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“चुनावी फंडिंग 'घोटाले' में शामिल है प्रधानमंत्री”: 'इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम' पर SC के फैसले के बाद कांग्रेस का हमला, कहा-मोदी सरकार सिर्फ कमीशन-रिश्वतखोरी और काला धन छिपाने के लिए ही 'बॉन्ड' लेकर आई थी

  • by: news desk
  • 15 February, 2024
“चुनावी फंडिंग 'घोटाले' में शामिल है प्रधानमंत्री”: 'इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम' पर SC के फैसले के बाद कांग्रेस का हमला, कहा-मोदी सरकार सिर्फ कमीशन-रिश्वतखोरी और काला धन छिपाने के लिए ही 'बॉन्ड' लेकर आई थी

 नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा चुनावी बांड के रूप में 'गुमनाम' राजनीतिक दान की अनुमति देने वाली योजना को रद्द करने के बाद कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने पूछा, "हम जानना चाहते हैं कि बीजेपी ने 'चुनावी बांड' के रूप में प्राप्त ₹5200 करोड़ के बदले में क्या बेचा है?" । खेड़ा ने PM मोदी से कहा,“क्या आपने हवाईअड्डे, कोयला खदानें बेचीं या विधायक खरीदे? हमें यह जानने का अधिकार है” |



  • बता दें कि,''राजनीतिक दलों के खुलासे के आधार पर चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2022 तक बेचे गए कुल 9,208 करोड़ रुपये के चुनावी बांड में से भाजपा को 5,270 करोड़ रुपये मिले।


खेड़ा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग, वित्त मंत्रालय और कानून मंत्रालय के अधिकारियों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर चुनावी बांड योजना को देश पर थोपा गया। उन्होंने कहा,“चुनावी बांड योजना भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें प्रधानमंत्री सीधे तौर पर शामिल हैं। आज प्रधानमंत्री और उनका भ्रष्टाचार उजागर हो गया है.”  



आज यह बात साफ हो गई-  मोदी सरकार सिर्फ कमीशन, रिश्वतखोरी और काला धन छिपाने के लिए ही 'इलेक्टोरल बॉन्ड' लेकर आई थी। इलेक्टोरल बॉन्ड PM मोदी की 'भ्रष्टाचार बढ़ाओ नीति' की वो साजिश है, जो आज पूरे देश के सामने बेनकाब हो चुकी है। PM मोदी की ऐसी भ्रष्टाचारी नीतियां लोकतंत्र के लिए बेहद घातक हैं, देश के लिए खतरा हैं।



खेड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया और एसबीआई से सभी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में डालने की मांग की| उन्होंने कहा,''यह स्कीम मोदी सरकार 'मनी बिल' के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इसपर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए।'' खेड़ा ने यह भी आशंका जताई कि सरकार खुद को शीर्ष अदालत (Supreme Court) के फैसले से बचाने के लिए अध्यादेश जारी कर सकती है | खेड़ा ने कहा,हमें डर है कि कहीं फिर से कोई अध्यादेश जारी न हो जाए और मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बच जाए। 



अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा,“भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी सरकार की 'चुनावी बॉन्ड योजना' को रद्द करने के सर्वसम्मत फैसले का स्वागत करती है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि बहुप्रचारित चुनावी बांड योजना संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन है।”


हमने लगातार संसद के भीतर और बाहर इस योजना का विरोध किया है: पवन खेड़ा

उन्होंने कहा,''भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पहली राजनीतिक पार्टी थी, जिसने 2017 में चुनावी बांड योजना की घोषणा के दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और तुरंत इसे अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी निंदा की। हमने तब से लगातार संसद के भीतर और बाहर इस योजना का विरोध किया है। हमारे 2019 के लोकसभा घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हम इस अपारदर्शी योजना को खत्म करने का इरादा रखते हैं। आज, हमारा कहा सच हुआ।''



चुनावी बांड ,भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक 'काला धन सफ़ेद करो योजना' थी

पवन खेड़ा ने कहा,“चुनावी बांड योजना कुछ और नहीं, बल्कि भाजपा द्वारा अपना खजाना भरने के लिए बनाई गई एक 'काला धन सफ़ेद करो योजना' थी। इस सरकार की सभी योजनाओं की तरह, चुनाव बांड योजना भी हमेशा सत्तारूढ़ शासन को एकमात्र लाभ पहुंचाने के लिए डिज़ाइन की गई थी। यह इस तथ्य से स्पष्ट था कि उसके बाद हर साल भाजपा ने इस योजना के माध्यम से सभी राजनीतिक दान का 95% हासिल किया। अब, प्रश्न उनसे पूछा जाना चाहिए; क्या वे इस स्पष्ट फैसले से बचने के लिए इसका अनुपालन करेंगे या कोई अन्य अध्यादेश (Ordinance) लाएंगे?।



खेड़ा ने कहा,“सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हीं भावनाओं को दोहराया जो मैंने और मेरे सहयोगियों ने, ऑन रिकॉर्ड बार-बार व्यक्त की हैं।”


“पहला- यह योजना असंवैधानिक है; ऐसा उपाय: मतदाताओं से यह छुपाता है कि राजनीतिक दलों को कैसे मालामाल बनता है, लोकतंत्र में उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इस प्रकार, यह सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करता है।

दूसरा- सरकार का यह दावा कि उसने काले धन पर अंकुश लगाया, बिलकुल बेबुनियाद व निराधार था। दरअसल, आरटीआई के प्रावधानों के बिना इस योजना को लागू करके वह काले धन को सफेद करने को बढ़ावा दे रही थी।
तीसरा- वित्तीय व्यवस्थाएं राजनीतिक दलों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान का कारण बन सकती हैं।”




पवन खेड़ा कहा,“मोदी सरकार और उनके तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई, चुनाव आयोग, भारत की संसद, विपक्ष और भारत के लोगों के विरोध को कुचलते हुए चुनावी बांड पेश करने के असंवैधानिक फैसले का बार-बार बचाव किया।

1. दस्तावेज़, जो अब सार्वजनिक पटल पर हैं, उनसे ये पता चला है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने चेतावनी दी थी कि चुनावी बांड काले धन को राजनीति में ला सकते हैं और मुद्रा को अस्थिर कर सकते हैं। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे खारिज कर दिया।

2. कुछ खोजी पत्रकारिता द्वारा सामने आए एक गोपनीय नोट से यह भी पता चला कि मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने चुनावी बांड योजना के विरोध को कम करने के प्रयास में जानबूझकर चुनाव आयोग को गुमराह किया ।

3. 2018 में, जब 6 महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव हुए, तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने वित्त मंत्रालय को चुनावी बांड की विशेष और अवैध बिक्री को मंजूरी देने के लिए अपने स्वयं के नियमों को तोड़ने का निर्देश दिया।''




पवन खेड़ा ने कहा,“पहली बार मौका मिलते ही चुनावी बांड के नियम तोड़े गए। एसबीआई को पहली किश्त अप्रैल 2018 में बेचनी थी, लेकिन पहला दौर एक महीने पहले मार्च 2018 में खोला गया था। इस दौर में 222 करोड़ रुपये के बांड खरीदे गए, जिनमें से 95% भाजपा के पास गए। मई 2018 में होने वाले कर्नाटक राज्य चुनावों के साथ, पीएमओ ने वित्त मंत्रालय को अगले 10 दिनों की एक विशेष और अतिरिक्त विंडो खोलने का निर्देश दिया। चुनावी बांड योजना को संभालने वाले आर्थिक मामलों के विभाग में उप निदेशक विजय कुमार ने 3 अप्रैल, 2018 को आंतरिक फाइल नोटिंग में लिखा । "इसका मतलब यह होगा कि चुनावी वाहक बांड को अतिरिक्त जारी करना राज्य विधानसभा चुनाव के लिए नहीं किया जा सकता है।"




कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख ने कहा,“ 2018 के कर्नाटक राज्य चुनावों के परिणामस्वरूप त्रिशंकु विधानसभा होने के तुरंत बाद 10 करोड़ रुपये के बांड भुनाए गए। प्रधानमंत्री कार्यालय एसबीआई को अवैध विंडो में बेचे गए समाप्त हो चुके चुनावी बांड स्वीकार करने के लिए कहा।''



4. 2021 में, ताजा सामने आए दस्तावेजों ने बांड की गुमनामी पर मोदी सरकार के झूठ को भी उजागर किया। भारतीय स्टेट बैंक दानदाताओं और राजनीतिक दलों का रिकॉर्ड रखता है, जिस तक केवल कानून प्रवर्तन ही पहुंच सकता है।

5. मोदी सरकार ने एक विचित्र बयान दिया: कॉरपोरेट्स को गुप्त रूप से दान करने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें संविधान के तहत का अधिकार प्राप्त है जो नागरिकों के सूचना के अधिकार को खत्म कर देता है और नागरिकों के गुप्त मतदान के अधिकार के बराबर है। कानून मंत्रालय ने कहा कि चुनावी बांड पारित करने का मोदी सरकार का मार्ग अवैध था, लेकिन फिर भी इस पर हस्ताक्षर कर दिया गया।



अब सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश दिया→ राजनीतिक दलों को प्राप्त सभी राशि वापस करने का निर्देश दिया जाता है।
भारतीय स्टेट बैंक इसके साथ ही चुनावी बांड जारी करना तुरंत बंद कर देगा, और चुनावी बांड प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का विवरण और प्राप्त सभी विवरण 6 मार्च, 2024 तक चुनाव आयोग को जारी करेगा।

→ 13 मार्च 2024 तक ECI इसे आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

→ इसके बाद राजनीतिक दल चुनावी बांड की राशि खरीदार के खाते में वापस कर देते हैं।


कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख ने कहा,“अब, जब मोदी सरकार के बड़े पैमाने पर भ्रष्ट तंत्र का पर्दाफाश खुद सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है, क्या मोदी सरकार अब EB घोटाले की जांच के लिए ED भेजेगी?''


जो लोग भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने निकले थे, वो कितने भ्रष्ट हैं

'इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम' पर SC के फैसले पर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने मुंबई में कहा, "आज सुप्रीम कोर्ट का इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर जो निर्णय आया है, उसका पूरी देश की जनता ने स्वागत किया है...जो लोग भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने निकले थे, वो कितने भ्रष्ट हैं, उसकी स्पष्टता भी सामने आ चुकी है..."




बेंगलुरु में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है और भाजपा की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज कर दिया....हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं..."







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