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असली तपस्या किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार करते हैं पर उन्हें कुछ नहीं मिलता, जो 2 लोग मोदी जी की पूजा करते हैं उन्हें पूरा धन दे दिया जाता है: राहुल गांधी

  • by: news desk
  • 29 November, 2022
असली तपस्या किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार करते हैं पर उन्हें कुछ नहीं मिलता, जो 2 लोग मोदी जी की पूजा करते हैं उन्हें पूरा धन दे दिया जाता है: राहुल गांधी

उज्जैन: उज्जैन में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि, “असली तपस्या किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार करते हैं पर उन्हें कुछ नहीं मिलता और जो 2 लोग प्रधानमंत्री की पूजा करते हैं उन्हें देश का पूरा धन दे दिया जाता है। इंटरनेट पर सब मिलता है पर किसान को बीमा देने वाली कंपनी का पता नहीं मिलता| इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की| मंदिर के पुजारियों ने राहुल गांधी को एक अंगवस्त्रम् भेंट किया| अनुष्ठान करने के बाद, गांधी ने मंदिर के गर्भगृह के सामने दंडवत प्रणाम किया| वह मंदिर परिसर में नंदी (भगवान शिव का वाहन माने जाने वाले पवित्र बैल) की मूर्ति के पास भी कुछ देर बैठे|


श्री गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- जय महाकाल! जय महाकाल ! जय महाकाल! स्टेज पर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता, हमारे प्यारे कार्यकर्ता, भाईयों और बहनों, मध्यप्रदेश के युवाओं, किसानों, प्रेस के हमारे मित्रों, आप सबका यहाँ बहुत - बहुत हार्दिक स्वागत, नमस्कार। 


 कांग्रेस नेता ने कहा कि “अब तकरीबन 80 दिन हो गए, भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर जा रही है और आज हम आपके इस पवित्र शहर में आए। हम सबने दर्शन किए और बहुत अच्छा लगा। ये आपका जो शहर है, जो महाकाल मंदिर है, शिवजी का मंदिर है। आज हम शिवजी का नाम लेते हैं, क्यों लेते हैं? हिंदुस्तान भगवान शिव को मानता है, तो क्यों मानता है? आप में से कोई बता सकता है? (भीड़ में से आवाज आई तपस्वी थे) ये संसार के सबसे बड़े तपस्वियों को हिंदुस्तान मानता है।


राहुल गांधी ने कहा कि, “अब देखिए, सबसे बड़े शिवजी, तपस्वी; कृष्ण भगवान, तपस्वी; श्रीराम, तपस्वी और हिंदू धर्म के किसी भी भगवान को आप देखिए सारे के सारे तपस्वी हैं। सही या गलत? (जनता ने कहा- सही ) सिर्फ भगवान तपस्या नहीं करते, शिवजी का भगवान राम, कृष्ण भगवान... इनकी तपस्या का मुकाबला नहीं है, मगर हिंदुस्तान तपस्वियों का देश है। हिंदू धर्म में तपस्वियों की पूजा होती है, सही बोला या गलत बोला? हम तपस्वियों का आदर करते हैं, उनके सामने हाथ जोड़ते हैं, तो इस देश में ये तपस्वी कौन हैं?


 श्री गांधी ने कहा कि ,“आपने कहा कि कन्याकुमारी से यात्रा की, बहुत बड़ी तपस्या की । ये कोई बड़ी तपस्या नहीं है, इसमें कुछ नहीं है। मैं आपको बताता हूं, हिंदुस्तान में तपस्या कौन करता है। सबसे पहले कोविड के समय में जो मजदूर बैंगलोर से, मुंबई से, पंजाब से, देश के एक कोन से दूसरे कोने पैदल गए, वो तपस्या करते हैं। दूसरे नंबर पर, जो इस देश को भोजन देते हैं, करोड़ों किसान और उनके परिवार 4 बजे सुबह उठकर हर रोज तपस्या करते हैं। बढ़ई, नाई, माली, इलेक्ट्रिशियन, छोटे दुकानदार, मजदूर- ये सब तपस्या करते हैं। रोज करते हैं, जिंदगी भर करते हैं और तपस्या करते-करते चले जाते हैं, सही? ये तो कुछ नहीं है (भारत जोड़ो यात्रा के बारे में कहा) । ये तो तीन महीने की तपस्या है, 5-6 घंटे, 8 घंटे लगा लो। थोड़ा सा घुटने में दर्द होता है, थोड़ी सी प्यास लगती है। तपस्या किसान करता है, मजदूर करता है।



उन्होंने कहा ,“अब मेरा सवाल है, हिंदू धर्म कहता है कि तपस्वियों की पूजा होनी चाहिए, तो इस देश में तपस्वियों की पूजा क्यों नहीं हो रही है? जो तपस्या कर रहा है, उसको इस देश की सरकार कुछ नहीं देती और जो नरेन्द्र मोदी जी की पूजा कर रहा है, उसको सारा का सारा दे देती है। दो लोग नरेन्द्र मोदी जी की पूजा करते हैं और उनको जो भी चाहिए, मिल जाता है- रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट। ये देखो भईया, ड्रोन उड़ रहा है, ये भी ले जाएंगे उठाकर (ड्रोन को देखकर कहा), सड़कें, बिजली, पानी सब कुछ। दो लोग, पांच लोग प्रधानमंत्री की पूजा करते हैं और हिंदुस्तान का सारा धन उनके हवाले कर दिया जाता है।



करोड़ों लोग सुबह उठते हैं। किसान 4 बजे उठता है, हाथ फट जाते हैं, खून निकलता है। मैं 2,000 किलोमीटर चल रहा मैं आपको बताता हूं। भईया हाथ मिलाना (स्टेज पर उपस्थित एक व्यक्ति को हाथ मिलाने को कहा), देखो हाथ मिलाया। ये किसान नहीं है, क्योंकि किसान के हाथ फटे होते हैं। उसका दर्द उसके हाथों में होता है, उसकी तपस्या के निशान उसके हाथों में होते हैं और इन सड़कों पर हजारों किसानों से मैंने हाथ मिलाया है और हर एक किसान मुझसे ये पूछ रहा है, घूम फिर कर ये पूछ रहा है कि राहुल जी, इस देश में हम तपस्या करते हैं, इस तपस्या का हमें फल क्यों नहीं मिलता ? फर्टिलाइजर क्यों नहीं मिलता और जब मिलता है, इतना महंगा क्यों है? हमें अपनी मेहनत के लिए सही दाम क्यों नहीं मिलता ? हम बीमा का पैसा भरते हैं, तूफान आता है, आंधी आती है, खेत बर्बाद हो जाता है। रोना आता है और जब हम बीमा की प्राईवेट कंपनी को फोन करते हैं, फोन नंबर पर कोई फोन नहीं उठाता। इंटरनेट पर सबकुछ मिल जाता है, मगर किसान को जो बीमा देने वाली कंपनी होती है, उसका एड्रेस (लोकल एड्रेस) नहीं मिलता।



 उन्होंने कहा ,“आज पेट्रोल 107 रुपए का है। हर रोज हमारी जेब में से पैसा निकलता है। राहुल जी, हम तपस्वी हैं, ये सारा का सारा पैसा उन तीन-चार मोदी जी की पूजा करने वालो लोगों के हवाले क्यों किया जा रहा है? गीता में लिखा है कि तपस्या करनी चाहिए। तपस्या करनी चाहिए और फल नहीं देखना चाहिए। मगर हिंदुस्तान की सरकार का काम जो तपस्या करता है, उनको फल देने का है और कोई काम ही नहीं है, इस सरकार का ( लेकिन नहीं किया जाता ) ।



राहुल गांधी ने कहा कि, “मैंने किसानों की बात की, सिर्फ वो तपस्या नहीं करते। चलिए युवाओं की बात करते हैं। इन्हीं सड़कों पर युवाओं से मिलता हूं। तपस्या की है, पढ़ाई की है, स्कूल गए। बदमाशी की तो मार भी पड़ी है, दो-तीन थप्पड़ भी लगे हैं, बच्चे हैं। तपस्या की है। एग्जाम देते हैं, तपस्या करने के बाद, पता लगता है, कि व्यापम स्कैम हो गया, तपस्वियों से चोरी हो गई। छोटे-छोटे तपस्वियों से इस देश की सरकार चोरी करती है। उनका भविष्य खत्म कर दिया। आज बच्चों ने मुझे कहा कि इंजीनियर बनना चाहते हैं। क्या तपस्या की, पढ़ाई की, इंजीनियरिंग की डिग्री ली। अच्छा तो क्या सिर्फ आपकी तपस्या थी? नहीं, नहीं, मेरे पिता किसान हैं, उन्होंने भी तपस्या की, मेरी मां रोज खाना पकाती हैं, उनकी भी तपस्या है, मेरी दादी भी मदद करती हैं, उनकी भी तपस्या है। अच्छा डिग्री मिली तो क्या हुआ? चुप हो जाते हैं। क्योंकि इस देश में तपस्या का फल नहीं मिल रहा है। बेटा, बताओ क्या करते हो? मजदूरी करता हूं मैं, मेरी तपस्या का फल मजदूरी, मध्यप्रदेश की सरकार ने, हिंदुस्तान की सरकार ने दिया। नहीं पकौड़े भी नहीं होते भईया, आजकल पकौड़े भी नहीं चल रहे हैं, वो कहने की बात थी (जनता द्वारा पकौड़ों का जिक्र करने पर कहा ) ।



उन्होंने कहा ,“चलिए, छोटे दुकानदारों की बात करते हैं और जो स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस हैं। (भीड़ में से गोदी मीडिया की आवाज आई) अच्छा, मैं भूल गया, प्रेस वालों की भी बात करनी है, इनको नहीं छोड़ना, अभी बोलता हूं। तो सुनो, तो छोटे दुकानदार हैं, उनके साथ, मैं सबकी बोलूंगा, आज मैं महाकाल आया हूं, तो तपस्या की बात करनी है, उन्हीं से सीखा हूं मैं । आज पंडित जी ने मुझे बोला कि आपकी प्रेस वार्ता मुझे बहुत अच्छी लगी। मैंने, जो आपने बोला, उसको समझ लिया। मैंने कहा, आपने ही मुझको समझाया है।



कांग्रेस नेता ने कहा कि “तो देखिए, छोटा दुकानदार सुबह उठता है, उसके साथ 2-3 लोग काम करते हैं। दिनभर काम करता है। कभी-कभी किसी को पैसे की जरुरत होती है, वो भी दे देता है, काम करता है। उसके पास इतना पैसा नहीं होता, जैसे बड़े उद्योगपति होते हैं, उनके पास करोड़ों रुपए होते हैं। तो अगर बड़े उद्योगपतियों का कैश फ्लो रुक जाए, जैसे कोरोना के समय हुआ, उनको कोई मुश्किल नहीं होती, एक महीना, दो महीना, तीन महीना, चार महीना, छः महीना, एक साल उनका कैश फ्लो रोक लो, कोई प्रॉब्लम नहीं है। इन बेचारों का कैश फ्लो, 15 दिन, एक महीना रोक दिया, तो आपने इनका गला घोंट दिया। मतलब यूँ पकड़ लिया (गला पकड़कर समझाते हुए कहा) और अगर आपने दो महीने कर दिया, तो आप इनको मार दोगे, खत्म कर दोगे ।


राहुल गांधी ने कहा कि, “अब देखिए, मैं ये दुकानदारों की, स्मॉल और मीडियम बिजनेस की बात क्यों करता हूँ, क्योंकि यही लोग देश को रोजगार देते हैं। मतलब, पूरा जुड़ा हुआ है। ये लोग देश को रोजगार देते हैं, युवाओं को काम देते हैं, तो पूरा सिस्टम जुड़ा हुआ है। किसान लोगों को भोजन देते हैं, तो बैलेंस की जरुरत होती है।


 श्री गांधी ने कहा कि ,“सरकार ने क्या किया, अभी 6 बज रहे हैं, 8 बजे; इन सबको याद है, ये कोई नहीं भूला, ये घड़ी देखते हैं, 8 बजे इनका दिल तेजी से धड़कने लगता है। 8 बजे नरेन्द्र मोदी जी ने नोटबंदी की थी और फिर 4 घंटे बाद 12 बजते है, कहते हैं, वही, 12 बजे जीएसटी की थी। 8 बजे नोटबंदी, 12 बजे जीएसटी लागू की थी और इनकी जो तपस्या है, उस तपस्या से चोरी की। क्यों किया, ये पॉलिसीज नहीं थी, ये आप मत सोचिए और जो हमारे छोटे दुकानदार हैं, स्मॉल और मीडियम बिजनेस चलाते है, आप ये मत सोचिए कि ये पॉलिसीज हैं, ये आपके कैश फ्लो को खत्म करने के हथियार थे। देखो समझ गए न, दुकान चलाते हो न, देखो, समझ गया (एक व्यक्ति द्वारा हां में चिल्लाने पर कहा ) ।


उन्होंने कहा ,“ये पॉलिसियाँ नहीं हैं, जो कोविड के समय किया गया, नोटबंदी और जीएसटी और जो किसानों के साथ इन्होंने करने की कोशिश की, मगर किसानों की शक्ति ने इनको रोक दिया। ये पॉलिसीज नहीं थी, ये हथियार थे। किसके लिए हथियार थे, किसके हथियार थे, वही जो 3-4-5 बड़े उद्योगपति हैं, उनके हथियार हैं और लक्ष्य क्या है- हिंदुस्तान की जो तपस्या है, हिंदुस्तान के जो तपस्वी हैं, उनको दबाओ, उनको कुचलो और उनकी जेब में जो पैसा है, उसको छीनकर 5-6 प्रिय लोगों को दे दो।


राहुल गांधी ने कहा कि, “नुकसान देश का हो रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है और मिल नहीं सकता, क्योंकि आपने वो रीढ़ की हड्डी तोड़ दी, नोटबंदी करके, जीएसटी करके। कोविड में जो आपने किया, अरबपतियों का कर्जा माफ कर दिया, इनको छोड़ दिया। एक रुपया तक नहीं दिया इनको, तो आपने रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। इसको अब फिर से बनाना पड़ेगा, फिर से जोड़ना पड़ेगा, तब जाकर हिंदुस्तान को रोजगार मिलेगा।


कांग्रेस नेता ने कहा कि “प्रेस की बात करता हूँ। अच्छा देखिए, सबसे पहले मैं आपको बताना चाहता हूँ, ये जो यहाँ बैठे हैं, इनकी गलती नहीं है। इसमें इनकी गलती नहीं है। ठीक है, ये बेचारे तपस्या करते हैं, मैं देख रहा हूँ, इनको। ठीक है, पैदल नहीं चल रहे मगर ट्रक पर तो बैठे हैं और वो भी तपस्या है। मतलब 80 दिन से बैठे हैं, इनकी तपस्या क्या है? इनकी तपस्या है, सच्चाई को देखो, सच्चाई को समझो और देश की जनता को बताओ। ये करना चाहते है, अपनी तपस्या करना चाहते है, ये देश को सच्चाई दिखाना चाहते हैं, लड़ते हैं, ये; पीछे से लगाम लगी हुई है । लगाम किसके हाथ में है, वही लोग जो नरेन्द्र मोदी जी की पूजा कर रहे हैं, उनके हाथ में है। तो ये हो रहा है, देश में।


उन्होंने कहा ,“बीजेपी के लोग भगवान के सामने हाथ जोड़ते हैं और फिर जो इस देश में तपस्या करता है, उसको खत्म करते हैं। मतलब, भगवान का अपमान करते हैं। क्योंकि तपस्या ही भगवान है और हिंदुस्तान के किसान के अंदर भगवान है, मजदूर के अंदर भगवान है, छोटे दुकानदार के अंदर भगवान है, मीडिया वालों के अंदर भगवान है। तो जब ये लोग इस देश की तपस्या से चोरी करते हैं, तो ये देश के भविष्य को नुकसान पहुंचाते हैं, युवाओं को चोट पहुंचाते हैं, अगली पीढ़ी को चोट पहुंचाते हैं।


कांग्रेस नेता ने कहा कि “2,000 किलोमीटर चले हैं, मैंने कहा कोई बड़ी बात नहीं है। मैं आपको बता रहा हूँ, अजीब सा है। आप देख लीजिए, चेहरे देख लीजिए, कोई थका नहीं है। ऐसा लग रहा है मुझे जैसे कि सुबह-सुबह उठा हूँ, नहाकर आया हूँ। मैं बता रहा हूँ, आपको। क्यों- क्योंकि देश के तपस्वी बात समझ रहे हैं। किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार, युवा बात समझ रहे हैं। कह रहे हैं कि हाँ, देश के तपस्वियों का अपमान हो रहा है। बात समझ रहे हैं और इस यात्रा की मदद कर रहे हैं।


उन्होंने कहा ,“ये कांग्रेस पार्टी की यात्रा नहीं है, ये हिंदुस्तान की यात्रा है, किसानों की यात्रा है, मजदूरों की यात्रा है, छोटे दुकानदारों की यात्रा है, युवाओं की, बुजुर्गों की, माताओं की, बहनों की यात्रा है, प्रेस वालों की यात्रा है, लिख नहीं पा रहे है, मगर है इनकी और सारे के सारे लोग अपने तरीके से इस यात्रा की मदद कर रहे हैं। बच्चों ने पिग्गी बैंक (गुल्लक) दिया। दो बच्चों ने महीनों पैसे बचाकर पिग्गी बैंक दिया, कोई पानी दे रहा है, कोई परांठे दे रहा है, कोई अनाज दे रहा है, कोई घर से चाय ला रहा है, कोई चल रहा है। कोई चिट्ठी लिख रहा है कि मैं आपके साथ चल नहीं सकता हूँ, मैं डरता हूँ, सरकार से डरता हूँ, मगर मैं आपके साथ हूँ, बहुत लोग हैं।






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