि आप लोग (विपक्ष) अपने स्थान पर बैठे तो वह चर्चा कराने के लिए तैयार हैं, अगर चर्चा होती तो सरकार उसका जवाब देती| 2014 की तुलना से MSP पर खरीद लगभग दोगुनी हुई है। सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना की है। छोटे किसानों की मदद और प्रोत्साहन के लिए 10 लाख FPOs बनाने की घोषणा की है, जिस पर सरकार 6,850 करोड़ रुपए खर्च करेगी|