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Pegasus Scandal: 'पेगासस जासूसी' मामले की मायावती ने की निष्पक्ष जांच की मांग, बोली-बहुत ही गंभीर और खतरनाक मामला

  • by: news desk
  • 20 July, 2021
Pegasus Scandal: 'पेगासस जासूसी' मामले की मायावती ने की निष्पक्ष जांच की मांग, बोली-बहुत ही गंभीर और खतरनाक मामला

लखनऊ: पेगासस के जरिये जासूसी के विवाद पर संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों के बवाल के बाद बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के तेवर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बेहद तल्ख हैं। मंगलवार को मायावती ने पेगासस जासूसी कांड में केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। 



Pegasus Scandal पर मायावती ने कहा कि यह अति गंभीर व खतरनाक मामला है। उन्होंने इजराइल के स्पाइवेयर 'पेगासस के जरिए जासूसी के मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर उसकी स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की। 



बसपा नेता मायावती ने ट्वीट किया कि,''जासूसी का गंदा खेल व ब्लैकमेल आदि कोई नई बात नहीं किन्तु काफी महंगे उपकरणों से निजता भंग करके मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, अफसरों व पत्रकारों आदि की सुक्षम जासूसी करना अति-गंभीर व खतरनाक मामला जिसका भण्डाफोड़ हो जाने से यहाँ देश में भी खलबली व सनसनी फैली हुई है।



मायावती ने कहा कि,'' इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निापक्ष जाँच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।




बता दें कि नेताओं, पत्रकारों व अन्य लोगों की जासूसी की रिपोर्ट आने के बाद देश में हंगामा मचा हुआ है। मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को संसद में हंगामा होता रहा और कोई कार्यवाही नहीं हो सकी वहीं, दूसरे दिन मंगलवार को कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया|



कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सहित कई हाईप्रोफाइल लोगों के फोन टैप किए जा रहे थे।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ इसका इस्तेमाल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले किया गया था।




कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हैंकिग करने की सनक इस स्तर तक थी कि उनके पांच करीबियों को भी बनाया गया निशाना, जबकि इन पांचों में से कोई भी राजनीतिक या सार्वजनिक कामों संबंधी भूमिका में नहीं है|



राहुल गांधी पर निगरानी करने की योजना ऐसे समय पर बनाना, जब वे विपक्षी कांग्रेस के अध्यक्ष थे और नरेंद्र मोदी के खिलाफ साल 2019 के आम चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे, पूरी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर गंभीर सवाल खड़े करता है| राहुल गांधी के निजी फोन के अलावा उनके दो करीबी सहयोगियों- अलंकार सवाई और सचिन राव- के नंबर भी लीक हुए डेटाबेस में शामिल हैं|




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