लखनऊ: बस्ती के महादेवा सुरक्षित विधान सभा क्षेत्र का भी इस बार मिथक टूटा। इस विधान सभा क्षेत्र का अब तक का इतिहास रहा कि जिस दल का विधायक चुना गया, उसी दल की प्रदेश में सरकार बनी। लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के आसार के बीच यहां से सपा, सुभासपा गठबंधन प्रत्याशी दूधराम ने जीत दर्ज की। भाजपा के निर्वतमान विधायक और प्रत्याशी रवि सोनकर ने यहां लगातार बढत बनाए रखी, लेकिन मतगणना के अंतिम चरण में वे पीछे हो गए।
टूट गया मिथक
महादेवा सुरक्षित विधानसभा सीट पर 2017 तक जिस दल का विधायक चुना गया, उसी दल की उत्तर प्रदेश में सरकार बनी। यहां से कांग्रेस, भाजपा, सपा,बसपा प्रत्याशियों को नेतृत्व करने का मौका मिला, वह भी सत्ताधारी दल के साथ। पहले इस विधानसभा क्षेत्र को नगर पूरब विधानसभा के नाम से जाना जाता था। यह विधानसभा सीट तब भी सुरक्षित थी और परिसीमन बाद नाम बदलने के बाद भी उसके आरक्षण में न तो कोई बदलाव हुआ और न ही इस सीट से जुड़ा मिथक ही टूट पाया। लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया।
पहले नगर पूरब और अब महादेवा के नाम से जानी जाने वाली 311 महादेवा सुरक्षित सीट के आंकड़ो पर नजर दौड़ाए तो अब तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 1980 में कांग्रेस के राम अवध प्रसाद , 1985 में कांग्रेस के रामजियावन जीते और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
1989 में जनता दल से रामकरन आर्य ने जीत दर्ज की और मुलायम सिंह यादव सीएम की कुर्सी पर बैठे। 1991 में बीजेपी से वेद प्रकाश, 1993 में सपा से रामकरन आर्य, 1996 में बसपा से वेद प्रकाश जीते और उन्हीं के दल की सरकार बनी। वर्ष 2002 में सपा से रामकरन आर्य,2007 में बसपा से दूधराम, 2012 में सपा से रामकरन आर्य, 2017 में बीजेपी से रवि सोनकर ने जीत दर्ज की। इन वर्षों में जिस दल के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की,प्रदेश की सत्ता उसी दल के पास रही। इस विधान सभा से कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा सभी को नेतृत्व करने का मौका मिला।