उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो
अब गोविंद ना आएंगे
खुद ही अपनी लाज बचा लो
अब गोविंद ना आएंगे
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं लज्जा के बाजारों में
कब तक आस लगाओगी तुम बिके हुए अखबारों से
इन्होंने कलम बेच दिया है सत्ता के गलियारों पे
उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो
अब गोविंद ना आएंगे....
यहां रेपिस्ट को बेल और आपको तारीख मिलती रह जाएगी देश का कानून अंधा है
उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो
अब गोविंद ना आएगा....
- कायस्थ आयुष श्रीवास्तव
(रचनाकार 10वीं का छात्र है )