नई दिल्ली : देश के कई राज्यों में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहरा गया है| राज्यों के पास कोयले का बहुत कम स्टॉक बचा है| बिजली संयंत्रों में कोयले की किल्लत को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने अपने आवास पर बिजली मंत्रालय, बीएसईएस और टाटा पावर के अधिकारियों के साथ बैठक की| बैठक के बाद उन्होंने कहा,'', न तो कोई संकट था, न ही कोई संकट है| केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा'',बैठक में गेल के भी सीएमडी आए हुए थे हमने उन्हें कहा है कि कांट्रैक्ट बंद हो या नहीं, गैस के स्टेशन को जितनी गैस की जरूरत है उतनी गैस आप देंगे|
बैठक के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा,'',हमने आज सभी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी| आर.के.सिंह ने कहा,'',बिना आधार के ये पैनिक इसलिए हुआ क्योंकि गेल ने दिल्ली के डिस्कॉम को एक मैसेज भेज दिया कि वो बवाना के गैस स्टेशन को गैस देने की कार्रवाई एक या दो दिन बाद बंद करेगा। वो मैसेज इसलिए भेजा क्योंकि उसका कांट्रैक्ट समाप्त हो रहा है|
उन्होंने कहा,'',मैंने गेल के सीएमडी ( GAIL CMD ) से देश भर के बिजली स्टेशनों को आवश्यक मात्रा में गैस की आपूर्ति जारी रखने के लिए कहा है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि आपूर्ति जारी रहेगी। न पहले गैस की कमी थी, न भविष्य में होगी|
उन्होंने कहा,''वास्तव में न तो कोई संकट था और न ही कोई संकट हैं। यह अनावश्यक रूप से बनाया गया था। मैंने टाटा पावर के सीईओ को कार्रवाई की चेतावनी दी है यदि वे ग्राहकों को आधारहीन एसएमएस भेजते हैं जो दहशत पैदा कर सकते हैं। गेल और टाटा पावर के संदेश गैर-जिम्मेदाराना हैं|
आरके सिंह ने कहा,''''हमारे पास आज के दिन में कोयले का चार दिन से ज़्यादा का औसतन स्टॉक है, हमारे पास प्रतिदिन स्टॉक आता है। कल जितनी खपत हुई, उतना कोयले का स्टॉक आया......पहले की तरह कोयले का 17 दिन का स्टॉक नहीं है लेकिन 4 दिन का स्टॉक है। कोयले की ये स्थिति इसलिए है क्योंकि हमारी मांग बढ़ी है और हमने आयात कम किया है। हमें कोयले की अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी है हम इसके लिए कार्रवाई कर रहे हैं|
उन्होंने कहा,'''हमारे पास औसत कोयला भंडार (पावर स्टेशनों पर) है जो 4 दिनों से अधिक समय तक चल सकता है। स्टॉक हर दिन भर दिया जाता है। मैं (केंद्रीय कोयला और खान मंत्री) प्रल्हाद जोशी के संपर्क में हूं|
बता दे,' दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली टाटा पावर ने अपने ग्राहकों को फोन पर मैसेज भेजकर इसकी जानकारी दी थी और उनसे शनिवार दोपहर बाद से बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया था।टाटा पावर की शाखा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (डीडीएल), जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में काम करती है, उसने अपने ग्राहकों को एसएमएस भेजा था।
शनिवार को भेजे गए एसएमएस में कहा गया था, ''उत्तर भर में उत्पादन संयंत्रों में कोयले की सीमित उपलब्धता के कारण, दोपहर दो बजे से शाम छह बजे के बीच बिजली आपूर्ति की स्थिति गंभीर स्तर पर है। कृपया विवेकपूर्ण तरीके से बिजली का उपयोग करें। एक जिम्मेदार नागरिक बनें। असुविधा के लिए खेद है - टाटा पावर-डीडीएल।''
बता दे,'''पिछले हफ्ते की शुरुआत में, ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने देश में थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की कमी को स्वीकार किया था और इसे सामान्य स्थिति से परे करार दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में बिजली की मांग कम हो जाएगी और संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति में भी सुधार होगा।
दिल्ली, पंजाब, राजस्थान समेत देश के कई राज्य बिजली संकट का सामना कर रहे हैं| इन राज्यों के कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट (Coal Thermal power Plant) के पास कुछ दिनों के कोयले का ही स्टॉक बचा है|इन राज्यों ने केंद्र सरकार और ऊर्जा मंत्रालय से गुहार लगाई है कि कोयले की आपूर्ति सामान्य की जाए अन्यथा उन्हें बिजली आपूर्ति ठप होने (Black out) के हालातों का सामना करना पड़ सकता है| हालांकि बिजली मंत्रालय के अनुसार, आपूर्ति सामान्य करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं| कोयला मंत्रालय ने हर हफ्ते दो बार कोयला स्टॉक की समीक्षा के लिए 2 अंतरमंत्रालयी समूह भी गठित किए हैं|
दिल्ली सरकार ने कहा है कि अगर कोयला आपूर्ति (Coal supply) सामान्य नहीं हुई तो राजधानी को दो दिन के भीतर ब्लैक आउट की स्थिति झेलनी पड़ सकती है| दिल्ली को बिजली आपूर्ति के संयंत्रों के पास 1 माह का स्टॉक रहता था, जो घटकर 1 दिन रह गया है| सारे संयंत्र पहले ही 55 फीसदी क्षमता से चल रहे हैं|दिल्ली में 1300 मेगावॉट गैस आधारित बिजली संयंत्र बवाना में है|दिल्ली के पास कोई बिजली संयंत्र नहीं है औऱ वो केंद्र पर निर्भर है|