गांधीनगर: केंद्र सरकार द्वारा संसद के दोनों सदनों से पारित तीन कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। यानी अब ये कानून बन गए हैं। इस कानून को लेकर देशभर में प्रदर्शन जारी है। सोमवार को भी देश के कई हिस्सों में कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है।
गुजरात के गांधीनगर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने बताया, "देश में अंग्रेजों के शासन में जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था, वैसे ही इस कानून से आने वाले समय में कंपनी का राज आ जाएगा।"
उधर,''कर्नाटक में एसडीपीआई, कर्नाटक राज्यसभा संघ, जद(एस), कर्नाटक रक्षा वेदिक और अन्य ने अशोक सर्कल शिवमोग्गा में सरकार के विरोध में मानव श्रृंखला बनाई। कृषि कानून, भूमि सुधार अध्यादेश, कृषि उपज मंडी समिति में संशोधन और श्रम कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने आज राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़घम के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कांचीपुरम के कीझांबी गांव में कृषि कानून के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। पार्टी अध्यक्ष ने कहा, 'हमारा पड़ोसी राज्य, केरल विरोध कर रहा है और संसद में पारित कृषि कानून के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हम अपनी राज्य सरकार से ऐसा ही करने के लिए कहते हैं अन्यथा विपक्षी दल इस पर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।'
कृषि कानून के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टम अमरिंदर सिंह शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उनके जन्मस्थान में धरना दे रहे हैं। उनके साथ मंत्री, विधायक और कार्यकर्ता भगत सिंह के गांव खटकर कलां में धरने पर बैठ गए हैं। इसके अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत भी धरने में शामिल हो गए हैं। धरना शुरू करने से पहले मुख्यमंत्री ने भगत सिंह की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी।