नई दिल्ली : कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने नरसिम्हा राव को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा का स्वागत किया। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह,पीवी नरसिम्हा राव गारू और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'मैं इसका स्वागत करती हूं।"
कांग्रेस ने पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और एमएस स्वामीनाथन को ‘भारत रत्न’ (मरोणपरांत) पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद शुक्रवार को कहा कि ये तीनों महान व्यक्तित्व भारत के रत्न थे, हैं और सदैव रहेंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘श्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और डॉ एमएस स्वामीनाथन जी भारत के रत्न थे, हैं और सदैव रहेंगे। उनका योगदान अभूतपूर्व था, जिसका हर भारतीय सम्मान करता है। डॉ स्वामीनाथन फ़ॉर्मूले के आधार पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का क़ानूनी दर्जा दिए जाने पर मोदी सरकार चुप है। प्रधानमंत्री मोदी की हठधर्मिता के कारण 700 किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए, मगर सरकार ने किसानों के साथ वादा खिलाफी की। आज भी किसान दिल्ली कूच के लिए तैयार बैठे हैं, मगर सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। भारत जोड़ो न्याय यात्रा में किसानों का न्याय दिलाया जाना एक मुख्य उद्देश्य है। ‘किसान न्याय’ के लिए हमारी माँग है कि स्वामीनाथन फ़ॉर्मूले के आधार पर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की क़ानूनी गारंटी दी जाए। यही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी और स्वामीनाथन जी को सही मायनों में श्रद्धांजलि होगी।’’
गौरतलब है कि, कांग्रेस नेता पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और मशहूर वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न' (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद ‘एक्स' पर पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी है|
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह,पीवी नरसिम्हा राव गारू और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर बीआरएस एमएलसी के कविता ने कहा, "चौधरी चरण सिंह,पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है हम बहुत खुश हैं और हमें गर्व भी है पीवी नरसिम्हा राव गारू तेलंगाना की धरती के पुत्र हैं...हमने ऑस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर पीवी नरसिम्हा राव गारू की प्रतिमा स्थापित की है..."
कौन थे पी.वी. नरसिंह राव?
स्व पी.वी. नरसिंह राव का जन्म 28 जून 1921 को आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय, मुंबई विश्वविद्यालय व नागपुर विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की थी। पीवी नरसिंह राव के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं। पेशे से कृषि विशेषज्ञ व वकील रहे राव राजनीति में आए और कुछ महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला।
वे आंध्र प्रदेश सरकार में 1962 से 64 तक कानून व सूचना मंत्री, 1964 से 67 तक कानून व विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री और 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। वे 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। वे 1975 से 76 तक कांग्रेस समिति के महासचिव, 1968 से 74 तक आंध्र प्रदेश के तेलुगू अकादमी के अध्यक्ष और 1972 से मद्रास के दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष रहे।
वे 1957 से 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य, 1977 से 84 तक लोकसभा के सदस्य रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के तौर पर 1978-79 में उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के एशियाई व अफ्रीकी अध्ययन स्कूल द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया पर हुए एक सम्मेलन में भाग लिया।
राव भारतीय विद्या भवन के आंध्र केंद्र के भी अध्यक्ष रहे। वे 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने 5 नवंबर 1984 से योजना मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था। 25 सितम्बर 1985 से उन्होंने राजीव गांधी सरकार के मंत्रीमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में पदभार संभाला।
1991 लोकसभा चुनाव
1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए थे। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद में। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला। 24 जुलाई 1991 को नरसिम्हा राव की सरकार के पहले बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने तथाकथित 'लाइसेंस-परमिट राज' के अंत का एलान किया गया था।
नरसिम्हा राव सरकार के सबसे महत्त्वपूर्ण सुधार जुलाई 1991 से मार्च 1992 के बीच हुए। जब राव की सरकार में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने फरवरी 1992 में अपना दूसरा बजट पेश किया। सरकार की ओर से शुरू किए गए आर्थिक उदारीकरण के फैसलों का विरोध शुरू हो गया था और विपक्ष में बैठे वामपंथी दल ही इनका प्रतिरोध नहीं कर रहे थे बल्कि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में विरोध था। कांग्रेस पार्टी में अर्जुन सिंह और वयलार रवि आंतरिक विरोध के प्रतीक पुरुष बन गए थे। पार्टी की भावनाओं को भांपते हुए राव ने अप्रैल 1992 में तिरुपति में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का सत्र बुलाया। वहां उन्होंने अपना प्रसिद्ध भाषण 'भविष्य की जिम्मेदारियां' (द टास्क्स अहेड) दिया। जिसमें उन्होंने बाजार, अर्थव्यवस्था और राज्य के समाजवाद के बीच का रास्ता चुनने की बात की और अपनी नीतियों के समर्थन में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को उद्धृत किया। यहां अपनी स्पीच में उन्होंने उस दूरदर्शी नीति का खाका खींचा जो समावेशी विकास की रणनीति के तौर पर जानी जाती है।