नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि,''मैं इसलिए प्रेस वार्ता कर रहा हूं, कि मुझे इस सरकार की अर्थव्यवस्था का मॉडल समझ में नहीं आ रहा है। मैं तो इस देश का योजना मंत्री भी रहा, योजना आयोग में, प्लानिंग कमीशन में बैठता था, जहाँ सारे आर्थिक विषय आते थे।लेकिन मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है कि किस आर्थिक मॉडल पर ये सरकार चल रही है? सरकारी खजाने अगर खाली हैं, तो आपने सारे टैक्स बढ़ा-बढ़ाकर हर चीज को महंगा कर दिया।... समझ नहीं आ रहा है कि है किस आर्थिक मॉडल पर यह सरकार चल रही है? सरकारी खजाने खाली हैं तो आपने सारे टैक्स बढ़ा - बढ़ा होकर हर चीज को महंगा कर दिया चाहे पेट्रोल-डीजल की कीमतें ही क्यों ना हों|
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि,''पेट्रोल-डीजल और गैस जिन तीन चीजों की एक आम आदमी को जरूरत पड़ती है वह भयानक महंगी हो चुकी है। इसलिए आज कांग्रेस ने यह कैंपेन चलाया जिससे हर आम आदमी गाँव-गाँव तक जुड़ा हुआ है| खाने की सभी चीजें महंगी हो चुकी हैं, सरसों का तेल, प्याज की कीमत कहाँ पहुँच चुकी है। आप देखेंगे कि कोई भी ऐसी चीज़ नहीं है जो सस्ती हो और हर चीज पर आप 'कर' भी बढ़ाते चले जा रहे हैं|
राजीव शुक्ला ने कहा कि,''इसके पीछे हम आपका तर्क भी समझ सकते हैं कि इसके जरिए सरकार अपने खजाने भरना चाहती है| आज की तारीख में कोई भी चीज सस्ती नहीं है। महंगाई अपने चरम पर पहुंच चुकी है। अब अगर आप यह तर्क देते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है तो आप हमारी संपत्तियों को क्यों बेच रहे हैं..?
वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि,''सबसे बड़े दु:ख की बात यह है कि उन संपत्तियों को बेचा जा रहा है जो पब्लिक सेक्टर में प्रॉफिट में हैं, फिर सरकारों का क्या मतलब है? क्या नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक में खड़े दफ्तर ही हमारी सरकार रह जाएगी...? 'मैं देश नहीं झुकने दूंगा, मैं देश नहीं बिकने दूंगा' देश का झुकना तो छोड़िए लेकिन देश का बिकना तो शुरु हो चुका है। क्या हुआ इस वादे का..?
शुक्ला ने कहा कि,''एक तरफ महंगाई करके जनता पर बोझ डालकर पैसा इकट्ठा कर रहे हो और दूसरी तरफ जो कुछ इन 70 सालों में जनता के पैसे से बना है, वह सब आप बेच रहे हो। उसमें भी वह सब कुछ जो प्रॉफिट में हैं | सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए कि जो प्रॉफिटेबल पब्लिक सेक्टर हैं, उनको ना बेचा जाए बल्कि उनका मैनेजमेंट ठीक किया जाए और अच्छे ढंग से उन्हें चलाया जाए|
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि,''देश की अर्थव्यवस्था पर मनमोहन सिंह जी ने भी कहा कि पहले तो आपने गलत फैसले लिए। नोटबंदी, GST और लॉकडाउन जैसे फैसले लिए जिससे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी। अब महंगाई बढ़ा कर जनता की जेब पर भी डाका डाल रहे हो|
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि,''कोविड-19 से पहले हमारी अर्थव्यवस्था, जीडीपी लगातार नीचे की तरफ गिर रही थी, बेरोजगारी दर 45 साल के सर्वोत्तम स्तर पर पहुंच चुकी थी। आज फरवरी 2021 का बेरोजगारी दर का आंकड़ा आया जो 6.9% है, जो फिर से बढ़ना शुरू हो गया| सरकारी बैंकों से लेकर सरकारी बीमा कंपनियों तक, बिजली की लाइनों से लेकर डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तक, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से लेकर PSU कम्पनियों तक, सब जगह से एक ही आवाज़ आ रही थी कि बेच दो|
प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने कहा कि,''जब बजट आया तो लोगों को इससे बहुत उम्मीदें थी कि इसमें मध्यम आय वर्गीय, जिनकी नौकरी चली गई उनके लिए ज़रूर कुछ होगा, कुछ ऐसे ठोस उपाय होंगे कि जिससे उनकी डिस्पोजेबल इनकम यानी उनके हाथ में नया पैसा ज्यादा रहेगा| क्या एक भी उपाय बजट में ऐसा किया गया जिससे मध्यम आय वर्गीय, किसान, मजदूर के हाथ में एक भी नया पैसा एक्स्ट्रा आ रहा है..?
प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने कहा कि,''डिसइनवेस्टमेंट हमेशा किसके लिए होते हैं? डिसइनवेस्टमेंट इसलिए होते हैं कि जब कोई नॉन स्ट्रैटेजिक एरिया में कोई ऑर्गेनाइजेशन है, उसकी वैल्यू क्रिएट करने के लिए किया जाता है| जबकि 100% डिस्ट्रेस सेल क्यों किया जा रहा है? क्योंकि सरकार के पास आय के साधन का एक भी नया उपाय नहीं है| ये वही सरकार है जिसका कोई रेवेन्यू जेनरेशन का विजन नहीं है, जिसके रेवेन्यू का एक ही मॉडल है कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाओ|
हमारे सवाल:
- क्या भारत सरकार जानबूझकर PSU's को कमजोर करके उनको बेचने का काम कर रही है?
- क्या भारत सरकार के पास एक भी रेवेन्यू मॉडल नहीं है? PSU's को बेचना और एक्साइज ड्यूटी, पेट्रोल-डीजल एवं LPG के अलावा
क्या PSU's को बेचने से पहले लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट का ध्यान रखा जाएगा या नहीं?
- क्या सरकार सिर्फ़ एक एजेंडा के तहत डिस्ट्रेस सेल ड्राइव कर रही है?