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888 रुपये का उज्जवला सिलेंडर साबित हुआ खोखला जुमला, गरीबों को राहत नहीं: रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मांग है कि रसोई गैस की कीमतों को तत्काल 400 रु. पर लाया जाए

  • by: news desk
  • 10 August, 2021
888 रुपये का उज्जवला सिलेंडर साबित हुआ खोखला जुमला, गरीबों को राहत नहीं: रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मांग है कि रसोई गैस की कीमतों को तत्काल 400 रु. पर लाया जाए

नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर हमला बोला | उन्‍होंने कहा कि,''₹ 888 के गैस सिलेंडर वाली उज्जवला योजना मोदी सरकार का एक और खोखला जुमला साबित हुई है, जिससे गरीबों को कोई लाभ नहीं हुआ। पिछले 7 साल में मोदी सरकार ने सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की सब्सिडी खत्म करके रसोई गैस को दोगुना कर दिया है, जिससे रसोई गैस आम लोगों और गरीबों की पहुंच से बिल्कुल बाहर हो चुकी है। जुमला सरकार को यह समझना होगा कि देश की जनता बहुत समझदार है, और उसे 'जुमले नहीं, राहत चाहिए'। हमारी स्पष्ट मांग है कि जुमलेबाजी छोड़कर सब्सिडी वाले रसोई गैस की कीमतों को आधा करके तत्काल 2014 में कांग्रेस सरकार के समय की कीमतों के बराबर 400 रुपए प्रति सिलेंडर किया जाए। 




कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,' आज जब मोदी जी उत्तर प्रदेश के महोबा में उज्जवला- 2 की शुरुआत कर रहे हैं , तब देश को जानना चाहिए कि पहले उज्जवला के नाम पर क्या अंधेरा गरीबों के घर में परोसा गया है। आज खाना बनाने की गैस के दाम महोबा में 888 रु प्रति सिलेंडर है जो कांग्रेस की सरकार में 400 रु का हुआ करता था। नाम उसका उज्जवला नहीं था मगर लोगों के घरों में गैस के सस्ते दामों की रोशनी जगमगा रही थी। आज लगभग 8 करोड़ उज्जवला गैस लेने वाले परिवारों में से 4 करोड़ परिवारों ने गैस का सिलेंडर रिफ़िल ही नहीं कराया है क्योंकि वो इतनी भारी भरकम कीमत नहीं चुका सकते और ज़्यादातर लोग फिर से लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने को मजबूर हैं। लकड़ी के चूल्हों पर इसलिए कि कैरोसिन की पूरी सब्सिडी भी मोदी जी ने 1 अप्रैल 2021 से समाप्त कर दी और उसके दाम दो गुना से अधिक बढ़ा दिए।




इस प्रकार, उज्जवला योजना पूरी तरह विफल रही है। यह न तो अपने घोषित लक्ष्यों को हासिल कर पाई और न ही गरीबों के लिए रसोई गैस उपलब्ध हुई। सरकार ने कहा था कि उज्जवला योजना से लोग लकड़ी और मिट्टी का तेल छोड़कर रसोई गैस अपनाएंगे, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। सरकारी आंकड़े और विभिन्न रिपोर्ट बताती हैं कि 8 करोड़ उज्जवला कनेक्शन में से 40 प्रतिशत लोग तो कोरोना में सरकार द्वारा घोषित तीन मुफ्त सिलेंडर की योजना का लाभ भी नहीं उठा पाए, क्योंकि रसोई गैस की कीमतें इतनी ज्यादा हो गई हैं कि गरीब व्यक्ति तो दूर, आम परिवार भी वो कीमतें अदा करने में सक्षम नहीं हैं। सरकारी ऑडिट बताता है कि हर छठे लाभार्थी ने गैस सिलेंडर लेने के बाद एक बार भी दोबारा सिलेंडर नहीं भरवाया, जो इस योजना की विफलता का जीता-जागता उदाहरण है।



उन्‍होंने कहा कि,''पिछले 9 महीनों में मोदी सरकार ने रसोई गैस की कीमतों को 240 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया है. एलपीजी सब्सिडी को एक तरह से बिल्कुल समाप्त कर दिया है, जिसके कारण रसोई गैस 850 रुपए से 900 रुपए के बीच पहुंच गई है। लोग कोरोना की मार से अभी भी पीड़ित हैं, अर्थ व्यवस्था नकारात्मक है, गरीब लोग ज्यादा गरीब हो गए लेकिन इसके बावजूद इस घमंडी सरकार ने देश के गरीबों, मध्यमवर्गीय और गैर आयकरदाताओं और उज्जवला योजना लाभार्थियों को भी महंगाई से कोई राहत नहीं दी और अब उन्हें एक रसोई गैस सिलेंडर के लिए देश में कम से कम 834 रुपए जरूर देने पड़ रहे हैं।




रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,'भारत में रसोई गैस के दाम सऊदी आराम्को (Saudi Aramco) के एलपीजी मूल्यों के आधार पर तय होते हैं, जो अब 611.14 अमरीकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हैं, जिस पर आज के डॉलर- भारतीय रुपए की 74.23 विनिमय दर से 45,365.92 रुपए प्रति मीट्रिक टन, यानि 45.36 रुपए एलपीजी गैस प्रति किलो का अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य बनता है। एक घरेलू रसोई गैस सिलेंडर में 14.2 किलो गैस आती है, यदि उस गैस का आधार मूल्य की गणना की जाए, तो वह 644 रुपए 18 पैसे प्रति सिलेंडर बनता है। इस मूल्य पर मोदी सरकार द्वारा 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी, बोटलिंग चार्जेज, एजेंसी कमीशन, ट्रांस्पोर्टेशन और मुनाफे को जोड़कर देश के गरीबों व आम जनता से 850 रुपए से लेकर 900 रुपए वसूला जा रहा है, जो मोदी सरकार की गरीब और मध्यम विरोधी सोच को बेनकाब करता है।




उन्‍होंने कहा कि,'' आंकड़े गवाह हैं कि यूपीए की सरकार में एलपीजी का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 2012-2013 और 2013-2014 में 885.2 और 880.5 यूएस डॉलर था, लेकिन यूपीए की सरकार महंगे भाव से एलपीजी को खरीदकर आम जनता को भारी सब्सिडी देकर केवल 399-414 रुपए प्रति सिलिंडर के भाव में देती थी। यूपीए की सरकार अब से 40 प्रतिशत से ज्यादा महंगे अंतर्राष्ट्रीय मूल्य पर एलपीजी खरीदकर देश की ग्राहकों को आज से आधे दामों पर सब्सिडी पर देती थी। 




इसी प्रकार पेट्रोल और डीजल पर भी जनता पर कम टैक्स लगाने के बावजूद कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों पर अंडर रिकवरी, यानि मूल्यों से बहुत कम वसूला जाता था। पेट्रोलियम प्लानिंग और एनालिसिस सेल के अधिकृत आंकड़े बताते हैं कि यूपीए सरकार ने 2011-12 में कांग्रेसयूपीए सरकार ने देश की जनता से पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस पर 1,42,000 करोड़ रुपए की राहत दी, जो 2012-13 में 1,64,387 करोड़ रुपए और 2013-14 में 1,47,025 करोड़ रुपए हो गया था, जिसे यह सरकार 2016-17 में 27,301 करोड़, 2017-18 में 28,384 करोड़, 2018-19 में 43,718 करोड़ और 2019-20 में 26,482 करोड़ पर ले आई, किंतु इस वर्ष तो मोदी सरकार ने सभी सब्सिडियों के नाम पर केवल 12,995 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। 




रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि,'यदि यूपीए और भाजपा सरकारों द्वारा पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की अंडर रिकवरी और एक्साइज ड्यूटी वसूली को जोड़ लिया जाए, तो साफ ज़ाहिर होता है कि यूपीए सरकार जहाँ एक तरफ कम टैक्स वसूलती थी, लेकिन पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस में जनता को ज्यादा राहत देती थी, दूसरी ओर भाजपा की सरकार ज्यादा टैक्स वसूलती है, लेकिन पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस में कोई राहत न देकर सीधी मुनाफाखोरी करती है। आज के समय में जो सब्सिडी वाला सिलेंडर 850 रुपये का बिक रहा है, वो कांग्रेस के समय 400 रुपये के करीब था।




 सुरजेवाला ने कहा कि,'आज एलपीजी गैस के अंतर्राष्ट्रीय दाम कांग्रेस के समय से काफी कम हैं, लेकिन रसोई गैस सिलेंडर के दाम दोगुने हैं। इसलिए हमारी स्पष्ट मांग है कि उज्जवला सहित सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमतों को तत्काल घटा कर कांग्रेस सरकार के स्तर पर 400 रुपए प्रति सिलेंडर किया जाए।







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